Wednesday, 24 April 2013
Monday, 1 April 2013
Civil Services
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What Are You Looking For In A Career?
An average educated person aspires mainly for Position, Respect and Security. If you re looking for the same, then the civil Services is the right choice as it assures all these in a relatively short span of time. What Are the Civil services? Higher Civil Services under the Central Government are classified into All India services and Central Services. The All India Services comprise the Indian Administrative Service, the Indian Police service and the Indian Forest service. These Services are named so because they are common to both central as well as the state Governments. The Central Services constitute those services which work for the Central Government and comprise services like the Indian foreign Service, Indian Revenue Service, Indian Customs & central Excise Service, Indian Railway services, Indian postal Service, Indian Information Service etc. Indian Administrative Service (I.A.S): The Indian Administrative Service is considered to be the premier service in India and offers an attractive, challenging career. The members of the I.A.S. serve the state Governments or the Central Government and assist them in the administration of the country. Members of this service hold various administrative posts like District Collector, Heads of Departments, Heads of Public Enterprises at the state level etc. They can also be posted on deputation to the Central Government to the various posts. Indian Police Service (I.P.S): The Indian Police Service is primarily concerned with maintenance of Law and Order in the country. This is the premier uniformed civil service in the country. An I.P.S officer works for both the Central and State Governments. He serves the State Government in various capacities ranging from Assistant Superintendent of Police at the beginning of his career to the Director General of Police (who is the head of the police force in his state) at the stage of retirement. He can also serve the Central Government in various organizations like the Central Reserve Police Force, Border Security Force, Central Bureau of Investigation, Intelligence Bureau, Research and Analysis Wing (RAW) etc. Indian Foreign Service: The Indian Foreign Service is a Central Service and the premier diplomatic service of our country. Members of this service, primarily represent the country in the international arena. The service offers immense exposure to different political, social, ethnic and cultural milieu. An I.F.S officer can be posted in any of the Indian Embassies and Missions abroad. They can also be deputed to institutions like United Nations, UNESCO, World Bank, SAARC, etc. Back home, they can be posted in the Ministry of External Affairs and as Regional Passport Officers. Indian Revenue Service (Income Tax): This service deals with the matters concerning Income Tax. The members of this service, begin their career as Assistant Commissioners of Income Tax and may rise to the level of Chief Commissioners of Income Tax. Indian Custom and Central Excise Service: The members of this service man the Customs and the Central Excise Departments. They begin their Career as Assistant Collectors of Customs/Central Excise and may rise up in the hierarchy to the level of Chief Collector of Customs. Other Services: There are various other services like the Indian Railway Services, the Indian Postal Service, the Indian Information Service etc., which deal with various functional areas. How To Achieve These Coveted Positions? Entry into these services is through a combined, competitive examination held on an All India basis. The allocation of services depends upon the rank achieved by the aspirant and his / her preference. To appear at the Civil Service Examination one has to be a citizen of India, between the age group of 21-30 years and must hold a degree from any recognized university. The upper age limit is relaxable for specified categories. | |
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अब खुलेगा आईपीएस की पदोन्नतियों का पिटारा
वाराणसी [एल एन त्रिपाठी]। दो-तीन वर्ष से पदोन्नति का इंतजार कर रहे सूबे के आईपीएस अधिकारियों की पदोन्नति का पिटारा अब खुलने जा रहा है। सेलेक्शन ग्रेड [एसएसपी] से लेकर एडीजी तक के 128 पदों पर आईपीएस अधिकारियों की पदोन्नति के लिए केन्द्र सरकार से मंजूरी मिल गई है। साथ ही पीपीएस से आईपीएस बनने का रास्ता भी साफ हो रहा है। पीपीएस एसोसिएशन अध्यक्ष जुगल किशोर के अनुसार शासन ने पीपीएस से आईपीएस में पदोन्नतियों की कार्रवाई दो माह में करने का आश्वासन दिया है।
प्रदेश में प्रांतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की पदोन्नतियां आरक्षण विवाद के चलते काफी समय से अटकी पड़ी हैं। वरिष्ठता सूची तय न होने के चलते आईपीएस में इनकी पदोन्नति नहीं हो पा रही थी। इसका असर आईपीएस अधिकारियों पर भी पड़ा है। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की माने तो पुलिस कप्तान पद के लिए नए अधिकारी उपलब्ध न होने के चलते शासन ने तीन वर्षो में एसपी व डीआईजी की पदोन्नतियां रोक रखी हैं। इसके चलते जिन्हें अब तक डीआईजी हो जाना था वह अभी एसएसपी पर तैनात हैं। यही हाल डीआईजी का भी है। डीआईजी कम होने के चलते उनकी आईजी में पदोन्नति अटकी पड़ी है। आईजी व एडीजी संवर्ग में समस्या नहीं है। पूर्व में पदोन्नतियां समय से होने के चलते प्रदेश में आईजी व एडीजी की संख्या खासी अधिक है।
दो से तीन वर्ष पीछे चल रही यह पदोन्नतियां अब दुरुस्त होंगी। केन्द्र सरकार ने पदोन्नति के लिए मंजूरी दे दी है। इसमें एडीजी के 12, आईजी के 34, डीआईजी के 60 व एसएसपी 22 पद शामिल हैं। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की माने तो 85 बैच के आईपीएस एडीजी, 92 बैच के आईजी व 97 बैच के डीआईजी बन जाएंगे। 1999 बैच के अधिकारियों को सेलेक्शन ग्रेड मिल जाएगा। आईपीएस की इन पदोन्नतियों से पीपीएस को भी खासा फायदा होने का अनुमान है।
पीपीएस से आईपीएस में पदोन्नति के लिए 68 पद फिलहाल रिक्त हैं। पदों पर पदोन्नति के लिए शासन ने सहमति जता दी है। शासन ने पदोन्नति की कार्रवाई में दो माह में करने का आश्वासन दिया है।
सीमित प्रतियोगी परीक्षा का विरोध करे सरकार : प्रांतीय पुलिस सेवा के पदाधिकारियों ने प्रांतीय अध्यक्ष जुगल किशोर की अगुवाई में एक मई को लखनऊ में प्रमुख सचिव गृह के साथ मुलाकात की थी। बुधवार को उन्होंने बताया कि आईपीएस अधिकारियों की कमी को पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित सीमित प्रतियोगी परीक्षा (लिमिटेड काम्पीटीटिव एक्जाम) का शासन स्तर से विरोध करने का अनुरोध किया गया है। इस मामले में हाईकोर्ट में पहले से ही याचिका लंबित है। बीस मई को प्रस्तावित इस परीक्षा में 35 साल तक की उम्र व पांच वर्ष का अनुभव रखने वाले पीपीएस के साथ ही सेना व अर्द्धसैनिक बलों के अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। इससे पीपीएस अधिकारियों की पदोन्नतियां प्रभावित होंगी। संघ ने साथ ही कैडर रिव्यू करने, अन्य प्रांतीय सेवाओं के समान ही पीपीएस को भी वेतन देने तथा 54 वर्ष से ऊपर के व आईपीएस न बन पाने वाले पीपीएस अधिकारियों के पद चिन्हित कर उन्हें पदनाम देने आदि की मांग की है। प्रमुख सचिव गृह ने डीजीपी से मांगो पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर रिपोर्ट देने को कहा है।
जब डीजीपी मुख्यमंत्री के पैरों के सामने लेट सकते हैं..
लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में आईपीएस अफसरों को आईएएस अधिकारियों के सामने झुकने पर मजबूर किया जाता है। गलती न होने पर भी उन्हें ही अकड़ न दिखाने को कहा जाता है।
पुलिस कप्तान को नसीहत भी दी जाती है कि जब प्रदेश के डीजीपी मुख्यमंत्री के पैरों के सामने लेट सकते हैं तो उन्हें डीएम के सामने झुकने में क्या समस्या है? यह आरोप सिद्धार्थनगर के हटाए गए पुलिस कप्तान मोहित गुप्ता के हैं, जो उन्होंने 26 जनवरी को डीजीपी अतुल को भेजे गए पत्र में लगाए थे।
इस पत्र में उन्होंने बस्ती प्रकरण में अपनी गलती न होने का जिक्र करते हुए लिखा है कि बस्ती के हटाए गए कमीश्नर अनुराग श्रीवास्तव व सिद्धार्थनगर की पूर्व डीएम सुश्री चैत्रा वी पुलिस अफसरों के प्रति नकारात्मक सोच रखते हैं। 26 जनवरी को बस्ती के मंडलायुक्त ने चुनाव समीक्षा संबंधी एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में अनुराग श्रीवास्तव ने सिद्धार्थनगर के निर्वाचन व्यवस्थापन प्लान बनाने में देरी होने की वजह पूछी, पर उनका जवाब सुनते ही वह भड़क गए। कहा कि तुम्हारी इतनी मजाल कि डीएम के बुलाने पर गए नहीं और तुम अपने को समझते क्या हो, डीएम तुम्हारी बॉस है। सिद्धार्थनगर की डीएम सुश्री चैत्रा वी ने कई बार उनके साथ नियम विरुद्ध आचरण किया। जिले में थानाध्यक्षों की तैनाती संबंधी प्रस्तावों पर अपरंपरागत आपत्तियां लगाई। जिसके बारे में प्रमुख सचिव गृह को उन्होंने अवगत कराया था। अनुराग श्रीवास्तव द्वारा शासन में मोहित की शिकायत करने का जिक्र भी पत्र में किया गया है।
मोहित के अनुसार मंडलायुक्त ने शासन में मेरी शिकायत की थी कि मैंने उन्हें काल-ऑन नहीं किया। इस मामले में मैं उनसे मिला और उनसे माफी मांगी। इस मुलाकात में उन्होंने मुझसे कहा कि डीएम सिद्धार्थनगर का स्वभाव ठीक नहीं है, वह जिला स्तरीय सभी अफसरों से लड़ चुकी हैं। आपके और डीएम के बीच में जो समस्याएं हैं उनके लिए प्रमुख रूप से डीएम जिम्मेदार हैं परंतु आपको अकड़ नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि झुकना तो पुलिस अधिकारियों को ही पड़ता है।
यह भी कहा कि जब वह विशेष सचिव मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने तत्कालीन डीजीपी को मुख्यमंत्री के पैरों में पड़ा देखा है। जब डीजीपी एक महिला मुख्यमंत्री के पैरों में लेट सकता है तो आपको डीएम के सामने झुकने में क्या समस्या है।
सरकारी प्रवक्ता से इस मामले में पूछे जाने पर कहा कि दो सदस्यीय समिति मामले की जांच कर रही है। ऐसे में उक्त पत्र पर अभी कुछ कहना उचित नहीं होगा।
अनुराग व मोहित
से पूछताछ की
लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। बस्ती प्रकरण की जांच के लिए बनी दो सदस्यीय समिति ने मंगलवार को बस्ती के हटाए गए कमिश्नर अनुराग श्रीवास्तव तथा सिद्धार्थनगर के पूर्व एसपी मोहित गुप्ता का पक्ष जाना। सूत्रों के अनुसार समिति के सदस्य औद्योगिक विकास आयुक्त वीएन गर्ग और डीजी भ्रष्टाचार निवारण संगठन अरूण कुमार गुप्ता इस मामले में अब सिद्धार्थनगर तथा संतकबीर नगर के अधिकारियों से लिए गए बयान का मिलान कर अपनी रिपोर्ट शासन को देंगे। समिति को सरकार ने बस्ती प्रकरण पर बुधवार तक रिपोर्ट देने का समय दिया है। तय समय में अपनी रिपोर्ट देने के लिए गत सोमवार को समिति के दोनों सदस्यों ने बस्ती जाकर गत 26 जनवरी को अनुराग श्रीवास्तव की बैठक में मौजूद रहे कई अधिकारियों के बयान लिए थे।
फाइनल टच देने का समय
29 अक्टूबर से शुरू होने वाली सिविल सर्विसेज मुख्य परीक्षा के लिए अब पढने का समय अधिक नहीं है। शेष समय का सदुपयोग अभ्यर्थियों को सफलता दिला सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, परीक्षा की तैयारी पिरामिड संरचना पर आधारित होती है। इसमें शुरुआती दौर की तैयारी तो संपूर्ण सिलेबस कवरेज से होती है, किंतु परीक्षा का समय जैसे-जैसे नजदीक आता है, वैसे-वैसे पिरामिड के शीर्ष की भांति तैयारी भी सिलेबस के कोर एरिया पर केंद्रित हो जाती है।
स्ट्रेटेजी है महत्वपूर्ण
किसी भी परीक्षा में स्ट्रेटेजी का महत्वपूर्ण रोल होता है। इस परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का मानना है कि यह समय स्टूडेंट्स के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इस कारण किसी बाहरी दबाव में न आकर अपनी योग्यता और तैयारी के अनुरूप योजना बनाना कारगर होता है। योजना बनाते समय आप यह देखें कि किस विषय की परीक्षा कब है और उसकी तैयारी के लिए आपको कितने दिनों का समय मिलता है। सिविल सेवा की परीक्षा में कुछ वैकल्पिक विषयों में काफी गैप मिल जाते हैं। यदि आपको भी इस तरह के गैप मिलते हैं, तो आप वैकल्पिक विषयों की तैयारी के लिए बीच का समय रिजर्व रख सकते हैं। इन बचे हुए समय का सदुपयोग आप अन्य अनिवार्य विषयों की तैयारी में लगाएंगे, तो आप समय का सही उपयोग करने में सफल होंगे और अन्य स्टूडेंट्स की अपेक्षा फायदे में भी रहेंगे। यद्यपि तैयारी के दौरान इन मैरिट सूची निर्धारित करने वाले विषयों पर ज्यादा समय दिया जाना चाहिए, किंतु क्वालीफाइंग विषयों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
सिर्फ रिवीजन है जरूरी
अभ्यर्थियों को पूर्व में अपनी रुचि तथा पकड के हिसाब से चयनित टॉपिक पर एकत्रित किए गए पाठ्य सामग्री/मैटेरियल्स के मुख्य बिंदुओं का बार-बार रिवीजन करना चाहिए। अभ्यर्थियों को शेष बचे समय में तीन-चार निबंध लिखकर अभ्यास करना चाहिए। यदि निबंध में क्रमबद्धता, मौलिकता एवं कंटेंट संबंधी समस्या है, तो उसे समय रहते दूर करने का अभ्यास कर सकते हैं। सामान्य अध्ययन के प्रथम पत्र का सिलेबस पूरी तरह ट्रेडिशनल है।
सभी प्रश्नों पर दें समान समय
परीक्षा भवन में उत्तर लिखते समय सभी प्रश्रनें पर एक समान समय देने का पूरा प्रयास करें। ऐसा न हो कि अपने पसंदीदा प्रश्रनें पर आप एक घंटे से ज्यादा का समय दे दें। इससे आखिरी दो प्रश्रनें के जवाब लिखने के लिए आपके पास समय ही नहीं बचेगा। इससे बचने के लिए पहले ही समय तय कर लें कि प्रत्येक प्रश्न पर करीब 35 मिनट का समय (खासकर वैकल्पिक विषयों के प्रश्रन्पत्रों में) देना है, क्योंकि सामान्यतया इनमें तीन घंटे में पांच प्रश्रनें के उत्तर देने होते हैं। चूंकि सामान्य अध्ययन के पेपर में प्रश्रन् ज्यादा होते हैं, इसलिए वहां भी शुद्धता और गति का ख्याल रखना जरूरी होता है।
प्रश्नों को देखें, तब उत्तर दें
परीक्षा भवन में पेपर मिलने के बाद उत्तर लिखना न आरंभ कर दें। सबसे पहले सभी प्रश्रनें पर नजर डालें और उनका विश्लेषण करें। यह देखें कि किन-किन प्रश्नों के उत्तर आपको अच्छी तरह से आते हैं। ऐसे प्रश्रनें को पहले से तय कर लें। इसमें भी जो प्रश्रन् आपका सबसे पसंदीदा हो, सबसे पहले उसका उत्तर लिखना आरंभ करें। इसके बाद प्राथमिकता के हिसाब से उत्तर लिखें। उत्तर लिखते समय प्रश्न के सभी पहलुओं का ध्यान रखें, क्योंकि अगर कोई भी पहलू छूट गया, तो आपका उत्तर अधूरा माना जाएगा और आपको इस पर पूरे उत्तर नहीं मिलेंगे। बेहतर होगा कि उत्तर लिखने से पहले ही इसका एक खाका अपने दिमाग में या फिर रफ पेपर पर बना लें, जिसमें बिंदुओं के रूप में उन बातों को लिख लें, जिन्हें अपने उत्तर में शामिल करना है।
विजय झा
खुद को राष्ट्रहित में समर्पित करें आइएएस अधिकारी
मसूरी, जागरण कार्यालय। केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को देश के विभिन्न भागों की हर दृष्टि से जानकारी होनी आवश्यक है। उन्हें अपने पेशे को राष्ट्रहित में समर्पित कर आने वाली पीढ़ी के लिए मिसाल कायम करनी चाहिए। गृहमंत्री ने बुधवार को लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी, मसूरी में भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अफसरों को संबोधित करते हुए यह बात कही।
एलबीएस प्रशासनिक अकादमी के संपूर्णानंद सभागार में 2011 बैच के फेज-प्रथम के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए गृहमंत्री चिदंबरम ने देश सेवा में प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका और आने वाले समय की चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अकादमी में प्रशिक्षण लेने के बाद प्रशिक्षु अधिकारियों को देश के विभिन्न राज्यों में सेवाएं देनी हैं। ऐसे में जरूरी है कि उन्हें देश के सभी भागों की हर दृष्टि से जानकारी हो। उन्होंने देश-दुनिया के वर्तमान परिदृश्य को भी रेखांकित किया।
करीब पौने दो घंटे के व्याख्यान के बाद श्री चिदंबरम ने अकादमी परिसर में हुए निर्माण कार्याें का निरीक्षण किया। दोपहर का भोजन करने के बाद सवा दो बजे वे सड़क मार्ग से देहरादून के लिए रवाना हो गए और वहां से विमान से वापस दिल्ली चले गए।
पीएम के हस्तक्षेप से नेत्रहीन बना आईएएस
नारनौल [देवेंद्र यादव]। 'कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो'- शायर दुष्यंत की इन पंक्तियों को चरितार्थ कर दिखाया है हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के खेड़ी गांव निवासी नेत्रहीन अजीत कुमार ने। उन्होंने चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आईएएस अफसर के पद पर चयनित होकर मुकाम हासिल कर लिया है।
उन्हें यह उपलब्धि प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप पर मिली है। अब अजीत देश के दूसरे नेत्रहीन आईएएस बन गए हैं। इससे पहले पंचकूला निवासी सुखसोहित सिंह ने नेत्रहीन आईएएस बनने का गौरव हासिल किया था।
अपने कठिन समय को जागरण के साथ साझा करते हुए अजीत ने बताया कि वर्ष 2008 में उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। 791 सफल परीक्षार्थियों में उनका 208वां रैंक था। इतनी अच्छा रैंक आने के बाद भी उन्हें आइएएस के बजाय आइआरपीएस [भारतीय रेलवे सेवा] दिया गया था। इसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया। यह सब उनके नेत्रहीन होने के कारण किया गया। अजीत ने बताया कि अपने हक को पाने के लिए उन्हाेंने कैट [सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल] की शरण ली। कैट ने 8 अक्टूबर, 2010 को उनके हक में फैसला सुनाया। कैट ने निर्देश दिया कि उन्हें आठ सप्ताह में आइएएस का रैंक दिया जाए। फिर भी उन्हें आईएएस के पद के लिए नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया।
उन्हाेंने हार नहीं मानी और सांसद वृंदा करात के सहयोग से 29 नवंबर, 2011 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिले। प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप से उन्हें 16 जनवरी, 2012 को आईएएस अफसर के रूप में नियुक्ति मिली है। 14 फरवरी को नियुक्ति पत्र देकर 20 फरवरी तक मंसूरी में हाजिर होने की सूचना दी गई है। उन्होंने फोन पर बताया कि वह मंसूरी पहुंच गए हैं और 19 फरवरी को हाजिर होकर प्रशिक्षण शुरू कर देंगे।
12 आइएएस और 39 पीसीएस के तबादले
लखनऊ, जागरण ब्यूरो। शासन ने रविवार को कई महत्वपूर्ण पदों पर फेरबदल कर 12 आइएएस और 39 पीसीएस अफसरों के तबादले कर दिए।
नाम वर्तमान तैनाती नवीन तैनाती
1.बीएम मीना- प्रमुख सचिव पंचायती राज - प्रमुख सचिव स्टांप एवं निबंधन विभाग।
2.मनोज कुमार- प्रमुख सचिव ग्रामीण अभियंत्रण सेवा- प्रमुख सचिव पंचायती राज ।
3. अनिल गर्ग-अलीगढ़ मंडलायुक्त - आयुक्त ग्राम्य विकास।
4.मंजीत सिंह-मंडलायुक्त आगरा- वर्तमान पद के साथ ही अलीगढ़ के पद का अतिरिक्त प्रभार।
5. सुनीता चतुर्वेदी- जिलाधिकारी बलरामपुर - सचिव नगर विकास विभाग।
6.एसके वर्मा- मंडलायुक्त बस्ती- मंडलायुक्त मुरादाबाद।
7. के रवीन्द्र नायक-मंडलायुक्त गोरखपुर-वर्तमान पद के साथ ही बस्ती का अतिरिक्त प्रभार।
8. सुनिष्ठा सिंह-अपर आयुक्त सहारनपुर मंडल -सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग।
9.सुशील कुमार यादव- अपर आयुक्त कानपुर मंडल-संयुक्त प्रबंध निदेशक यूपीएसआइडीसी कानपुर। 10. निधि केसरवानी- जिलाधिकारी ललितपुर - प्रतीक्षारत ।
11. रणवीर प्रसाद -जिलाधिकारी उन्नाव- जिलाधिकारी ललितपुर ।
पीसीएस अफसरों के तबादले
1. हरिकांत त्रिपाठी- विशेष सचिव गृह-विशेष सचिव खाद्य एवं रसद।
2.तपेन्द्र प्रसाद- संयुक्त आयुक्त राज्य निर्वाचन आयोग-विशेष सचिव गृह। 3. राम विशाल मिश्रा-विशेष सचिव गृह-विशेष सचिव बेसिक शिक्षा।
4. बाबूलाल अग्रवाल-अपर आयुक्त गोरखपुर मंडल -निदेशक पिछड़ा वर्ग कल्याण।
5. हरीश कुमार वर्मा - विशेष सचिव सिंचाई-अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी यमुना एक्सप्रेस गौतमबुद्धनगर।
6. परमानंद तिवारी- अपर आयुक्त देवी पाटन मंडल- अपर आयुक्त बस्ती।
7. वेद प्रकाश सिंह-एडीएम सिटी मेरठ- विशेष सचिव गृह।
8. विष्णु स्वरूप मिश्रा-अपर निदेशक विकलांग कल्याण-विशेष सचिव नगर विकास।
9.यशवंत राव-महाप्रबंधक उत्तर प्रदेश खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम - विशेष सचिव नगर विकास।
10. हरीशचंद्र- स्थानांतरणाधीन उपनिदेशक परिवार कल्याण- एडीएम गौतमबुद्धनगर।
11. महेन्द्र वर्मा-एडीएम कुशीनगर- उप निदेशक परिवार कल्याण लखनऊ।
12. प्रमोद कुमार उपाध्याय- एडीएम जौनपुर से स्थानांतरणाधीन संयुक्त निदेशक प्रशासन व प्रबंधक अकादमी- निरस्त।
13. राघवेन्द्र विक्रम सिंह- संयुक्त दुग्ध आयुक्त- विशेष सचिव समाज कल्याण।
14. सत्येन्द्र कुमार सिंह-विशेष सचिव समाज कल्याण- अपर आयुक्त दुग्ध।
15. राजेन्द्र कुमार गोयल-विशेष सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य- अपर आयुक्त मेरठ।
16. अनिल राज कुमार- विशेष सचिव नियोजन- विशेष सचिव ग्राम्य विकास।
17. निशा गोयल- स्थानांरणाधीन अपर आयुक्त मेरठ- अपर महानिरीक्षक स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन गाजियाबाद।
18. सतीश कुमार शर्मा- मुख्य राजस्व अधिकारी प्रतापगढ़- एडीएम कुंभ मेला इलाहाबाद।
19. प्रदीप कुमार- एडीएम प्रशासन वाराणसी-अपर नगर आयुक्त नगर निगम इलाहाबाद।
20. इन्द्र विक्रम सिंह- स्थानांतरणाधीन एडीएम सहारनपुर-एडीएम सिटी गाजियाबाद।
21.रामआसरे-प्रतीक्षारत- संयुक्त विकास आयुक्त आगरा।
22. कृष्ण कुमार गुप्ता- मुख्य राजस्व अधिकारी गोरखपुर- एडीएम लखनऊ।
23. जंग बहादुर यादव- विशेष कार्याधिकारी विकास प्राधिकरण मेरठ- सचिव विकास प्राधिकरण मेरठ।
24. अशोक कुमार- उपनिदेशक स्थानीय निकाय-नगर मजिस्ट्रेट इलाहाबाद।
25. डॉ. चन्द्रभूषण- एडीएम बलरामपुर- एडीएम प्रशासन सहारनपुर।
26. श्यामधर पाण्डेय- एडीएम सिद्धार्थनगर-संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद।
27. राम मनोहर मिश्रा-संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा निदेशालय- एडीएम वित्त राजस्व सिद्धार्थनगर।
28. शेषनाथ- अपर आयुक्त आजमगढ़- सचिव विकास प्राधिकरण रायबरेली।
29. राजेन्द्र प्रताप सिंह-उप संचालक चकबंदी गोरखपुर-उप सचिव लोक सेवा आयोग इलाहाबाद।
30. शेषमणि पाण्डेय-सचिव माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड- उप सचिव लोक सेवा आयोग, इलाहाबाद।
31. लालजी राय- नगर आयुक्त नगर निगम मुरादाबाद-विशेष सचिव वन।
32. सुरेश कुमार सिंह-संयुक्त निदेशक महिला कल्याण-नगर आयुक्त नगर निगम मुरादाबाद।
33. राम नारायण सिंह यादव- अपर नगर आयुक्त नगर निगम लखनऊ- उप निदेशक मंडी परिषद लखनऊ।
34. ओमप्रकाश- एडीएम प्रशासन रायबरेली- प्रतीक्षारत।
35. हरि प्रताप शाही- एडीएम वित्त राजस्व रायबरेली से स्थानांतरणाधीन आजमगढ़- एडीएम प्रशासन रायबरेली।
उप जिलाधिकारियों के तबादले
36. केशव कुमार सिंह- देवरिया- बलिया।
37.रतिराम- रामपुर- अमरोहा।
38. शिवदयाल- अमरोहा- हाथरस।
39. अरुण कुमार श्रीवास्तव- प्रतीक्षारत-रामपुर।
शेना बनीं आईएएस टॉपर
नई दिल्ली। देश की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में लगातार दूसरे साल महिला उम्मीदवारों ने पहले दो स्थान पर कब्जा जमाकर फिर अपनी धाक जमाई है। बदले पैटर्न पर हुई इस बार की परीक्षा के नतीजों में देश की विविधता का अनोखा संगम देखने को मिला। शीर्ष 25 स्थान हासिल करने वाली अभ्यर्थी 16 राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
संघ लोक सेवा आयोग द्वारा शुक्रवार को घोषित नतीजों के मुताबिक एम्स से एमबीबीएस शेना अग्रवाल ने आइएएस परीक्षा टॉप की है। यह उनका तीसरा प्रयास था। हरियाणा के यमुनानगर की शेना ने 12वीं पास करते ही कहा था, आइएएस बनूंगी। वर्ष 2009 में शेना संघ लोक सेवा आयोग [यूपीएससी] की परीक्षा में शामिल हुई। उसका आइआरएस [इंडियन रेवेन्यू सर्विस] के लिए चयन हुआ। गत पांच माह से शेना नागपुर में आइआरएस अधिकारी के रूप में प्रशिक्षण भी प्राप्त कर रही है, लेकिन उसे और बुलंदियों को छूना था।
मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से सामाजिक उद्यम में स्नातकोत्तर रुक्मिणी रियाड़ ने पहले ही प्रयास में दूसरी रैंक हासिल की। आइआइटी दिल्ली से एमटेक प्रिंस धवन तीसरे स्थान पर रहे। वह भी पहली कोशिश में कामयाब रहे। टॉप 25 में ज्यादातर उम्मीदवार एम्स, आइआइएम और आइआइटी के पूर्व छात्र हैं। एक ने लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की है और 12 ऐसे हैं जो पहले ही सिविल सेवा के लिए चुने जा चुके थे, लेकिन आइएएस पाने के लिए उन्होंने इस बार फिर परीक्षा दी थी।
सबसे अहम बात यह रही कि नतीजे अखिल भारतीय तस्वीर पेश करते हैं। आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तराखंड के स्थायी निवासी उम्मीदवारों ने टॉप 25 में जगह बनाई है। इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि में भी पर्याप्त विविधता झलकती है। शीर्ष 25 के भावी सिविल सेवक शिक्षक, उद्यमी, निम्न मध्यम वर्ग, सैनिक, डॉक्टर, वकील और सिविल सेवकों के परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अनुसार कुल 1001 रिक्तियों के मुकाबले 910 उम्मीदवारों का अंतिम रूप से चयन किया गया। दरअसल, आरक्षित श्रेणी के 91 अभ्यर्थियों ने सामान्य कोटे में जगह बनाई है। सफल उम्मीदवारों में 715 पुरुष और 195 महिलाएं हैं। इनका चयन आइएएस, आइएफएस, आइपीएस समेत विभिन्न केंद्रीय सेवाओं में नियुक्ति के लिए किया गया है।
आईएएस प्री परीक्षा के प्रवेश पत्र ऑनलाइन
इलाहाबाद। संघ लोक सेवा आयोग ने आईएएस परीक्षा के प्रवेश पत्र गुरुवार को ऑनलाइन कर दिए हैं। साथ ही अस्वीकृत किए गए आवेदन पत्रों से संबंधित विवरण को कारण सहित ऑनलाइन किया गया है। 20 मई को देशभर में एक साथ होने वाली प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र संघ लोक सेवा आयोग की वेबसाइट यूपीएससी.जीओवी.इन से डाउनलोड किए जा सकते हैं।
संघ लोक सेवा आयोग ने अभ्यर्थियों को उनके ईमेल पर भी परीक्षा केंद्र के बारे में जानकारी देने की व्यवस्था की है। हालांकि इस बार केवल ई-प्रवेश पत्र ही जारी करने की घोषणा की है। डाक से प्रवेश पत्र नहीं भेजे जाएंगे।
आयोग ने अभ्यर्थियों को सलाह दी है कि यदि अभ्यर्थी के ई-प्रवेश पत्र पर फोटो नहीं लगी है या स्पष्ट नहीं है तो परीक्षा केंद्र पर पहचान का प्रमाण पत्र लेकर ही जाएं। इसके अलावा प्रवेश पत्र के दो प्रिंटआउट सहित दो फोटोग्राफ लाना होगा। किसी प्रकार की विसंगति की स्थिति में अभ्यर्थियों को पांच मई तक आयोग को ईमेल के माध्यम से अवगत कराना होगा। आयोग ने अभ्यर्थियों को परीक्षा में केवल काला बाल प्वाइंट पेन का प्रयोग करने की सलाह दी है। पूर्व में एसबी पेंसिल का प्रयोग करने को कहा गया था, जिसे बाद में बदल दिया गया।
आइएएस के 1700 पद खाली
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा है कि देश में इस समय आइएएस के 1700 पद खाली हैं। सबसे ज्यादा 216 पद उत्तर प्रदेश में रिक्त हैं। कार्मिक राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने बुधवार को लोक सभा में प्रश्न काल के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आइएएस के कुल 6154 के मुकाबले 4377 पद भरे हैं। उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार में 128, झारखंड में 100 और पंजाब में 60 पद रिक्त हैं।
भ्रष्टाचार के 600 मामले दर्ज
सीबीआइ ने पिछले साल भ्रष्टाचार के 600 मामले दर्ज किए हैं। नारायणसामी ने लोक सभा में यह जानकारी देते हुए बताया कि जांच एजेंसी ने पिछले तीन साल में 1459 मामलों में सरकारी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों से अनुमति मांगी है। इन मामलों में ढाई हजार से ज्यादा सरकारी अधिकारी शामिल हैं।
रिश्वत लेने वालों के साथ-साथ रिश्वत देने वालों के खिलाफ भी सीबीआइ कार्रवाई कर रही है। पिछले तीन साल में ऐसे 36 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है।
आत्महत्या एवं आपसी हत्या का शिकार हुए 1426 सैन्यकर्मी रक्षा मंत्री एके एंटनी ने एक लिखित जवाब में राज्य सभा को बताया कि पिछले 12 साल में आत्महत्या और साथियों की गोली का शिकार बनने वाले सैन्यकर्मियों की संख्या 1426 रही। थल सेना ने इन घटनाओं में सबसे ज्यादा 1150 कर्मी खोए। इस साल अब तक 27 कर्मी शिकार हुए हैं। उन्होंने मानसिक तनाव, व्यक्तिगत और वित्तीय समस्याओं को इन घटनाओं की वजह बताया।
दबाव के आगे न झुकें अधिकारी
नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार को नव चयनित नौकरशाहों से कहा कि वे सेवा के दौरान विभिन्न हल्कों से आने वाले दबाव के बाद भी मजबूती से खड़े रहें और बदलाव के प्रतिनिधि बनें।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के नए बैच को संबोधित करते हुए कार्मिक एवं लोक शिकायत मंत्री वी नारायणसामी ने कहा कि नए अधिकारी अपने मन में ध्यान रखें कि वे आधारभूत स्तर पर जनता की सेवा कर रहे हैं।
मंत्री ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि वे बदलाव के प्रतिनिधि हैं और लोग उनसे अपनी समस्याओं के समाधान की उम्मीद रखेंगे।
आईएएस कम मेहनत से पाएं बेहतर स्कोर
सिविल सेवा परीक्षा में काफी स्टूडेंट्स मुख्य परीक्षा के लिए चयनित होते हैं, लेकिन इनमें से कुछ स्टूडेंट्स ही इंटरव्यू के लिए क्वालीफाई कर पाते हैं। यदि आप भी इसकी तैयारी में जुटे हैं और प्रारंभिक परीक्षा के प्रति आश्वस्त हैं, तो आप इस परीक्षा में पूछे जानेवाले विषयों से अवगत हों। मुख्य परीक्षा में निबंध अनिवार्य विषय है। यहां निबंध 200 अंकों का होता है।
प्रश्नों के अनुरूप करें तैयारी
मुख्य परीक्षा के निबंध के प्रश्नपत्र में छ: निबंध दिए जाते हैं। इनमें से किसी एक पर तीन घंटे की अवधि में लिखना होता है। आदर्श निबंध लगभग 1800-2000 शब्दों में लिखना चाहिए।
पहले ही तय कर लें टॉपिक
निबंध में बेहतर अंक के लिए पहले निबंध के विषय क्षेत्र को चयनित करना जरूरी है। यदि आप परीक्षा में पूछे गए निबंध को देखेंगे, तो सामान्य तौर पर निबंध के क्षेत्र महिला विषय से संबंधित, साहित्य क्षेत्र, विज्ञान व प्रौद्योगिकी विषयों से संबंधित, समकालीन मुद्दों आदि से संबंधित तथा एक निबंध जीवन-जगत के दार्शनिक पहलुओं से संबद्ध उच्च चिंतन का होता है। बेहतर होगा कि आप पहले ही अपनी रुचि के अनुरूप एक विषय को चुन लें और उसी से संबंधित तैयारी पर फोकस करें।
व्यवस्थित और तर्कपूर्ण लिखें
इस पेपर का मकसद आपकी सोच, भाषा-शैली और सहज अभिव्यक्ति को परखना है। आप जिस विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं, उससे संबंधित मैटेरियल एकत्रित कर लें। जहां भी एनालिटिकल और महत्वपूर्ण लेख मिले उसे अवश्य पढें और महत्वपूर्ण सेंटेंस और वक्तव्य को डायरी में नोट करते चलें। निबंध में लेखन क्रमबद्ध, संक्षिप्त एवं मौलिक होना चाहिए। उत्तर लिखते समय प्रश्न के सभी पहलुओं का ध्यान रखें, क्योंकि अगर कोई भी पहलू छूट गया, तो उत्तर अधूरा माना जाएगा। बेहतर होगा कि उत्तर लिखने से पहले ही इसका एक खाका अपने दिमाग में या फिर रफ पेपर पर बना लें, जिसमें बिंदुओं के रूप में उन बातों को लिख लें, जिन्हें अपने उत्तर में शामिल करना है। निबंध लिखने के बाद अपने उत्तरों पर पुन: एक नजर डालें, ताकि कोई गलती न रह जाए। इसके अलावा आवश्यक बिंदुओं को हाईलाइटर या स्केच पेन से रेखांकित भी कर दें।
विजय झा
तबादलों का ताजा दौर
उत्तर प्रदेश में आइएएस, आइपीएस, पीसीएस और पीपीएस अधिकारियों के बड़े पैमाने पर तबादलों से कई सवाल खड़े होते हैं। आश्चर्यजनक है कि बड़ी संख्या में आइएएस, आइपीएस, पीसीएस और पीपीएस अधिकारियों का तबादला तो कर दिया गया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि दर्जनों अधिकारियों को इधर से उधर कर देने का निर्णय किन कारणों से लिया गया? हो सकता है कि अधिकारियों के तबादलों के संदर्भ में राज्य सरकार की ओर से यह कहा जाए कि ऐसा शासन की जरूरत के तहत किया गया है, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि एक वर्ष के अंदर ही दूसरी या तीसरी बार इतने बड़े पैमाने पर तबादले कर दिए गए। इसके पहले राज्य में सपा की सरकार बनते ही करीब-करीब प्रत्येक अधिकारी को ताश के पत्तों की तरह इधर से उधर कर दिया गया था। चूंकि उत्तर प्रदेश में शासन में परिवर्तन होते ही अधिकारियों के तबादलों का एक रिवाज सा बन गया है इसलिए अधिकारियों का स्थानांतरण अपेक्षित भी था, लेकिन तबादलों के ताजे दौर का औचित्य समझना कठिन है। यदि इतने बड़े पैमाने पर अधिकारियों के तबादले उन शिकायतों के चलते किए गए जिनके तहत यह कहा जा रहा था कि नौकरशाही सही ढंग से कार्य नहीं कर रही है और उसके खिलाफ सख्ती का परिचय देने की आवश्यकता है तो भी यह कहना कठिन है कि इन तबादलों से कुछ विशेष हासिल हो सकेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि उत्तर प्रदेश में अब ऐसी स्थिति बन गई है कि तबादलों को किसी दंड की संज्ञा नहीं दी जा सकती। यदि यह सोचा जा रहा है कि रह-रहकर किए जाने वाले तबादलों से नौकरशाही पर सही तरह काम करने के लिए दबाव बनाया जा सकता है तो ऐसा कुछ होने के आसार न के बराबर ही हैं। बेहतर हो कि राज्य सरकार उन तौर-तरीकों की खोज करे जिनकी मदद से प्रशासनिक तंत्र को पटरी पर लाया जा सकता है। जब तक ऐसा नहीं किया जाता तब तक न तो नौकरशाही के कामकाज की खामियां दूर होने वाली हैं और न ही प्रशासनिक तंत्र से आम जनता और शासन की अपेक्षाएं पूरी होने वाली हैं।
[स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश]
आईएएस: बदला पैटर्न, बदली चुनौती
संघ लोकसेवा आयोग ने इस साल से मुख्य परीक्षा में कई महत्वपूर्ण फेरबदल किए हैं। माना जा रहा है यूपीएससी की यह पहल पाठ्यक्रम को और ज्यादा व्यापक व प्रतिस्पर्धी बनाने में मददगार होगी। लेकिन इसके चलते मुख्य परीक्षा दे रहे तमाम उम्मीदवारों की तैयारियों पर बडा फर्क?पडेगा। उनमें से ज्यादातर को अपनी तैयारी का खाका नए सिरे से खींचना पड सकता है। इसमें सबसे ज्यादा समस्याएं उन छात्रों के समक्ष खडी होंगी जो एक से अधिक बार प्रारंभिक परीक्षा क्वालीफाई कर मुख्य परीक्षा में बैठ चुके हैं।
मुख्य परीक्षा के महत्वपूर्ण बदलाव
सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषयों की जीएस को अधिक महत्व दिया गया है। अब से मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषयों के 250-250 अंकों के कुल 500 अंकों के दो पेपर होंगे। जबकि पहले दो विषयों के 600-600 अंकों के कुल 1200 अंकों के चार प्रश्नपत्र हुआ करते थे। वैकल्पिक विषयों के दबाव को हल्का करने में आयोग की सोच ऐसे कैंडीडेट्स के चयन की है जो हर चीज की थोडी-थोडी जानकारी रखते हों।
जीएस हुआ निर्णायक
यूं तो सामान्य ज्ञान हमेशा से ही आईएएस परीक्षा में महत्वपूर्ण?भूमिका निभाता है। लेकिन पैटर्न?में बदलाव से इसकी भूमिका पहले से और बढ गई है। सिविल सेवा परीक्षा 2013 में सामान्य अध्ययन के चार अनिवार्य पेपर होंगे। इनमें से प्रत्येक 250 अंक का होगा। पहले जीएस में 300-300 अंकों के महज दो प्रश्न पत्र ही हुआ करते थे। बदलती वैश्विक जरूरतों के मुताबिक इसमें नैतिकता, अखंडता, अचारनीति, अभियोग्यता जैसी नई चीजें जोडी गई हैं।
अंग्रेजी बना स्कोरिंग सब्जेक्ट
परीक्षा पैटर्न में बदलावों से अंग्रेजी ज्ञान का महत्व बढा है। इसके जरिए अब मुख्य परीक्षा के प्रथम पेपर के दूसरे सेक्शन में इंग्लिश कॉम्प्रिहेंसन व इंग्लिश प्रेसी के 100 अंकों के प्रश्न अनिवार्य कर दिए गए हैं। पहले जहां इस सेक्शन को केवल क्वालीफांइग माना जाता था लेकिन अब से ये आपकी स्कोरिंग व मेरिट पर सीधा असर डालेगा। विशेषज्ञों की राय में अब तक अंगे्रजी में कामचलाऊ नॉलेज के जरिए क्वालीफाई?हो जाने वाले कैंडीडेट्स के समक्ष इस बदलाव से बडी चुनौती खडी हो गई है।
साक्षात्कार का भी बदला चेहरा
आयोग द्वारा मुख्य परीक्षा में फेरबदल की आयोग की पहल से साक्षात्कार पर भी प्रभाव पडा है। अब से साक्षात्कार पहले के 300 के बजाय केवल 275 अंकों का होगा।
बदला तैयारी का परिदृश्य
आईएएस मुख्य परीक्षा के पेपर में काफी फेरबदल किए गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अगर आप अपनी तैयारी नए सिरे से करते हैं तो आपकी तैयारी औरों से बेहतर हो सकती है। क्या हो नई रणनीति..
हालिया बदलावों के मद्देनजर सामान्य अध्ययन की महत्ता बढी है। लिहाजा आपको इसमें न केवल अपनी पकड बनानी होगी बल्कि अध्ययन की दृष्टि से इसमें व्यापकता भी लानी होगी। जिस तरह से सिलेबस में नई?सामाजिक-आर्थिक जरूरतों के चलते सहज योग्यता, नैतिकता, अखंडता जैसे विषय जोडे गए हैं, परीक्षार्थियों को इसके लिहाज से अपनी रणनीति तय करनी होगी। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि इस परीक्षा में जीएस का कद जिस तरह बढाया गया है अब वे ही कैंडीडेट्स सफलता का स्वाद चख सकेंगे जिन्होंने इसका गहन अध्ययन किया होगा।
इंग्लिश पर मजबूत पकड है अनिवार्य- भारतीय प्रशासनिक सेवा एक अखिल भारतीय परीक्षा है?जिसमें एक बार अंतिम रूप से चयनित हो जाने पर आपको देश के किसी भी हिस्से में पोस्टिंग के लिए तैयार रहना होता है। ऐसे में यदि इंग्लिश पर कमांड नहीं है तो काम के दौरान परेशानियों का सामना करना पड सकता है। शायद यही कारण है कि प्रथम पेपर के द्वितीय सेक्शन में अब इंग्लिश कंम्प्रिहेंशन, पैशेज राइटिंग जैसी चीजों को अनिवार्य बना दिया गया है और अब ये महज क्वालीफाइंग नहीं बल्कि मेरिट पर असर डालेंगी। हिंदी माध्यम से आने वाले उम्मीदवारों को इस क्षेत्र में तगडी मेहनत करनी होगी। स्तर हाईस्कूल का होगा। इस विषय की बल्क स्टडी नहीं बल्कि क्वालिटी स्टडी महत्वपूर्ण है।
वैकल्पिक विषयों के अध्ययन की नई रणनीति- इस बार वैकल्पिक विषयों का वेटेज कम किया गया है। इस कारण वे उम्मीदवार जिनकी परीक्षा की तैयारी अब तक वैकल्पिक विषयों के इर्द गिर्द घूमती थी, उन्हें अपनी तैयारियों का पुनरावलोकन करना होगा। और देखना होगा कि इन विषयों पर किया गया अतिरिक्त फोकस कहीं दूसरे सेक्शन के अध्ययन को तो प्रभावित नहीं कर रहा है।
सीसैट: जीत से कम कुछ नहीं
प्रतियोगी परीक्षाओं की दुनिया के सबसे बडे इम्तिहान आईएएस की प्रारंभिक परीक्षा आगामी 26 मई को है। चूंकि अब वक्त कम है और करने को बहुत कुछ है? इसलिए आवश्यक है कि जल्द से जल्द 2011 से बदले सीसैट पैटर्न?के अनुरूप अपनी तैयारियों को अंतिम रूपरेखा दी जाए।
विशेषज्ञ मानते हैं कि नए पैटर्न के आ जाने से छात्रों की परेशानी कम हो रही है बल्कि अब छात्र कम प्रयास में ही सेलेक्टिव अध्ययन में ही प्रिलिम्स क्वालीफाई कर रहे हैं। जबकि पहले विषय पर पकड बनाने में ही उनकी अधिकांश ऊर्जा खप जाती थी। अन्य लिहाज से देखें तो सीसैट के सेकेंड पेपर में पूछी जाने वाली ज्यादातर चीजें जैसे न्यूमेरिक्स, कॉम्प्रिहेंसन, जनरल सांइस, इंग्लिश, लॉजिकल रीजिनिंग अमूमन सभी परीक्षाओं में आम होती हैं। लिहाजा लगातार प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हो रहे छात्रों के लिए प्रिलिम्स का लाल बुझक्कड समझना कठिन नहीं रहा।
इंडियन हिस्ट्री- इसके अध्ययन हेतु 11वीं, 12वीं, एनसीईआरटी, सुमित सरकार विपिन चंदा, स्पेक्ट्रम ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ इंडिया पुस्तकें उल्लेखनीय हैं।
इंडियन पॉलिटी एंड गवर्नेस- इसकेअंतर्गत राज्य व्यवस्था, पंचायती राज्य, संविधान आदि से प्रश्न पूछे जाते हैं। बेहतर अंक के लिए सुभाष कश्यप (अवर कॉन्स्टीट्यूशन), डीडी बसु (कॉन्स्टीट्यूशन ऑफ इंडिया) लक्ष्मीकांत (इंडियन पॉलिटी) उपयोगी हैं।
जनरल साइंस- इस पेपर में बेहतर करने के लिए हिंदू संाइस सप्लीमेंट, विजार्ड स्पेशल सप्लीमेंट फॉर सांइस का अध्ययन अनुशंसित है।
इकोनॉमिक एंड सोशल डेवलेपमेंट- इसमें अच्छे अंक के लिए बजट, इकोनॉमी सर्वे, सोशल सेक्टर स्पेंडिंग, डब्लूटीओ टर्मनेलॉजी, फॉरेन इंवेस्टमेंट, सरकारी नीतियों का अध्ययन करें। योजना, कुरुक्षेत्र, दत्त व सुंदरम की इकोनॉमी हिंदू इकोनॉमिक सर्वे, बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार आपकी राह सुगम बना सकते हैं। भारत व विश्व का भूगोल- ज्योग्राफी में प्रमुख नदियां, पर्वत, पत्तन, वायुमार्ग, फिजिकल ज्योग्राफी के प्रश्नों की संख्या ज्यादा रहती है। अध्ययन के लिहाज से जीसी लिओंग की सर्टिफिकेट फिजिकल एड ह्यूमन ज्याोग्राफी, इंडिया ईयर बुक को वरीयता दें।
करेंट अफेयर्स- इसके पूर्ण अध्ययन के लिए एक राष्ट्रीय स्तर के अखबार, उसके संपादकीय का गहन व नियमित अध्ययन इस प्रभाग से पार पाने का सबसे पुख्ता जरिया है। इस दौरान जागरण ईयर बुक के साथ आसपास घटने वाली घटनाओं से भी अपडेट रहें।
द्वितीय पेपर की तैयारी
कॉम्प्रिहेंसन
कॉम्प्रिहेंसन हिंदी व इंग्लिश दोनों में ही पूछे जाते हैं। तैयारी के दौरान यदि आप नियमित हिंदी इंग्लिश अखबार का अध्ययन करते आएं हैं तो यहां बेहतर करने की खूब गुंजाइश है। विशेषज्ञों का मानना है कि पैसेज हल करने के पूर्व उसे दो से तीन बार पढें, पैसेज को कथानक के रूप में दिमाग में बैठाने की कोशिश करें। अध्ययन के लिए हाईस्कूल स्तर क ी किताबें सही रहेंगी।
इंटरपर्सनल स्किल्स
कैंडीडेट्स की क म्यू-निकेशन क्षमताओं को परखने के लिए इंटरपर्सनल स्किल्स उपयोगी होती हैं। प्रश्नपत्र प्रारूप में इसमें फिल इन द ब्लैंक्स, सिनोनिम्स, एंटोनिम्स, एनालॉग, जंबल पैराग्राफ, वर्ड सब्सीट्यूशन जैसी चीजें आती हैं। लाजिकल रीजनिंग एंड एनालिटिकल एबिलिटी इसके अंतर्गत भविष्य के प्रशासकों की व्यवहारिक क्षमता का आकलन होता है। यही कारण है कि इसमें पूछे जाने वाले प्रश्नों का दायरा कैट, बैंक पीओ एग्जाम से थोडा अलग है। इस पार्ट में अच्छे अंक लाने के लिए ब्लड रिलेशनशिप, सिटिंग अरेंजमेंट, कोडिंग, डिकोडिंग पर खास ध्यान दें। आरएस अग्रवाल, टाटा मैग्रा एंड हिल की किताबें लाभप्रद साबित हो सकती हैं।
जनरल मेंटल एबिलिटी
इस प्रभाग में उम्मीदवार से सामान्य मानसिक क्षमता प्रदर्शन की अपेक्षा की जाती है। इसमें एज, रिलेशन, सेट्स, डाइस (पासा), डायरेक्शन, वेन आरेख, बेसिक काउंटिंग के सवालों पर ज्यादा ध्यान दें। इस परीक्षा की तैयारी के लिए पुराने सैंपल पेपर्स हल करना उपयोगी होगा।
डिसीजन मेकि ंग, प्रॉब्लम सॉल्विंग
यहां आपक ो एप्लीकेशन बेस्ड क्वेश्चन हल करने होते हैं। अमूमन इन सवालों में आपको एक खास परिस्थिति में सही निर्णय करने की चुनौती दी जाती है।
बेसिक न्यूमेरेसी (साधारण अंकगणित)
इस सेक्शन में कैंडीडेट्स की सामान्य गणितीय क्षमताओं की परख होती है। इस दौरान यदि आप नंबर सिस्टम, एवरेज, टाइम-डिस्टेंस, प्रॉफिट लॉस जैसे सवालों पर ज्यादा फोकस करेंगे तो अच्छा होगा। डेटा इंटरप्रिटेशन के लिए ग्राफ, चार्ट, बार डॉयग्राम के प्रश्नों का अभ्यास अवश्य करें।
जेआरसी टीम
आफ्टर 10+2
12वीं की परीक्षाएं खत्म होने के बाद भी चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। यदि आप भी 12वीं के बाद कॅरियर की आगामी दिशा और विभिन्न परीक्षाओं के बारे में पेशोपेश में हैं तो यहां दिए जा रहे विकल्प आपकी मदद कर सकते हैं.. कंपटीशन की खुली आजमाइश
एजूकेशन सिस्टम में 12वीं को एक बडा मील का पत्थर माना जाता है। इसकी रूपरेखा का निर्धारण ही कुछ इस प्रकार किया गया है कि छात्र आने वाले दौर में कॅरियर की कठिन चुनौतियों के लिए तैयार हो सकें। यही कारण है कि इसमें मैथ्स, बायो या फिर आर्ट्स- सभी विषयों का स्तर काफी ऊंचा रखा जाता है और शायद इसी के चलते देश में होने वाली ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने की पात्रता की शर्त 12वीं पास होना होती है। इसमें उत्तीर्ण होने का मतलब है कि छात्र प्रतिस्पर्धा के नेक्स्ट लेवल पर जाने को तैयार है। केवल कंपटीशन ही क्यों, स्नातक स्तर पर जाने का पहला स्टैप भी12वीं हीं है। यदि आप भी इस पहले स्टैप को पार कर चुके हैं या फिर पार करने की तैयारी में हैं तो आपके सामने विकल्पों का पूरा संजाल है। किस तरफ जाना है और कैसे जाना है, यह आपको तय करना है।
अर्ली स्टार्ट, अर्ली रिजल्ट
कहा जाता है कि अर्ली स्टार्ट तभी काम आता है, जब उसको अंजाम तक पहुंचाने की एक ठोस योजना भी आपके पास हो। इन दिनों 10+2 के बाद छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिए कॅरियर में अर्ली स्टार्ट मिल रहा है, जहां वे कम उम्र में ही कॅरियर को मुकाम दे सकते हैं। आज वह दौर नहीं रहा, जिसमें छात्र पहले स्कूल, फिर कॉलेज की लंबी शक्षिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद कॅरियर के बारे में सोचा करते थे। इन दिनों इंजीनियरिंग से लेकर मेडिकल, डिफेंस, जर्नलिज्म व लॉ जैसे क्षेत्र 10+2 पासआउट स्टूडेंट्स के लिए अवसरों की खान साबित हो रहे हैं। आज इन कोर्स के जरिए सही मायने में उच्च गुणवत्ता वाले स्टूडेंट्स तैयार किए जा रहे हैं। कोर्स?पूरा करने के बाद बेहतरीन सैलरी पैकेज, सफल व्यावसायिक जिंदगी उम्मीदवारों का स्वागत करते हैं। लेकिन बडा प्रश्न है इनकी प्रवेश परीक्षाओं में चयन का। जवाब में विशेषज्ञों व आंकडों का निचोड कहता है कि अगर स्टूडेंट्स तैयारी के दौरान अपने जुझारू तेवर कायम रख सकें तो मुश्किल कुछ भी नहीं है।
इंजीनियरिंग- 0+2 (पीसीएम ग्रुप) से पास छात्रों के लिए इंजीनियरिंग आज भी सबसे पसंदीदा च्वाइस है। यहां हर वर्ष राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर इंजीनियरिंग परीक्षाओं का आयोजन होता है। इनमें क्वालीफाइड उम्मीदवारों को उनकी मेरिट के अनुसार इंजीनियरिंग कॉलेज आवंटित किए जाते हैं। यदि आप 12वीं मैथ्स ग्रुप के साथ तकनीकी मेधा से संपन्न हैं तो इंजीनियरिंग एक उम्दा राह हो सकती है।
डिजाइन में डेकोरेटिव क ॅरियर - अगर डिजाइन में रुचि है, तो आप बारहवीं के बाद इससे संबंधित कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। अमूमन डिजाइन संस्थान अंडरग्रेजुएट कोर्स ऑफर करते हैं, जिसके लिए एक प्रवेश परीक्षा होती है। अगर आप डिजाइन में कॅरियर को नई उडान देना चाहते हैं, तो आपके लिए बेहतर कॅरियर विकल्प है।
मेडिकल में कॅरियर का मरहम- 0+2 बायोस्ट्रीम के छात्रों के लिए मेडिकल परीक्षा सबसे बडा लक्ष्य होती है। मेडिकल परीक्षाओं में एआईपीएमटी, एम्स, बीएचयू सबसे अहम हैं। यही नहीं आर्म्स फोर्स मेडिकल एंट्रेस एग्जाम, मनिपाल पीएमटी, डीयू मेडिकल टेस्ट के साथ-साथ ज्यादातर राज्य स्तर पर आयोजित होने वाली मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं भी स्टूडेंट्स के लिए महत्वपूर्ण पडाव साबित होती हैं। ज्यादातर मेडिकल परीक्षाओं का आयोजन अप्रैल व मई महीनों में होता है।
डिफेंस है डिपेंडेबल कॅरियर- 12वीं के बाद डिफेंस की राह चलने वालों के लिए अवसरों की कमी नहीं है। साल में दो बार आयोजित होने वाली एनडीए परीक्षा इन युवाओं का सबसे बडा लक्ष्य होता है, जिसमें सफल होकर आप तीनों ही सेनाओं में बतौर ऑफिसर काम कर सक ते हैं। जाहिर है जो रुतबा और देश के लिए कुछ करने की संतुष्टि यहां है, वह और कहीं नहीं। केवल एनडीए ही नहीं नेवी, एयरफोर्स, कोस्ट गार्ड्स में भी टेक्निकल और नॉन टेक्निकल कैटेगिरी में 12वीं उत्तीर्ण कैंडिडेट्स को मौके मिलते हैं।
और भी हैं राहें- न्यायालयों को देश में व्यवस्था संचालन की रीढ कहा जाता है। यदि आप भी इस रीढ का हिस्सा बन देश को मजबूत करना चाहते हैं तो क्लैट यानि कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट एक सुनहरा अवसर है। इस टेस्ट का उपयोग देश के 14 नेशनल लॉ स्कूल/यूनिवर्सिटीज अपने अंडर ग्रेजुएट व पीजी प्रोग्रामों में प्रवेश के लिए करते हैं। इसके अलावा आप बारहवीं के बाद सीए, सीएस, आईसीडब्ल्यूएआई परीक्षा भी दे सकते हैं।
कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट
परीक्षा : 13 मई 2012
सीए, सीएस, आईसीडब्ल्यूएआई फाउंडेशन
परीक्षा : जून और दिसंबर
आईआईटी-जेईईई
परीक्षा : अप्रैल माह
एआईईईई
परीक्षा : 29 अप्रैल 2012
रेलवे एससीआरए
परीक्षा : जनवरी माह
एआईपीएमटी
परीक्षा : अप्रैल माह
एम्स एमबीबीएस
परीक्षा : जून 2012
आर्म्ड फोर्स मेडिकल एग्जाम
परीक्षा : 6 मई
एनडीए एग्जाम
परीक्षा: 15 अप्रैल 2012
एयरफोर्स टेकिन्कल एग्जाम
आर्मी और नेवी एग्जाम
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ डिजाइन
परीक्षा : जनवरी माह
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी
परीक्षा: जनवरी माह
नेशनल एप्टीटयूड टेस्ट इन आर्किटेक्चर
परीक्षा: 15 मार्च, 2012
चुनो वही, जो हो सही
निर्णय लेना एक प्रक्रिया का हिस्सा है। अगर आप कुछ बातों को ध्यान में रखकर राह चुनेंगे, तो कामयाबी मिथक नहीं सच्चाई बन जाएगी..
12वीं कॅरियर की वह नाजुक डोर होती है, जिसके छूने भर से कॅरियर के पूरे खाके में झनझनाहट तय है। अब यह निर्भर क रता है कि आप इस डोर को छूकर कामयाबी का मधुर संगीत पैदा करते हैं या इसके टूट की वजह बनते हैं। वैसे भी आज का दौर उस जमाने जैसा नहीं रहा, जब कॅरियर निर्माण के कु छ गिने चुने ही रास्ते हुआ करते थे। आज रास्तों का पूरा संजाल फैल चुका है, लेकिन इससे एक नई समस्या छात्रों के समक्ष उठ खडी हुई है-समस्या सही विकल्प चुनने की। इस समस्या के बीच हम कुछ ऐसी चीजें दे रहे हैं, जिन्हें फॉलो करें तो 12वीं के बाद कई समस्याओं का हल निकल सकता है।
एरिया ऑफ इंट्रेस्ट- हम कक्षाएं तो पार करते रहते हैं, लेकिन न तो हमें और न ही हमारे अभिभावकों को पता रहता है कि आखिर हमारी रुचियां किस दिशा में हैं। इस कारण जरूरी है कि हम सबसे पहले अपनी रुचियों को समझें। इससे कॅरियर चयन में काफी आसानी होती है, क्योंकि हर इंसान का अपना ही व्यक्तित्व होता है जिसके अनुरूप वह अपने आस-पास की चीजों के प्रति एक खास रवैया रख पाने के काबिल होता है। आज की तारीख में 10+2 के बाद कॅरियर की कई च्वाइसेस इसी मानव व्यक्तित्व के इर्द गिर्द?घूमती हैं।
खूबी व कमजोरी जानो
मुक्केबाजी के खेल में अपर कट की अपनी ही अहमियत है, जिसमें विपक्षी मुक्केबाज सामने वाले के आंख के ऊपरी हिस्से पर चोट पहुंचाकर उसकी देखने की क्षमता को प्रभावित करता है। यदि मुक्केबाज अनुभवी है तो मुकाबले के दौरान अपने इस कमजोर पक्ष को प्रोटेक्ट करता है। कॅरियर के मुकाबले में भी यह रणनीति कारगर है।
स्किल्स का नहीं कोई अल्टरनेटिव- हर कंपनी चाहती है कि उसका इम्प्लॉई कंपनी के लिए अपना शत प्रतिशत दे। पर शत प्रतिशत दे पाना तभी संभव है, जब कर्मचारी अपने काम के साथ कुछ खास स्किल्स में भी निपुण हो। कम्यूनिकेशन स्किल्स, टेक्नोसेवी, भाषा पर अच्छी पकड, पर्सुएशन पावर, लीडरशिप, राइटिंग आदि ऐसी ही स्किल्स हैं। कॅरियर की लंबी यात्रा में अपनी सीट रिजर्व कराने के लिए इनमें से किसी एक स्किल्स में परफेक्ट होना जरूरी है।
कार्य की प्रकृति समझना अहम
देश की तेज इकोनॉमिक ग्रोथ ने संस्थानों की प्रकृति के साथ वहां के वर्क कल्चर को भी बदला है। इस कारण इनमें कार्य करने वालों के लिए संस्थानों की बदली प्रकृति के साथ खुद में परिवर्तन लाना भी जरूरी हो चला है। आज मीडिया से लेकर इंडस्ट्रियल यूनिट, मार्केटिंग तक सभी का नेचर ऑफ वर्क अलग-अलग है, जिनमें देर रात तक शिफ्ट, फील्ड वर्क जैसी चीजें आम हैं। यदि आप भी 12वीं बाद कॅरियर चुनते समय कार्य का नेचर समझेंगे तो बेहतर होगा।
वित्तीय सामर्थ्य- यह ठीक है कि एजूकेशन लोन व स्कॉलरशिप्स ने छात्रों की राहें आसान की हैं। खास कॅरियर विकल्प को चुनने से पहले अपनी व अपने परिवार की आर्थिक सामर्थ्य जरूर देखें। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें छात्रों ने एकाएक किसी कॅरियर के बारे में निर्णय लिया हो और बाद में संसाधनों की कमी के चलते उन्हें पीछे हटना पडा हो। पैरेंट्स से सलाह, कॅरियर कांउसलर से बातचीत इस बारे में आपकी राह आसान कर सकती है।
पहली पसंद एकेडमिक कोर्सेस
प्रोफेशनल कोर्स के बावजूद नामी कॉलेजों के एकेडमिक कोर्सेज में एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स कठिन मेहनत करते हैं। कुछ कॉलेजों में एडमिशन के लिए कट ऑफ सौ प्रतिशत तक पहुंच जाते हैं..
आज देश में कॅरियर बनाने के लिए तरह-तरह के कोर्स /शॉर्ट टर्म कोर्स उपलब्ध हैं, जिन्हें पूरा कर कॅरियर की श्योर गारंटी पाई जा सकती है। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि परंपरागत स्नातक/परास्नातक शिक्षा का केंद्र कहे जाने वाले डिग्री कॉलेज अप्रासांगिक हो गए हैं। सच तो यह है कि प्रोफेशनल कोर्सो से मिल रही चुनौती के चलते इन्होंने अपना रंग ढंग तेजी से बदला है, जिसके चलते इन कॉलेजों का आकर्षण बढा है। आज स्थिति यह है कि बेहतरीन माहौल, विश्व स्तरीय फैकल्टी और एक से बढकर एक संसाधनों से लैस इन कॉलेजों में दाखिला बहुतेरे छात्रों का ख्वाब होता है और यहां से ¨सपल डिग्री लेने के बाद ही अच्छी नौकरी मिल जाती है। ऐसे में हम यहां देश के कुछ प्रमुख कॉलेज दे रहे हैं, जिसकेबीए, बीएससी, बीकॉम जैसे कोर्सो की रंगत देश के साथ विदेश में भी देखी व महसूस की जा रही है।
श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स- दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले एसआरसीसी यानि श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स की साख देश में ही नहीं पूरी दुनिया में है। देश के कुछ सबसे बेहतरीन शक्षिक संस्थानों में शुमार होने वाला एसआरसीसी में दाखिले का मतलब ही है भीड से अलग।
स्थापना वर्ष-1926
प्रमुख कोर्स-कॉमर्स व इकोनॉमिक्स, एमबीए सेंट जेवियर कॉलेज, कोलकाता- कलकत्ता यूनिवर्सिटी से संबद्ध इस कॉलेज के अंडरग्रेजुएट प्रोगाम में दाखिला मिलना अपने आप में प्रतिष्ठा का विषय होता है। कई सर्वे में यह कॉलेज टॉप 10 की पोजीशन पर बरकरार है।साल 2006 से इसे स्वायत्त दर्जा हासिल है।
प्रमुख कोर्स-बीकॉम, बीएससी
स्थापना वर्ष-1860
हंसराज कॉलेज, नई दिल्ली- हंसराज कॉलेज की गिनती दिल्ली यूनिवर्सिटी के सबसे बडे कॉलेजों में होती है। यह कॉलेज डीयू के नॉर्थ कैंपस में आता है। यहां की फैकल्टी काफी अच्छी है और यहां से पढने के बाद कॅरियर के अनेक क्षेत्रों में आसानी से इंट्री कर सकते हैं।
स्थापना वर्ष-1948
प्रमुख कोर्स- साइंस, आर्ट्स, कॉमर्स
हिंदू कॉलेज,नई दिल्ली- डीयू के अंतर्गत आने वाला हिंदू कॉलेज देश के सबसे पुराने व सम्मानित शक्षिक संस्थानों में शामिल है। इसमें अंडरग्रेजुएट, पीजी दोनों ही तरह के कोर्स ऑफर किए जाते हैं। पिछले कई सालों से लगातार इस कॉलेज की गिनती देश के शीर्ष एकेडमिक इंस्टीट्यूट्स में हो रही है।
स्थापना-1899
प्रमुख कोर्स-साइंस, कॉमर्स, ह्यूमेनटीज
लोयोला कॉलेज, चेन्नई- मद्रास यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाला लोयोला कॉलेज स्वायत्त संस्थान है। इस कॉलेज में बेहतरीन डिग्री कोर्स हैं। कोर्स की खासियत की बदौलत यहां देश ही नहीं विदेश से भी छात्र इसकी ओर खिंचे चले आते हैं।
स्थापना-1925
प्रमुख कोर्स- कॉमर्स, आर्ट्स, नेचुरल सांइस, सोशल साइंस, लिबरल सांइस
सेंट स्टीफेंस कॉलेज, नई दिल्ली- आज की तारीख में स्टीफेनियन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। यह टर्म सेंट स्टीफेंस कॉलेज के छात्रों व पूर्व छात्र समुदाय के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आपको यहां से पास आउट ऐसे सैकडों स्टूडेंट्स मिल जाएंगे, जो अपने-अपने क्षेत्रों में सेलीब्रेटी का मुकाम रखते हैं। यह कालेज डीयू के नॉर्थ कैंपस में आता है।
स्थापना-1881
प्रमुख कोर्स- साइंस, लिबरल आर्ट (पीजी, यूजी)
प्रेसीडेंसी कॉलेज- राजा राम मोहन द्वारा स्थापित यह कॉलेज देश में नव सुधारों की दिशा में बहुत बडा कदम माना जाता है। आजादी पूर्व देश में स्वतंत्र विचार मंथन का श्चोत रहा यह कॉलेज आज युवा कॅरियर को ऊंची परवाज दे रहा है। अपनी स्थापना के समय इसे हिंदू कॉलेज के नाम से जाना जाता था।
स्थापना वर्ष- 1818
प्रमुख कोर्स- बीएससी(इकोनॉमिक्स), साइंस, नेचुरल सांइस, लैंग्वेज
जेआरसी टीम
आप भी बन सकते हैं अगले टॉपर
आठ अप्रैल को हुई इस परीक्षा में देश भर के लाखों परीक्षार्थियों ने भाग्य आजमाया था। शुक्रवार को परिणाम घोषित किया गया। पिछले वर्ष की तुलना में स्टूडेंट्स को अंक देने का पैटर्न और पूछे जानेवाले सवालों का ट्रेंड कुछ बदला हुआ दिखा। इसका असर ओवरऑल मेरिट पर भी पडा। इस वर्ष आइआइटी-जेईई 2012 में 4,79,651 छात्र-छात्राओं ने परीक्षा में हिस्सा लिया। देश भर के17आइआइटी संस्थान छात्र-छात्राओं को काउंसिलिंग के लिए आमंत्रित करेंगे। यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में चार हजार अधिक है। इस बार परीक्षा की खासियत यह रही कि समाज के हर वर्ग के मेधावियों ने मेरिट में जगह बनाई। पहली बार बेहद गरीब वर्ग के बच्चों के सफल होने का ग्राफ हर बार की अपेक्षा इस बार ऊंचा रहा। इनमें किसी के पिता ईट-गारा उठाकर परिवार चलाते हैं, तो किसी के पिता घरों की रंगाई-पुताई करके जीवन यापन कर रहे हैं। इस परीक्षा में जो भी चुना गया, उसकी अपनी प्रेरक दास्तां है। आइआइटी की संयुक्त प्रवेश परीक्षा 2012 में फरीदाबाद के अर्पित अग्रवाल ने देश में प्रथम स्थान हासिल किया है। दूसरे स्थान पर आइआइटी रुडकी जोन के बीजॉय सिंह कोचर तथा तीसरे स्थान पर आइआइटी खडगपुर जोन के निशांत एन कौशिक रहे। वहीं आइआइटी मद्रास जोन की इनाला जीवन प्रिया ने लडकियों के वर्ग में प्रथम स्थान हासिल किया है।
जहां खाने को तरसते थे, वहां के लाल ने किया कमाल
इस बार के रिजल्ट परिणामों से यह देखने को मिला कि मेधा और प्रतिभा सभी में होती है, बशर्ते अनगढ पत्थर को सलीके से तराशा जाए। सफल स्टूडेंट्स को देखकर कहा जा सकता है कि कैसी भी परिस्थिति हों, अगर प्रतिभा है, तो आइआइटी जैसी कठिन परीक्षा में भी सफलता मिल सकती है। 245 वीं रैंक सिद्धार्थ के पिता मंशा राम ने घरों में पुताई कर अपने बेटे को पढाया, तो वहीं लाचार पिता और भाई का सहारा बनी इंदू ने प्राइवेट स्कूल में पढाकर अपने भाई हिमांशू को आइआइटियन बनाकर दम लिया। अंकुर की कहानी भी इसी तरह की है। अंकुर के पिता के देहांत के बाद लग रहा था जैसे बच्चों की पढाई बंद करनी पडेगी। लेकिन मां ने आशा नहीं छोडी, फिर हिम्मत संजोई और बेटे का हौसला बढाया। परिणाम सबके सामने है कि आज अंकुर आइआइटी-जेईई की मेरिट में है। इसी तरह 839 रैंक लानेवाले राहुल गौतम के पिता भी एक छोटे से मकान में रहते हैं,मजदूरी करके किसी तरह अपना पेट पालते हैं। लेकिन दाद दीजिए उनके अरमानों की जो अपने बेटे को आइआइटी में जगह दिलाकर ही माने। कहने का आशय यह है कि यदि आपमें प्रतिभा है तो यहां सफलता आपमें और उसमें फर्क नहीं करेगी। यह उसी को मिलेगी, जो बेहतर होगा।
रेगुलर पढाई है मंत्र
अपनी सफलता का सारा श्रेय परिवार को देने के बाद अर्पित कहता है कि सफलता के लिए नियमबद्ध होकर पढना बहुत जरूरी है। कोचिंग छात्रों का मार्गदर्शन करती है, लेकिन सफलता मेहनत और लगन से मिलती है।
सफलता के लिए हर विषय की कमजोर कडी को दूर करने और हर विषय पर नियंत्रण के लिए पढाई के समय को ऐसे बांटे कि सभी विषयों को पढने का बराबर समय मिले। अपना अनुभव बताते हुए अर्पित कहते हैं कि उसने लगातार चार घंटे तक कभी पढाई नहीं की। वह रिलैक्स होकर पढता था। देशभर में सातवां स्थान हासिल करने वाले अनंत गुप्ता ने कहा मैं माता पिता व टीचर को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिनके मार्गदर्शन और प्रोत्साहन ने मुझे आगे बढाया है।
अनंत ने कहा मैं रोजाना 4 से 5 घंटे अध्ययन करता था। मेरा मानना है कि स्टडी तो जरूरी है,लेकिन उसके साथ क्वालिटी स्टडी और भी जरूरी है। भले ही आप 3-4 घंटे पढें, लेकिल फुल कंसंट्रेशन जरूरी है।
बढाएं प्रॉब्लम सॉल्विंग कैपिसिटी
अभी अर्पित को बारहवीं के रिजल्ट का इंतजार है, लेकिन वह आइआइटी टॉपर बन चुका है। खुशी उसके चेहरे से साफ झलक रही है। कईसंस्थानइसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल टैलेंट सर्च एग्जामिनेशन जैसी परीक्षा की प्रिपरेशन कराते हैं। इस परीक्षा के माध्यम से स्टूडेंट्स की तैयारी और समझ काफी विकसित हो जाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, वैसे तो स्टूडेंट्स को छठी क्लास से ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, लेकिन इस समय स्टूडेंट्स की अपेक्षा गार्जियन और टीचर को अधिक मेहनत की जरूरत होती है। इस समय स्टूडेंट्स की पढाई इस तरह की होनी चाहिए, जिससे वह किसी भी चीज को अलग तरीके से सोच सके। उदाहरण के लिए यदि मैथ्स का प्रश्न है, तो उसे सॉल्व करने के लिए फार्मूले खोजने चाहिए। इस वर्ग केस्टूडेंट्स की तैयारी का मुख्य मकसद आइआइटी-जेइइ के मार्फत एनटीएसई की तैयारी पर फोकस होता है।
किसी भी प्रॉब्लम को एनालिटिकल तरीके से सोचने और प्रॉब्लम सॉल्विंग कैपिसिटी का रुझान इस समय काफी महत्वपूर्ण होता है। इस परीक्षा में सफल हुए स्टूडेंट्स भी मानते हैं कि भले ही आइआइटी-जेईई की गंभीर तैयारी ग्यारहवीं के बाद होती है, लेकिन ओलंपियाड, एनटीएसई इस परीक्षा की तैयारी में अपको काफी मदद देते हैं। वहीं नवीं, दसवीं की एनसीईआरटी पुस्तकों से पीसीएम से संबंधित सवाल हल करना भी इस दौरान उतना ही फायदेमंद है। इन सब चीजों से स्टूडेंट्स में वे गुण विकसित हो जाते हैं, जो परीक्षा की बाधादौड में अतिरिक्त गति देते हैं।
एक साथ करें बोर्ड और जेईई की तैयारी
यह समय परीक्षार्थी के लिए सबसे क्रूशियल होता है, क्योंकि स्टूडेंट्स को एक साथ दो तरह की परीक्षा देनी पडती हैं। पहली और सबसे अहम परीक्षा बारहवीं बोर्ड की होती है, जिसमें कम से कम प्रथम श्रेणी से पास करना ही होता है। वहीं उन्हें आइआइटी की परीक्षा भी देनी पडती है। दोनों परीक्षाओं की अलग तैयारी संभव नहीं है।
विशेषज्ञों के अनुसार, आइआइटी-जेईई सिलेबस बोर्ड और कम्पीटिशन के सिलेबस को मर्ज करके तैयार किया गया हैलिहाजा इसमें दोनों ही फ्रंट्स पर एक साथ संघर्ष करना होगा।
टॉपर्स टॉक
मार्गदर्शन और सही स्ट्रेटेजी से मिली सफलता
पहले ही अटैम्प्ट में आइआइटी-जेईई परीक्षा में फर्स्ट रैंक पाने वाले अर्पित का कहना है कि यदि चार से पांच घंटे प्रतिदिन पढाई कर ली जाए, तो कामयाबी सहज हो सकती है। खुद उन्होंने ग्यारहवीं में पहुंचते ही आइआइटी-जेईई के लिए स्ट्रेटेजी बना ली थी। उसी के अनुरूप मात्र 4 से 5 घंटे की प्रतिदिन पढाई ने यह सम्मान दिलाया है। अर्पित कहते हैं कि आइआइटी उनका बचपन का सपना था। पापा ने हौंसला बढाया, मम्मी से आशीर्वाद मिला और बहन के सहयोग से मैंने आज इसे प्राप्त कर ही लिया। अब आगे मैं कंप्यूटर इंजीनियर बनने की तमन्ना को पूरा करना चाहता हूं। परीक्षा मे ंपेश आई मुश्किलों के बारे में अर्पित का कहना है कि मैंने फीजिक्स पेपर के दो सवाल गलत मार्क कर दिए थे। उसे ठीक भी नहीं कर सकता था, क्योंकि इस वर्ष पहली बार उत्तर पुस्तिका पर मार्किंग बॉल पेन से की जा रही थी। उसके बाद लग रहा था कि टॉपर बनने का चांस बहुत कम है। लेकिन किस्मत मेरे साथ थी और मैं टॉप कर गया। गाइडेंस के बारे में वह सुझाव देते हैं कि मार्गदर्शन बहुत जरूरी है। वह चाहें घर में बडे भाई के रूप में हो या फिर सीनियर्स या किसी कोचिंग संस्थान के रूप में। लिहाजा आवश्यक हैकि किसी भी स्तर पर मिल रहे सुझावों को नजरंदाज न किया जाए ।
अर्पित अग्रवाल, आइआइटी-जेईई, 1 रैंक
कामयाबी शार्टकट से नहीं मिलती
देशभर में दूसरा स्थान हासिल करने वाले बिजॉय सिंह कोचड के पिता डॉ. एपी सिंह पेशे से मनोचिकित्सक हैं। बेटे की कामयाबी पर उनका कहना है कि मैंने बिजॉय की सफलता की आस तो जरुर लगाई थी, इतनी बडी कामयाबी मिलेगी, इसका अंदाजा नहीं था। सभी माता-पिता चाहते हैं उनके लाडले कामयाबी की मंजिले तय करें मगर यह उन की मेहनत और लगन पर निर्भर करता है कि बच्चा किन ऊचांइयों को छुएगा। मैंने बिजॉय को हार में भी कभी टूटने नहीं दिया। बिजॉय के टीचर्स ने भी उसे सही दिशा की ओर मोडा। इन्हीं सब चीजों का नतीजा इस अद्भूत सफलता के रूप में मिला है। फोन पर हुई बातचीत में बिजॉय का कहना था कि मैं अपनी कामयाबी के लिए पेरेंट्स, टीचर और ईश्वर का धन्यवाद देना चाहता हूं। साथ ही इस आगामी आइआइटी-जेईई की तैयारी मे लगे स्टूडेंट्स को संदेश देते हुए कहते हैं कि मेहनत तो सभी करते हैं, लेकिन अंत तक जूझने, लडने की क्षमता रखने वालों को ही जीत नसीब होती है। इसलिए कठिन परिश्रम से न घबराएं, विजेता कभी शॉर्टकट के मोहताज नहीं होते। बिजॉय सिंह कोचर (2 रैंक )
नियमित पढाई ने दिलाई सफलता
अंनंत मानते हैं कि अगर मन लगाकर नियमित पढाई की जाए, तो आइआइटी जेईई में सफलता हासिल की जा सकती है। इसमें सफल होने के लिए किताबी कीडा बनने की जरूरत नहीं है। जरूरत है, तो सिर्फ टू दी प्वाइंट पढाई की। ज्यादा कठिन परिश्रम काम आता है। लिहाजा तैयारी में स्टडी के साथ स्मार्ट स्टडी को भी अप्लाई करें। अनंत के पिता राजपुरा में एमबीबीएस राजीव गुप्ता व माता एमबीबीएस सीमा गुप्ता ने बेटे की कामयाबी के लिए उसकी मेहनत, ईश्वर और टीचर को श्रेय दिया। अनंत ने कहा कि मेरा कंप्यूटर के क्षेत्र में आगे बढने का लक्ष्य है।
अनंत गुप्ता (7 रैंक )
भरोसा ऑथेंटिक बुक्स पर
जेईई पेपर के सवालों की एनालिसिस और घोषित परिणाम की समीक्षा करने पर ऐसा लगता है कि जिन छात्रों ने सब्जेक्ट्स के अच्छे लेखकों की किताबों से पूरे ईमानदारी से पढाई की है, उनका रिजल्ट बेहतर आया है। आइआइटी की प्रवेश परीक्षा मेंसफलता पाने वाले बिजॉय सिंह कोचड व अनंत गुप्ता का मानना है कि सही मार्गदर्शन के साथ अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करने से लाभ मिलता है। लगभग दोनों विद्यार्थियों ने एक ही बात कही कि एनसीईआरटी की पुस्तकों के अलावा हर विषय की एक प्रामाणिक पुस्तक का बार-बार अध्ययन करना आइआइटी जैसी परीक्षा के लिए लाभप्रद है।
आखिर क्यों है क्रेज
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के बढते क्रेज का प्रमुख कारण है आइआइटियन का सुपर ब्रेन। यहां से पास आउट प्रतिभाएं सुपर ब्रेन की श्रेणी में आती हैं। कई आइआइटी संस्थान विदेशों के प्रमुख विश्वविद्यालयों से जुडे होते हैं। इसी कारण आइआइटी-जेईई एग्जाम में वही सफल होता है, जो वाकई एक्स्ट्राओर्डिनरी होता है। यहां से निकलने वाले स्टूडेंट्स आइआइएम और आईएएस की परीक्षा में काफी संख्या में सफल होते हैं। आइआइटी में रुझान का पता सातवीं क्लास से लगाया जा सकता है।
(जेआरसी टीम के साथ ओजस्कर पांडेय)
>जेआरसी टीम
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