http://iitmmathura.blogspot.in/2010/08/blog-post_2981.html
एथिकल हैकिंग का बादशाह
जानकारों की मानें तो चीन ने भारत के खिलाफ हैकिंग के सहारे एक साइबर जंग शुरू कर दी है. चीन में स्थित समूह भारतीय वेबसाइटों को निशाना बना रहे हैं. इनके द्वारा भारत के आधिकारिक वेबसाइट्स से संवेदनशील जानकारियां चुरायी जा रही हैं. इस तरह चीन भारत के नेशनल इंफॉरमेटिक्स सेंटर और विदेश मंत्रालय को भी निशाना बना चुका है.
भारतीय नेटवर्क के खिलाफ तीन प्रकार के हथियार इस्तेमाल किये जा रहे हैं- बीओटीएस(बॉट्स), की लॉगर्स और मैपिंग ऑफ नेटवर्क. चीनी एक्सपर्ट बॉट्स बनाने में माहिर माने जाते हैं. बॉट्स एक परजीवी प्रोग्राम है, जो नेटवर्क को हैक करता है. अनुमान के मुताबिक भारत में 50000 से ज्यादा बॉट्स हैं.
चीन है हैकिंग का प्रमुख स्रोत
अमेरिका ने चीन पर हैकरों को पनाह देने और उनकी मदद करने का आरोप लगाया है. एक अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक चीन और रूस उसके खिलाफ हैकरों की मदद से एक तरह का साइबर युद्ध चला रहे हैं. गौरतलब है कि दुनिया में हैकिंग का सबसे बड़ा अड्डा ब्राजील को माना जाता है. हालांकि, चीन ने पिछले साल हैकिंग के खिलाफ कठोर कानून बनाये थे, लेकिन फिर भी चीन हैकिंग का मुख्य केंद्र बना हुआ है.
चीन में हैकिंग से आंदोलन!
ऐसा माना जा रहा है कि पिछले हफ्ते चीन में जो 500 से ज्यादा सरकारी और गैरसरकारी वेबसाइटों की हैकिंग की गयी, उसमें चीनी आंदोलनकर्ताओं का हाथ है. दरअसल हैकिंग को सिर्फ व्यक्तिगत लक्ष्यों से ऊपर उठकर अब एक ब.डे हथियार के तौर पर भी इस्तेमाल में लाया जा रहा है और इसका प्रयोग उन देशों और सरकारों के खिलाफ किया जा रहा है, जिनके खिलाफ प्रत्यक्ष कार्रवाई का फिलहाल कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है. इन मामलों में कई बार हैकिंग आंदोलन के अस्त्र के रूप में भी सामने आया है. हैकरों ने घोषणा की है कि वे चीन में इंटरनेट की सेंसरशिप के खिलाफ आगे भी हैकिंग को अंजाम देते रहेंगे.
गौरतलब है कि अज्ञात हैकरों ने चीनी साइटों को हैक करके उस पर अपना संदेश डाला था- ‘चीन की जनता के लिए : आपकी सरकार आपके देश में इंटरनेट को अपने शिकंजे में रखे हुए है. वह हर ऐसी चीज का सेंसरशिप करना चाहती है, जो उसे उसके हित के लिए खतरनाक नजर आता है.
यहां यह जानना अहम है कि चीन में वास्तव में इंटरनेट पर तरह-तरह की पाबंदियां हैं और इन पाबंदियों के खिलाफ ही करीब दो साल पहले सर्च इंजन गूगल ने चीन में अपना कारोबार बंद कर दिया था. इसके लिए चीन में एक ग्रेट फायरवॉल का इस्तेमाल किया जाता है, जो इंटरनेट की हर गतिविधि की जानकारी रखता है और किसी आपत्तिजनक सामग्री को प्रकाशित नहीं होने देता.
क्या है हैकिंग
कंप्यूटर पर वायरस के हमले के बारे में तो हम सब सुनते हैं, लेकिन कंप्यूटर हैक होने का खतरा आज वायरस से भी ज्यादा गंभीर रूप ले चुका है. हैकिंग के जरिये कोई हैकर किसी नेटवर्क के कंप्यूटर पर पूरी तरह कब्जा जमा लेता है. वह सिर्फ आपकी सूचनाओं को ही नष्ट नहीं करता, बल्कि उसका अपने हिसाब से इस्तेमाल कर सकता है. जाहिर है, किसी की गोपनीय जानकारी चुराकर उसे नुकसान पहुंचाना काफी आसान है. वास्तव में हैकिंग एक हुनर है, जिसमें कंप्यूटर प्रोग्रामों के जरिये किसी नेटवर्क के कंप्यूटरों को अपने वश में किया जाता है. जब कोईदेश किसी अन्य देश के खिलाफ इस तरह से इंटरनेट हैकिंग को प्रोत्साहित करता है, तो इसे ‘साइबर युद्ध’ कहा जाता है. आज की तारीख में जब सूचनाएं ही ताकत हैं, एक देश दूसरे देश की सूचना पर कब्जा जमा कर या उसे हैकिंग के जरिये चुराकर उसे आसानी से नुकसान पहुंचा सकता है. हालांकि, आज की तारीख में एक दूसरे पर हैकिंग का आरोप लगाना आम बात है, लेकिन हकीकत है कि कुछ देश हैकिंग को ज्यादा बढ.ावा दे रहे हैं.
सिर्फ नकारात्मक नहीं है हैकिंग
हैकिंग से सिर्फ नकारात्मक अर्थ नहीं लिया जाना चाहिए. दरअसल आज की तारीख में हैकर सरकार और एजेंसियों को मदद पहुंचाते हैं. हैकिंग की मदद से सरकार या खुफिया एजेंसी किसी एकाउंट को हैक करके वहां से सूचनाएं और सबूत जुटाती हैं. यही कारण है कि कई संस्थान ‘एथिकल हैकिंग’ का कोर्स भी कराते हैं.
आंदोलनकर्ताओं का अस्त्र हैकिंग
समाचार एजेंसी रायटर की एक खबर के मुताबिक वर्ष 2011 में हैकिंग के ज्यादातर मामले उन आंदोलनकर्ताओं ने अंजाम दिये, जो सरकार और कॉरपोरेट नेटवर्क के सिस्टम को हैक करके ऐसी जानकारी निकालकर उनकी साई दुनिया के सामने लाना चाहते थे. वेरीजॉन कम्युनिकेशन इंक के मुताबिक यह हैकिंग की दुनिया में ब.डे बदलाव का लक्षण माना जा सकता है, क्योंकि इससे पहले हैकिंग का काम मुख्यत: पैसे संबंधी जालसाजी और अपराध को अंजाम देने के लिए किया जाता था. इस टेलीकम्युनिकेशन कंपनी ने पांच देशों की लॉ इंफोर्समेंट एजेंसीज के साथ हैकिंग के855 मामलों में 17.4 करोड़ रिकॉर्डस की जांच करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला. उनके मुताबिक यह एक नया किस्म का एक्टिविज्म है, जिसे ‘हैक्टिविज्म’ कहा जा सकता है.
हैक किये गये आंकड़ों में 58 फीसदी आंक.डे इस हैक्टिविज्म से संबंधित थे. इस हैकिंग ग्रुप ने अपना नाम एनॉनिमस यानी अज्ञात ग्रुप रखा है. चीन में भी इस ग्रुप ने ही हैकिंग की जिम्मेदारी ली है.
वर्ष 2011 में भी इस ग्रुप ने एक के बाद एक हैकिंग की घटनाओं की जिम्मेदारी ली थी. इसने पिछले साल ट्यूनीशिया, अल्जीरिया, जिम्बाब्वे और दूसरे देशों की वेबसाइटों को निशाना बनाया था. इसके अलावा सेना के ठेकेदारों, कानून इंफोर्समेंट एजेंसियों और सोनी कॉर्प, न्यूज कॉर्प और एप्पल इंक को भी निशाना बनाया गया. जानकारों का मानना है कि इंटरनेट एक्टिविज्म के इस दौर में हैक्टिविज्म का पूरा जोर रहेगा. हालांकि इसे अंतरालों में अंजाम दिया जायेगा. यानी कभी अति-सक्रियता, तो कभी थोड़ी निष्क्रियता. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी की चोरी के लिए सिर्फ चार फीसदी हैकिंग को अंजाम दिया गया. हालांकि, इस चोरी से मिलने वाला फायदा जरूर हैक्टिविज्म से होने वाले आर्थिक फायदे से बड़ा रहा होगा. ब.डे संस्थानों में हुई हैकिंग की करीब 40 फीसदी घटना संवेदनशील जानकारियों, कॉपीराइट जानकारियों और ट्रेड सीक्रेट्स से जुड़ी हुई थीं.
पाक की भारत विरोधी साइबर जंग
हैकिंग देशों के बीच ब.डे युद्ध के मैदान के तौर पर उभरा है. अब जबकि दो देश प्रत्यक्ष युद्ध नहीं लड़ सकते, वे अपने प्रतिद्वंद्वियों के कंप्यूटर नेटवर्क को हैक करके उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले एक वर्ष में भारत सरकार की 112वेबसाइट पाकिस्तान आधारित एच4टीआर सीके नाम के समूह द्वारा हैक की गयी. भारतीय अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि हैकिंग देश के लिए बड़ा खतरा बन चुका है. 2011 में बीएसएनएल, सीबीआइ जैसे कई अहम संगठनों को निशाना बनाया गया.
गौरतलब है कि बीएसएनएल की फोन डायरेक्ट्री में लाखों लोगों की पहचान, पता और उनका फोन नंबर है. इन नंबरों में सेंध लगाकर कोई बड़ी आसानी से भारत-विरोधी गतिविधि को अंजाम दे सकता है. जानकारों का कहना है कि भारत में ऑनलाइन सुरक्षा की तैयारी काफी कमजोर है.
भारत सरकार के ज्यादातर संगठनों की वेबसाइट सिंगल सर्वर पर चलायी जाती हैं, ऐसे में यह आसानी से हैकरों के निशाने पर आ जाती हैं. पाकिस्तान भारत के खिलाफ1998 से ‘साइबर युद्ध’ चला रहा है. लेकिन अभी तक इसने इतना गंभीर रूप अख्तियार नहीं किया था.
पाकिस्तानी समूह मिलवर्म ने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की वेबसाइट पर हमला कियाथा, लेकिन उस समय डेटा की किसी किस्म की चोरी नहीं की गयी थी, बल्कि वहां कुछ भारत विरोधी नारे लगा दिये गये थे. सीबाआइ भी पाकिस्तानी हैकिंग का शिकार हो चुकी है और एक बार तो इसे हैकिंग के कारण अपनी वेबसाइट 15 दिनों के लिए बंद करनी पड़ी थी. हैकरों ने ओएनजीसी, इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग आदि संगठनों को भी अपने निशाने पर लिया है. साइबर हमलों के बारे में बार-बार आगाह किये जाने पर भी भारत इससे लड़ने के लिए पुख्ता तैयारी करता नजर नहीं आता. पाकिस्तान ने भारत की वेबसाइटों पर हमला करने के लिए हैकरों के कई समूह तैयार किये हैं. इनमें पाकिस्तान जी फोर्स और पाकिस्तान साइबर आर्मी प्रमुख है. आइएसआइ ने ‘पाकिस्तान हैकर क्लब’ नाम से एक अलग दस्ते का निर्माण ही किया था. इन समूहों ने कम-से-कम 500 भारतीय वेबसाइटों पर हमला किया है.
भारत के जानकार इस चुनौती से निपटने के लिए क.डे उपायों की वकालत करते रहे हैं. जिसमें सिंगल सर्वर की जगह मल्टी सर्वर का इस्तेमाल और विशेष दस्ते का निर्माण शामिल है. उद्योग जगत के अनुमान के मुताबिक वर्ष 2011 में 14000 से ज्यादा सरकारी तथा कॉरपोरेट वेबसाइट को हैकरों ने नुकसान पहुंचाया.
पिछले दिनों खबर थी कि विदेशों में बैठे हैकर्स प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गए हैं और पीएमओ के महत्वपूर्ण लोगों के खातों से छेडछाड की। ऎसे ही वाकिए पिछले साल भी सुनने में आए जब कुछ हैकर्स ने विदेश मंत्रालय में घुसपैठ की थी और अनेक दूतावासों के कंप्यूटर तंत्र को भेदने में सफल रहे थे। हैकिंग की समस्या देश के लिए सबसे बडी समस्या के रूप में उभरने लगी है।
_____________________________________________
एथिकल हैकिंग का बादशाह
9/11 की घटना के बाद अलकायदा की ओर से भेजे गए एक गुप्त कोड को तोडकर उसे समझने वाला केवल एक शख्स था। एथिकल हैकर अंकित फडिया। केवल सोलह साल की उम्र में अंकित फडिया ने कोडेड संदेश को तोडकर दिखा दिया कि हिंदुस्तानी भी कहीं कम नहीं है। उसके बाद से हर बडी आतंकी घटनाएं होने पर साइबर स्थिति को समझने के लिए अंकित को याद किया जाता है। अंकित ने आतंकवाद और साइबर अपराध से जुडी कई समस्याओं को सुलझाया है। साइबर सिक्यूरिटी एक्सपर्ट अंकित खुद को एक एथिकल हैकर कहलाना पसंद करते हैं। अंकित इन दिनों कंप्यूटर सिक्योरिटी से जुडी एक कंपनी के निजी सलाहकार हैं। अंकित ने व्यापक रूप में साइबर अपराध और आतंकवादी गतिविधियों की पोल खोलने के जो कार्य किए हैं, वे खासे सराहनीय हंै। 24 वर्षीय अंकित की स्कूली शिक्षा दिल्ली पब्लिक स्कूल में हुई। बाद में इन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी कैलिफोर्निया से कंप्यूटर साइंस में स्नातक किया। माता पिता से उपहार में प्राप्त कंप्यूटर पर अंकित ने स्कूल के दौरान ही हैकिंग के गुर सीखने शुरू कर दिए थे। जल्द ही वे इसके विशेषज्ञ बन गए। महज तेरह साल की उम्र में अंकित ने एक मैगजीन की वेबसाइट को हैक कर लिया। शायद उन्हें इस काम के लिए जेल जाना पडता, लेकिन मैगजीन के संपादक को उन्होंने ई मेल करके बताया की उनकी वेबसाइट कितनी असुरक्षित है और इसकी सुरक्षा के लिए कैसे कदम उठाने चाहिए। यह उनके जीवन की पहली हैकिंग थी। अंकित ने पिछले तीन वर्षो में लगभग बीस हजार लोगों को एथिकल हैकिंग की ट्रेनिंग दी है। यही नहीं इन्होंने 'हैकिंग ट्रूथ' के नाम से एक वेबसाइट भी शुरू की है, जिसे एफबीआई ने दुनिया की दूसरी सबसे बेहतरीन वेबसाइट माना है। हैकिंग पर अंकित ने अब तक तेरह किताबें लिखी है। चौदह वर्ष की आयु में लिखी 'द अनऑफिशियल गाइड टू एथिकल हैकिंग' की दुनिया में तीन लाख प्रतियां बिकी। इस बेस्ट सेलर बुक का ग्यारह भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है। वे 25 से ज्यादा देशों में लगभग1000 सेमीनार में हिस्सा ले चुके हैं। लगभग तीस से भी ज्यादा अवार्ड इनके खाते में है। इन सब के साथ फडिया एक स्कूल भी चलाते हंै जो हैकिंग रोकने की ट्रेनिंग भी देता है। कह सकते हैं कि जब दुनिया इलेक्ट्रोनिक संग्राम में प्रवेश कर चुकी है तब अंकित फडिया जैसे टेक्नोसेवी युवा देश की सुरक्षा के लिए मील का पत्थर साबित होंगे।
_____________________________________________
Ethical Hacking
'हैकर' शब्द सुनते ही दिमाग में ऎसे शातिर की छवि बनती है, जो इंटरनेट की दुनिया में अपराध को अंजाम देता है। लेकिन कुछ ऎसे हैकर्स भी हैं, जो जुर्म के खिलाफ लड़ने में सरकार की मदद कर रहे हैं, यह सुनकर आप चौकेंगे जरूर । बात करें उन चुनिंदा युवाओं की, जो शातिर हैकर्स को मात देकर हमारी सुरक्षा कर रहे हैं।
साइबर सुरक्षा का युवा बादशाह
भारत के सबसे लोकप्रिय एथिकल हैकर्स में से एक हंै अंकित फाडिया। 22 साल के अंकित ने एथिकल हैकिंग पर अपनी पहली किताब उस समय लिखी थी, जब वह महज 14 साल के थे और 10वीं क्लास में पढ़ते थे। अब तक वह 14 किताबें लिख चुके हैं और 15वीं लिख रहे हैं। अंकित की नजरों में एथिकल हैकिंग का मतलब है, 'अच्छे उद्देश्य के लिए किसी का कंप्यूटर हैक करना।'
इसके जरिए सरकार की खुफिया एजेंसी की मदद की जा सकती है। बड़ी से बड़ी साजिश या आतंकी हमले की योजना का पर्दाफाश किया जा सकता है। साथ ही अपने तंत्र को इतना मजबूत किया जा सकता है कि हमारा अतिविश्वसनीय डाटा चोरी न हो सके। अपने 11 साल के कॅरिअर में वे कई केसों में सरकार और पुलिस की मदद कर चुके हैं। 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमले और अहमदाबाद में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में सुराग इकट्ठा करने में भी अंकित ने काफी मदद की थी। अंकित के मुताबिक आज जिस तरह से सारी सेवाएं इंटरनेट के माध्यम से होती जा रही है, दिनों-दिन इंटरनेट, कंप्यूटर और मोबाइल का इस्तेमाल जोखिम देने लगा है, ऎसे में हैकिंग को लेकर लोगों में जागरूकता सबसे पहली जरूरत है। अंकित हैकिंग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अब तक 50 से ज्यादा देशों में घूम चुके हैं।
उनका लैपटॉप, डाटा कार्ड और मोबाइल फोन ही उनका चलता फिरता ऑफिस है। एथिकल हैकिंग की शुरूआत अंकित ने सिर्फ अपने आप को दूसरों से बीस साबित करने के लिए की थी। मगर पहली किताब की सफलता के बाद अंकित ने अपने शौक को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया। अंकित का यह भी मानना है कि एथिकल हैकिंग को कॅरिअर के तौर पर भी चुना जा सकता है क्योंकि पूरी दुनिया में साइबर सुरक्षा से जुड़े मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। आज हर किसी कंपनी, संगठन या देश को एथिकल हैकर्स की जरूरत है, जो उनके डाटा को हैकर्स से सुरक्षित रख सके।
2009 में अंकित ने एमटीवी पर 'वॉट द हैक' कार्यक्रम भी शुरू किया, जिसमें उन्होंने दर्शकों को बताया कि कैसे इंटरनेट को अच्छे इस्तेमाल में भी लिया जा सकता है। इसके अलावा अंकित देश भर में हैकिंग के प्रति लोगों का नजरिया बदलने के लिए वर्कशॉप भी करते हैं। उनके काम से प्रभावित होकर सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी ने 'अंकित फाडिया स्टडी अवार्ड' भी शुरू कर रखा है। इसमें दुनिया के उन छात्रों को पुरस्कृत किया जाता है, जो सूचना और सुरक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहे हों।
तंग गलियों को किया साहिल ने रोशन
पुरानी दिल्ली की तंग गलियों में किराए के एक कमरे के मकान में रहता है साहिल खान। उम्र अभी बीस भी पार नहीं की है, लेकिन हैकिंग में उनका कोई मुकाबला नहीं। हैकिंग जैसे विषय पर चार से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं जनाब। जब साहिल महज आठ साल के थे, तो स्वतंत्रता दिवस समारोह में उन्होंने स्कूल में कंप्यूटर विषय पर भाषण दिया, जिसे सुनकर दिल्ली के मंत्री हारून यूसुफ भी हैरान रह गए थे। साहिल पिता से चैटिंग करते हुए पहली बार कंप्यूटर की दुनिया से रूबरू हुए। इस दौरान आने वाले वायरस को वह खुद ही हटा दिया करते थे।
धीरे-धीरे कंप्यूटर के प्रति उनका प्रेम बढ़ता चला गया। 13 साल की उम्र में साहिल ने हैकिंग पर अपनी पहली किताब लिखी। 'हैकर एंड क्रेकर' नाम की इस पुस्तक का विमोचन केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने किया। सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि साहिल ने कभी भी कंप्यूटर की ट्रेनिंग नहीं ली है बल्कि उन्होंने यह कौशल अपने आप पैदा किया।
पहली किताब की सफलता के बाद उन्होंने 'द एनाटॉमी ऑफ कंप्यूटर वायरस' नाम से दूसरी किताब लिखी। साहिल का मानना है कि भारतीय साइबर सिस्टम काफी कमजोर है और उस पर हमेशा हमले का खतरा बना रहता है। इसके लिए सलाहकार समिति में एथिकल हैकर या फिर 'वाइट हैट हैकर' को शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि वह ज्यादा बेहतर तरीके इस मामले को समझ सकते हैं। साहिल कहते हैं कि साइबर अपराधियों के कदम को एथिकल हैकर किसी भी सुरक्षा विशेषज्ञ से ज्यादा बेहतर समझ सकते हैं।
'वाइट हैट' हैकर्स
इ नका नाम देश के बेहतरीन युवा एथिकल हैकर्स में श्ुामार है। 24 साल के राहुल त्यागी पंजाब के गुरदासपुर के रहने वाले हैं। 2008 में उन्होंने 'राहुल त्यागी वाइट हैट' नाम से अपना एक ब्लॉग शुरू किया और उसके बाद उन्होंने एथिकल हैकिंग पर कई सारे आर्टिकल लिखे। वर्तमान में राहुल चंडीगढ़ की साइबर सुरक्षा कंपनी टीसीआईएल-आईटी में ब्रांड एंबेसडर के रूप में काम कर रहे हैं। साइबर सिक्योरिटी एंड एंटी हैकिंग ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया में वह उपाध्यक्ष का पद संभाल रहे हैं। न्यूजपेपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया से भी राहुल जुड़े हुए हैं। राहुल ने फेसबुक पर बहुत से नकली प्रोफाइल और फर्जी ईमेल आईडी की पहचान करने में भी काफी मदद की है। वे कहते हैं कि आज के दौर में हर वह इंसान, जो इंटरनेट से जुड़ा है, उसे हैकिंग के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है।
छोटी उम्र बड़े काम
शा तनु, उम्र छोटी, लेकिन काम बड़े-बड़े। 10 साल की उम्र में ही शांतनु ने कई आई टी कंपनियों और सुरक्षा वेबसाइटों को अपनी सेवा देनी शुरू कर दी थी। जिस उम्र में बच्चे खिलौनों से खेलते हैं, वे बड़े से बड़े केस सुलझाने में लगे थे। संभवतया शांतनु भारत के सबसे कम उम्र के एथिकल हैकर हैं। वे मुंबई की आईटी सिक्यूरिटी प्रमाणपत्र कंपनी ओरचिडसेवन में सलाहकार भी हैं। वे अब तक 50 से ज्यादा औद्योगिक घरानों की वेबसाइट हैक कर उन्हें वायरस और अन्य खतरों से बचा चुके हंै। सातवीं क्लास में पढ़ने वाले शांतनु बड़े होकर साइबर कॉप बनना चाहते हंै, ताकि वे युवाओं को साइबर सुरक्षा के बारे में जानकारी दे सकें। पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भी इस नन्हे सिपाही से काफी प्रभावित हुए। 2007 में कलाम शांतनु से मिले, तो उन्होंने कहा कि देश को आप जैसे लोगों की जरूरत है।
वेबसाइट्स के युवा प्रहरी
वुप्पल विकास, फेसबुक के वाइट हैट यानि सोशल नेटवकिंüग वेबसाइट का प्रहरी ताकि कोई अवांछित हमला न कर सके। 19 साल के विकास का काम है कि ऎसे हैकर्स को फेसबुक से दूर रखना जो उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं। 18 साल की उम्र में विकास ने एक पोर्टल तैयार किया, जो बेहतर सुरक्षा और हैकर्स से वेबसाइट को बचाए रखने के उपाय बताती है। एसआरएम यूनिवर्सिटी में इसका सफलतापूर्वक प्रयोग भी किया जा रहा है।
वे माइक्रोसॉफ्ट की सुरक्षा टीम में भी सदस्य हैं, जो कि सॉफ्टवेयर के ऑनलाइन खरीदने की प्रक्रिया की कमियों को दर्शाती है। ऑनलाइन शॉपिंग की लूपहॉल्स को भी पकड़ने में विकास कई कंपनियों की मदद कर चुके हैं। 14 साल की उम्र में ही वह हैदराबाद के सबसे युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन गए थे। उन्होंने ऑनलाइन शॉपिंग को सुरक्षित बनाने के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया, जिसे आंध्र सरकार ने भी स्वीकार किया।
'थर्ड आई' बन रही है 'हैल्पलाइन'
ना म पारूल खन्ना, उम्र 19 साल। इस उम्र में ही पारूल साइबर सुरक्षा और एथिकल हैकिंग जैसे जटिल विषयों पर लैक्चर देते हैं। पारूल सुरक्षा एजेंसियों के अलावा कई एनजीओ, मल्टीनेशनल सिक्यूरिटी कंपनी, इंटेलिजेंस ब्यूरो और श्ौक्षिक संस्थानों से भी जुडे हुए हैं। देश से बाहर भी पारूल की धूम है। हांगकांग, दक्षिण चीन और मकाऊ जैसे देशों में भी वे साइबर सुरक्षा और एथिकल हैकिंग पर विशेष ट्रेनिंग सत्र का आयोजन कर चुके हैं।
मोबाइल हैकिंग विषय पर पारूल मैनेजमेंट में शीर्ष स्तर के अधिकारी, बिजनेसमैन, तकनीकी विशेषज्ञ, सैन्यकर्मी और छात्रों को ट्रेनिंग दे चुके हैं। अब तक उन्होंने 5000 से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग दी है। साइबर सुरक्षा और हैकिंग पर भारत की पहली और एशिया की दूसरी मैगजीन हैकर्स मैगजीन की आधिकारिक कोर टीम के भी वे सदस्य हैं। यही नहीं 'थर्ड आई एथिकल हैकर्स यूनियन' के अध्यक्ष भी पारूल ही हैं। इसके अलावा भी न जाने कितने संगठनों के साथ मिलकर पारूल साइबर दुनिया पर नजर रखने का काम कर रहे हैं। समाज में इंटरनेट और साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए पारूल ने 'थर्ड आई' का गठन किया।
दिल्ली, मुंबई, गुजरात और हैदराबाद की पुलिस साइबर क्राइम के मुश्किल से मुश्किल केस को सुलझाने के लिए इसी थर्ड आई की मदद ले रही है। इसके अलावा कई मल्टीनेशनल बैंकों से भी पारूल जुड़े हुए हैं। पारूल का कहना है कि इन दिनों भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच एक तरह साइबर वार छिड़ा हुआ है। कुछ सिरफिरे खुद को देशभक्त बताकर ऎसे स्टंट करते हैं, जिससे वह प्रसिद्ध हो सकें, इसलिए इन्हें रोका जाना बेहद जरूरी है। इसके लिए एथिकल हैकर्स और सुरक्षा के मामलों से जुड़े विशेषज्ञों की फौज ही काम आ सकती है।
_______________________________________________
साइबर सुरक्षा का युवा बादशाह
भारत के सबसे लोकप्रिय एथिकल हैकर्स में से एक हंै अंकित फाडिया। 22 साल के अंकित ने एथिकल हैकिंग पर अपनी पहली किताब उस समय लिखी थी, जब वह महज 14 साल के थे और 10वीं क्लास में पढ़ते थे। अब तक वह 14 किताबें लिख चुके हैं और 15वीं लिख रहे हैं। अंकित की नजरों में एथिकल हैकिंग का मतलब है, 'अच्छे उद्देश्य के लिए किसी का कंप्यूटर हैक करना।'
इसके जरिए सरकार की खुफिया एजेंसी की मदद की जा सकती है। बड़ी से बड़ी साजिश या आतंकी हमले की योजना का पर्दाफाश किया जा सकता है। साथ ही अपने तंत्र को इतना मजबूत किया जा सकता है कि हमारा अतिविश्वसनीय डाटा चोरी न हो सके। अपने 11 साल के कॅरिअर में वे कई केसों में सरकार और पुलिस की मदद कर चुके हैं। 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमले और अहमदाबाद में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में सुराग इकट्ठा करने में भी अंकित ने काफी मदद की थी। अंकित के मुताबिक आज जिस तरह से सारी सेवाएं इंटरनेट के माध्यम से होती जा रही है, दिनों-दिन इंटरनेट, कंप्यूटर और मोबाइल का इस्तेमाल जोखिम देने लगा है, ऎसे में हैकिंग को लेकर लोगों में जागरूकता सबसे पहली जरूरत है। अंकित हैकिंग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अब तक 50 से ज्यादा देशों में घूम चुके हैं।
उनका लैपटॉप, डाटा कार्ड और मोबाइल फोन ही उनका चलता फिरता ऑफिस है। एथिकल हैकिंग की शुरूआत अंकित ने सिर्फ अपने आप को दूसरों से बीस साबित करने के लिए की थी। मगर पहली किताब की सफलता के बाद अंकित ने अपने शौक को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया। अंकित का यह भी मानना है कि एथिकल हैकिंग को कॅरिअर के तौर पर भी चुना जा सकता है क्योंकि पूरी दुनिया में साइबर सुरक्षा से जुड़े मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। आज हर किसी कंपनी, संगठन या देश को एथिकल हैकर्स की जरूरत है, जो उनके डाटा को हैकर्स से सुरक्षित रख सके।
2009 में अंकित ने एमटीवी पर 'वॉट द हैक' कार्यक्रम भी शुरू किया, जिसमें उन्होंने दर्शकों को बताया कि कैसे इंटरनेट को अच्छे इस्तेमाल में भी लिया जा सकता है। इसके अलावा अंकित देश भर में हैकिंग के प्रति लोगों का नजरिया बदलने के लिए वर्कशॉप भी करते हैं। उनके काम से प्रभावित होकर सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी ने 'अंकित फाडिया स्टडी अवार्ड' भी शुरू कर रखा है। इसमें दुनिया के उन छात्रों को पुरस्कृत किया जाता है, जो सूचना और सुरक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहे हों।
तंग गलियों को किया साहिल ने रोशन
पुरानी दिल्ली की तंग गलियों में किराए के एक कमरे के मकान में रहता है साहिल खान। उम्र अभी बीस भी पार नहीं की है, लेकिन हैकिंग में उनका कोई मुकाबला नहीं। हैकिंग जैसे विषय पर चार से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं जनाब। जब साहिल महज आठ साल के थे, तो स्वतंत्रता दिवस समारोह में उन्होंने स्कूल में कंप्यूटर विषय पर भाषण दिया, जिसे सुनकर दिल्ली के मंत्री हारून यूसुफ भी हैरान रह गए थे। साहिल पिता से चैटिंग करते हुए पहली बार कंप्यूटर की दुनिया से रूबरू हुए। इस दौरान आने वाले वायरस को वह खुद ही हटा दिया करते थे।
धीरे-धीरे कंप्यूटर के प्रति उनका प्रेम बढ़ता चला गया। 13 साल की उम्र में साहिल ने हैकिंग पर अपनी पहली किताब लिखी। 'हैकर एंड क्रेकर' नाम की इस पुस्तक का विमोचन केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने किया। सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि साहिल ने कभी भी कंप्यूटर की ट्रेनिंग नहीं ली है बल्कि उन्होंने यह कौशल अपने आप पैदा किया।
पहली किताब की सफलता के बाद उन्होंने 'द एनाटॉमी ऑफ कंप्यूटर वायरस' नाम से दूसरी किताब लिखी। साहिल का मानना है कि भारतीय साइबर सिस्टम काफी कमजोर है और उस पर हमेशा हमले का खतरा बना रहता है। इसके लिए सलाहकार समिति में एथिकल हैकर या फिर 'वाइट हैट हैकर' को शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि वह ज्यादा बेहतर तरीके इस मामले को समझ सकते हैं। साहिल कहते हैं कि साइबर अपराधियों के कदम को एथिकल हैकर किसी भी सुरक्षा विशेषज्ञ से ज्यादा बेहतर समझ सकते हैं।
'वाइट हैट' हैकर्स
इ नका नाम देश के बेहतरीन युवा एथिकल हैकर्स में श्ुामार है। 24 साल के राहुल त्यागी पंजाब के गुरदासपुर के रहने वाले हैं। 2008 में उन्होंने 'राहुल त्यागी वाइट हैट' नाम से अपना एक ब्लॉग शुरू किया और उसके बाद उन्होंने एथिकल हैकिंग पर कई सारे आर्टिकल लिखे। वर्तमान में राहुल चंडीगढ़ की साइबर सुरक्षा कंपनी टीसीआईएल-आईटी में ब्रांड एंबेसडर के रूप में काम कर रहे हैं। साइबर सिक्योरिटी एंड एंटी हैकिंग ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया में वह उपाध्यक्ष का पद संभाल रहे हैं। न्यूजपेपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया से भी राहुल जुड़े हुए हैं। राहुल ने फेसबुक पर बहुत से नकली प्रोफाइल और फर्जी ईमेल आईडी की पहचान करने में भी काफी मदद की है। वे कहते हैं कि आज के दौर में हर वह इंसान, जो इंटरनेट से जुड़ा है, उसे हैकिंग के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है।
छोटी उम्र बड़े काम
शा तनु, उम्र छोटी, लेकिन काम बड़े-बड़े। 10 साल की उम्र में ही शांतनु ने कई आई टी कंपनियों और सुरक्षा वेबसाइटों को अपनी सेवा देनी शुरू कर दी थी। जिस उम्र में बच्चे खिलौनों से खेलते हैं, वे बड़े से बड़े केस सुलझाने में लगे थे। संभवतया शांतनु भारत के सबसे कम उम्र के एथिकल हैकर हैं। वे मुंबई की आईटी सिक्यूरिटी प्रमाणपत्र कंपनी ओरचिडसेवन में सलाहकार भी हैं। वे अब तक 50 से ज्यादा औद्योगिक घरानों की वेबसाइट हैक कर उन्हें वायरस और अन्य खतरों से बचा चुके हंै। सातवीं क्लास में पढ़ने वाले शांतनु बड़े होकर साइबर कॉप बनना चाहते हंै, ताकि वे युवाओं को साइबर सुरक्षा के बारे में जानकारी दे सकें। पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भी इस नन्हे सिपाही से काफी प्रभावित हुए। 2007 में कलाम शांतनु से मिले, तो उन्होंने कहा कि देश को आप जैसे लोगों की जरूरत है।
वेबसाइट्स के युवा प्रहरी
वुप्पल विकास, फेसबुक के वाइट हैट यानि सोशल नेटवकिंüग वेबसाइट का प्रहरी ताकि कोई अवांछित हमला न कर सके। 19 साल के विकास का काम है कि ऎसे हैकर्स को फेसबुक से दूर रखना जो उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं। 18 साल की उम्र में विकास ने एक पोर्टल तैयार किया, जो बेहतर सुरक्षा और हैकर्स से वेबसाइट को बचाए रखने के उपाय बताती है। एसआरएम यूनिवर्सिटी में इसका सफलतापूर्वक प्रयोग भी किया जा रहा है।
वे माइक्रोसॉफ्ट की सुरक्षा टीम में भी सदस्य हैं, जो कि सॉफ्टवेयर के ऑनलाइन खरीदने की प्रक्रिया की कमियों को दर्शाती है। ऑनलाइन शॉपिंग की लूपहॉल्स को भी पकड़ने में विकास कई कंपनियों की मदद कर चुके हैं। 14 साल की उम्र में ही वह हैदराबाद के सबसे युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन गए थे। उन्होंने ऑनलाइन शॉपिंग को सुरक्षित बनाने के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया, जिसे आंध्र सरकार ने भी स्वीकार किया।
'थर्ड आई' बन रही है 'हैल्पलाइन'
ना म पारूल खन्ना, उम्र 19 साल। इस उम्र में ही पारूल साइबर सुरक्षा और एथिकल हैकिंग जैसे जटिल विषयों पर लैक्चर देते हैं। पारूल सुरक्षा एजेंसियों के अलावा कई एनजीओ, मल्टीनेशनल सिक्यूरिटी कंपनी, इंटेलिजेंस ब्यूरो और श्ौक्षिक संस्थानों से भी जुडे हुए हैं। देश से बाहर भी पारूल की धूम है। हांगकांग, दक्षिण चीन और मकाऊ जैसे देशों में भी वे साइबर सुरक्षा और एथिकल हैकिंग पर विशेष ट्रेनिंग सत्र का आयोजन कर चुके हैं।
मोबाइल हैकिंग विषय पर पारूल मैनेजमेंट में शीर्ष स्तर के अधिकारी, बिजनेसमैन, तकनीकी विशेषज्ञ, सैन्यकर्मी और छात्रों को ट्रेनिंग दे चुके हैं। अब तक उन्होंने 5000 से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग दी है। साइबर सुरक्षा और हैकिंग पर भारत की पहली और एशिया की दूसरी मैगजीन हैकर्स मैगजीन की आधिकारिक कोर टीम के भी वे सदस्य हैं। यही नहीं 'थर्ड आई एथिकल हैकर्स यूनियन' के अध्यक्ष भी पारूल ही हैं। इसके अलावा भी न जाने कितने संगठनों के साथ मिलकर पारूल साइबर दुनिया पर नजर रखने का काम कर रहे हैं। समाज में इंटरनेट और साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए पारूल ने 'थर्ड आई' का गठन किया।
दिल्ली, मुंबई, गुजरात और हैदराबाद की पुलिस साइबर क्राइम के मुश्किल से मुश्किल केस को सुलझाने के लिए इसी थर्ड आई की मदद ले रही है। इसके अलावा कई मल्टीनेशनल बैंकों से भी पारूल जुड़े हुए हैं। पारूल का कहना है कि इन दिनों भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच एक तरह साइबर वार छिड़ा हुआ है। कुछ सिरफिरे खुद को देशभक्त बताकर ऎसे स्टंट करते हैं, जिससे वह प्रसिद्ध हो सकें, इसलिए इन्हें रोका जाना बेहद जरूरी है। इसके लिए एथिकल हैकर्स और सुरक्षा के मामलों से जुड़े विशेषज्ञों की फौज ही काम आ सकती है।
_______________________________________________
एथिकल हैकर्स: साइबर-अपराध के चलते मांग बढ़ी
डिजीटल दौर में हैकर बुरी व्याधि के रूप में स्थापित है लेकिन इनके साथ एथिकल शब्द जुड़ते ही पूरी परिभाषा बदल जाती है। संदेह के घेरे से जुड़ी हैकिंग से विपरीत एथिकल हैकर कंपनियों,संस्थानों या लोगों से अनुमति लेकर साइबर सुरक्षा के लिए काम करते हैं। असल में सिक्योरिटी अब एक डायनेमिक इंडस्ट्री में बदल चुकी है जहां एथिकल हैकिंग का बाजार पिछले कुछ सालों से उभर कर सामने आया है।
गौरतलब है कि हर साल राष्ट्रीय व अन्र्तराष्ट्रीय वेबसाइट्स साइबर अपराधियों द्वारा हैक की जाती हैं। हाल ही में याहू और लिंक्डहन की पासवर्ड चोरी साइबर अपराध का विश्वस्तरीय उदाहरण है। लेकिन इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पोन्स टीम (सर्र-इन) के आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष 800 से ज्यादा ‘डॉट इन’ वेबसाइट्स और करीबन 700 डॉट कॉम वेबसाइट्स को नुकसान पहुंचाया गया। ऐसे में कार्पोरेशन और सरकारी संस्थानों का रुझान साइबर पेशेवरों की ओर हुआ है। कंसल्टिंग फर्म फ्रोस्ट एंड सुलिवन का अनुमान है कि वर्तमान में 21 प्रतिशत की दर से प्रगति कर रही यह इंडस्ट्री दुनियाभर में 2.28 मिलियन पेशेवरों को रोजगार उपलब्ध करा रही है और 2015 तक यह आंकड़ा 4.2 मिलियन पर पहुंच जायेगा। इंटरनेशनल डेटा कार्प के सर्वे के अनुसार दुनियाभर में 60,000 से ज्यादा इंफोर्मेशन सिक्योरिटी पेशेवरों की जरूरत है और अगले कुछ सालों में वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 188000 होगा। भारत भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। नेसकॉम के अनुसार आने वाले सालों में भारत को हर साल 77,000 एथिकल हैकर्स की जरूरत होगी। वर्तमान में यह उत्पादन मात्र 15000 सालाना है। इसलिए करिअर के लिहाज से एथिकल हैकिंग में सुनहरा भविष्य है।
एथिकल हैकर क्या करते हैं? : एथिकल हैकर के काम में सिक्योरिटी प्रोटोकोल में प्रवेश के लिए हैकिंग टूल्ज का इस्तेमाल करना, नेटवर्क और वेबसाइट्स की सुरक्षा को जांचना व सुरक्षा उपायों को लागू करना शामिल है। सरल शब्दों में एथिकल हैकर्स नेटवक्र्स में प्रवेश करते हैं, सिक्योरिटी सिस्टम की कमजोरियों को पहचानते हैं और किसी नुकसान से पहले उसे ठीक कर देते हैं।
उज्ज्वल भविष्य : कंपनियों की आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भरता बढऩे से इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी हुई है, बीएफएसआई, टेलीकॉम, आईटी सर्विसेज और ई कॉमर्स तेजी से एथिकल हैकर्स को नियुक्त कर रहे हैं। दूसरी अच्छी बात है कि आईटी के अन्य क्षेत्रों की तुलना में इन पेशेवरों का वेतन 20-30 प्रतिशत अधिक है, साथ ही यहां उन्नति के अनेक अवसर भी उपलब्ध हैं। यहां नेटवर्क सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेटर, चीफ इंफोर्मेशन सिक्योरिटी ऑफिसर या चीफ एप्लीकेशन सिक्योरिटी ऑफिसर के पद तक पहुंचा जा सकता है।
योग्यता: हैकिंग तकनीकों का ज्ञान और टूल्स को काम में लेने का अनुभव इस क्षेत्र में करिअर की शुरुआत के लिए जरूरी है। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जैसे सी,सी++ ,पर्ल, पायथन और रुबी में प्रोग्राम लिखने की योग्यता सबसे जरूरी है। असेंबली लैंग्वेज और विभिन्न आपरेटिंग सिस्टम (माइक्रोसोफ्ट विंडोज, लाइनेक्स के विभिन्न वर्जन) की जानकारी भी महत्वपूर्ण है। कंप्यूटर साइंस इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी के ग्रेजुएट्स/पोस्ट ग्रेजुएट्स और इंजीनियर एथिकल हैकिंग से जुड़े कोर्स कर सकते हैं।
अवसर : एथिकल हैकर्स के लिए बैकिंग व फायनेंस इंस्टीट्यूशन, एंश्योरेंश व इन्वेस्टमेंट, साफ्टवेयर, टेलीकॉम और पेट्रोलियम इंडस्ट्री में अनेक अवसर उपलब्ध हैं। भारत में विप्रो, आईबीएम, इंफोसिस, डेल, रिलायंस, गूगल, एक्सिस बैंक, भारती एयरटेल, बीपीसीएल, टाटा एआईजी और स्टैंडर्ड चार्टर्ड जैसी कम्पनियां एथिकल हैकर्स को नियुक्त कर रही हैं।
वेतन : फ्रेशर यहां 2.5 से 4 लाख रुपये सालाना कमा सकते हैं। एक साल बाद वे करीबन 5 से 6 लाख रुपये वेतन के रूप में कमा सकते हैं। पांच साल के अनुभव के बाद आप 10 से 12 लाख रुपये सालाना कमा सकते हैं। उच्च अकादमिक योग्यताओं वाले उम्मीदवार अपने पद के अनुसार 30 लाख रुपये तक वेतन प्राप्त कर सकते हैं।
संस्थान : निम्नलिखित संस्थानों से एथिकल हैकर्स के लिए कोर्सेज किए जा सकते हैं :-
(1) इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय
(2) गुजरात फोरेंसिक सांइसेज यूनिवर्सिटी
(3)आईआईआईटी इलाहाबाद
(4) अमृता विश्वविद्यापीठम यूनिवर्सिटी, अमृता स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग
गौरतलब है कि हर साल राष्ट्रीय व अन्र्तराष्ट्रीय वेबसाइट्स साइबर अपराधियों द्वारा हैक की जाती हैं। हाल ही में याहू और लिंक्डहन की पासवर्ड चोरी साइबर अपराध का विश्वस्तरीय उदाहरण है। लेकिन इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पोन्स टीम (सर्र-इन) के आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष 800 से ज्यादा ‘डॉट इन’ वेबसाइट्स और करीबन 700 डॉट कॉम वेबसाइट्स को नुकसान पहुंचाया गया। ऐसे में कार्पोरेशन और सरकारी संस्थानों का रुझान साइबर पेशेवरों की ओर हुआ है। कंसल्टिंग फर्म फ्रोस्ट एंड सुलिवन का अनुमान है कि वर्तमान में 21 प्रतिशत की दर से प्रगति कर रही यह इंडस्ट्री दुनियाभर में 2.28 मिलियन पेशेवरों को रोजगार उपलब्ध करा रही है और 2015 तक यह आंकड़ा 4.2 मिलियन पर पहुंच जायेगा। इंटरनेशनल डेटा कार्प के सर्वे के अनुसार दुनियाभर में 60,000 से ज्यादा इंफोर्मेशन सिक्योरिटी पेशेवरों की जरूरत है और अगले कुछ सालों में वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 188000 होगा। भारत भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। नेसकॉम के अनुसार आने वाले सालों में भारत को हर साल 77,000 एथिकल हैकर्स की जरूरत होगी। वर्तमान में यह उत्पादन मात्र 15000 सालाना है। इसलिए करिअर के लिहाज से एथिकल हैकिंग में सुनहरा भविष्य है।
एथिकल हैकर क्या करते हैं? : एथिकल हैकर के काम में सिक्योरिटी प्रोटोकोल में प्रवेश के लिए हैकिंग टूल्ज का इस्तेमाल करना, नेटवर्क और वेबसाइट्स की सुरक्षा को जांचना व सुरक्षा उपायों को लागू करना शामिल है। सरल शब्दों में एथिकल हैकर्स नेटवक्र्स में प्रवेश करते हैं, सिक्योरिटी सिस्टम की कमजोरियों को पहचानते हैं और किसी नुकसान से पहले उसे ठीक कर देते हैं।
उज्ज्वल भविष्य : कंपनियों की आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भरता बढऩे से इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी हुई है, बीएफएसआई, टेलीकॉम, आईटी सर्विसेज और ई कॉमर्स तेजी से एथिकल हैकर्स को नियुक्त कर रहे हैं। दूसरी अच्छी बात है कि आईटी के अन्य क्षेत्रों की तुलना में इन पेशेवरों का वेतन 20-30 प्रतिशत अधिक है, साथ ही यहां उन्नति के अनेक अवसर भी उपलब्ध हैं। यहां नेटवर्क सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेटर, चीफ इंफोर्मेशन सिक्योरिटी ऑफिसर या चीफ एप्लीकेशन सिक्योरिटी ऑफिसर के पद तक पहुंचा जा सकता है।
योग्यता: हैकिंग तकनीकों का ज्ञान और टूल्स को काम में लेने का अनुभव इस क्षेत्र में करिअर की शुरुआत के लिए जरूरी है। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जैसे सी,सी++ ,पर्ल, पायथन और रुबी में प्रोग्राम लिखने की योग्यता सबसे जरूरी है। असेंबली लैंग्वेज और विभिन्न आपरेटिंग सिस्टम (माइक्रोसोफ्ट विंडोज, लाइनेक्स के विभिन्न वर्जन) की जानकारी भी महत्वपूर्ण है। कंप्यूटर साइंस इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी के ग्रेजुएट्स/पोस्ट ग्रेजुएट्स और इंजीनियर एथिकल हैकिंग से जुड़े कोर्स कर सकते हैं।
अवसर : एथिकल हैकर्स के लिए बैकिंग व फायनेंस इंस्टीट्यूशन, एंश्योरेंश व इन्वेस्टमेंट, साफ्टवेयर, टेलीकॉम और पेट्रोलियम इंडस्ट्री में अनेक अवसर उपलब्ध हैं। भारत में विप्रो, आईबीएम, इंफोसिस, डेल, रिलायंस, गूगल, एक्सिस बैंक, भारती एयरटेल, बीपीसीएल, टाटा एआईजी और स्टैंडर्ड चार्टर्ड जैसी कम्पनियां एथिकल हैकर्स को नियुक्त कर रही हैं।
वेतन : फ्रेशर यहां 2.5 से 4 लाख रुपये सालाना कमा सकते हैं। एक साल बाद वे करीबन 5 से 6 लाख रुपये वेतन के रूप में कमा सकते हैं। पांच साल के अनुभव के बाद आप 10 से 12 लाख रुपये सालाना कमा सकते हैं। उच्च अकादमिक योग्यताओं वाले उम्मीदवार अपने पद के अनुसार 30 लाख रुपये तक वेतन प्राप्त कर सकते हैं।
संस्थान : निम्नलिखित संस्थानों से एथिकल हैकर्स के लिए कोर्सेज किए जा सकते हैं :-
(1) इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय
(2) गुजरात फोरेंसिक सांइसेज यूनिवर्सिटी
(3)आईआईआईटी इलाहाबाद
(4) अमृता विश्वविद्यापीठम यूनिवर्सिटी, अमृता स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग
________________________________________________________
प्रोफेशनल एथिकल हैकर्स अपनी जानकारी, ज्ञान और समझ के आधार पर न सिर्फ कंपनी की कॉन्फिडें शल डिटेल्स को सुरक्षित रखते हैं बल्कि हैकिंग किस लोकेशन से हुई है, उसे भी ट्रेस करने में सक्षम होते हैं
भारत में ऑफलाइन और ऑनलाइन एथिकल हैकिंग कोर्सेज की मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है। आज लगभग सभी पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर कंपनियां इनफॉम्रेशन टेक्नोलॉजी की फील्ड में अपने वेब प्रॉपर्टीज को क्रिमिनल हैकिंग से सुरक्षित रखने की तीव्र जरूरत महसूस करते हैं। इसके लिए उन्हें प्रोफेशनल एथिकल हैकर्स पर निर्भर रहना पड़ता है। ये प्रोफेशनल एथिकल हैकर्स अपनी जानकारी, ज्ञान और समझ के आधार पर न सिर्फ कंपनी की कॉन्फिडेंशल डिटेल्स को सुरक्षित रखते हैं बल्कि हैकिंग किस लोकेशन से हुई है उसे भी ट्रेस करने में सक्षम होते हैं। यह काफी जिम्मेदारियों भरा और फायदेमंद कार्य है। यदि आप आईटी क्षेत्र में एक्साइटिंग करियर बनाना चाह रहे हैं तो एथिकल हैकिंग में ट्रेनिंग प्रोग्राम काफी मददगार साबित हो सकती है।
एथिकल हैकिंग कोर्सेज- भारत में कई प्रकार के एथिकल हैकिंग ट्रेनिंग कोर्सेज ऑफर कराए जाते हैं, जिसमें शामिल है प्रैक्टिकल सेक्योरिटी ट्रेनिंग, सर्टिफिकेशन ट्रेनिंग, कम्प्लाइयंस ट्रेनिंग, ऑनलाइन प्रोफेशनल डेवलपमेंट ट्रेनिंग, आईटी ऑडिट और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट ट्रेनिंग आदि। इसके अलावा कुछ पॉपुलर ट्रेनिंग प्रोग्राम्स जैसे वेब डिफेंसेज, लाइसेंस्ड पेनेट्रेशन टेस्टर, साइबर फॉरेंसिक और सर्टिफाइड एथिकल हैकर आदि भी इस फील्ड में उचित जानकारी के लिए आवश्यक व महत्वपूर्ण कोर्सेज हैं। साथ ही एथिकल हैकिंग से संबंधित अन्य कोर्सेज इस प्रकार हैं- इन्ट्रूजन प्रिवेंशन, एडवांस्ड कंप्यूटर फॉरेंसिक्स, रिवर्स इंजीनियरिंग ट्रेनिंग, डाटा रिकवरी ट्रेनिंग, जावा और जेईई के लिए सिक्योर कोडिंग, डाटाबेस सिक्योरिटी- एमएस, एसक्यूएल सर्वर और ओरैकल सर्वर, सर्टिफाइड इंफॉम्रेशन सिक्योरिटी कंसल्टेंट (सीआईएससी), हैकर ट्रेनिंग ऑनलाइन, एक्सपर्ट पेनेट्रेशन टेस्टिंग, ऑपरेटिंग सिस्टम सिक्योरिटी-विंडो और यूनिक्स, सर्टिफाइड सिक्योर नेट डेवलपर(सीएसडीडी), वायरलेस सिक्योरिटी ट्रेनिंग, सॉफ्टवेयर डेवलपर्स के लिए सिक्योरिटी अवेयरनेस आदि।
योग्यता- एथिकल हैकिंग में, जो कैंडिडेट सर्टिफाइड ट्रेनिंग प्रोग्राम्स करना चाहते हैं उन्हें ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे विंडो 2000 और लिनक्स की जानकारी के साथ अनुभव भी जरूरी है।टीसीपी/आईपी में भी विशेषज्ञता दूसरी जरूरत है।
जॉब प्रॉस्पेक्टस- साइबरस्पेस में आपराधिक हैकिंग को रोकने और उसकी गोपनीयता और सुरक्षा के प्रति बढ़ती चिंता भारत में नैतिक हैकर्स(एथिकल हैकर्स) के करियर को काफी बढ़ावा दिया है। आज लगभग सभी छोटे से बड़े पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर कंपनियों के पास एथिकल हैकिंग सेल या इस तरह की सर्विसेज उपलब्ध हैं ताकि क्लाइंट, कस्टमर, क्रेडिट कार्ड से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके। ऐसे में इस क्षेत्र में विशेषता हासिल छात्रों की मांग हमेशा रहती है। अनुभवी व्यक्तियों के लिए इस कार्यक्षेत्र में वेतन सालाना रूप से लाखों में होती है।
संस्थान- इंटरनेट सुरक्षा और वेब विकास व्यापार(वेब डेवलपमेंट बिजनेस) के लिए लगातार बढ़ती मांग के कारण ही भारत में भी नैतिक पाठय़क्रमों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। आज भारी संख्या में कई संस्थान सर्टिफिकेट प्रोग्राम्स ऑफर करने लगे हैं ताकि इस कार्यक्षेत्र में विशेषज्ञ प्रोफेशनल को सूझ-बूझ के साथ कार्य करने के समर्थ बनाया जा सके। कुछ संस्थान इस प्रकार हैं- जोडो इंस्टीटय़ूट, नोएडा एप्पिन नॉलेज सॉल्यूशन, बैंगलुरू साईकॉप्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद फ्यूचरप्वाइंट टेक्नोलॉजी, हैदराबाद लाइफ ए5 एकेडमी, आगरा टेकडिफेंस प्राइवेट लिमिटेड, अहमदाबाद एडेप्ट टेक्नोलॉजी, चेन्नई एसआईएस ट्रेनिंग सेल, नोएडा नेटवर्क इंटेलिजेंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई इनोबज नॉलेज सॉल्यूशन्स, दिल्ली
(अंशुमाला,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,9.8.11)
______________________________________
हैकिंग का बढ़ता खतरा
आज पूरी दुनिया आपस में इंटरनेट के जरिये जुड़ी हुई हैं. दुनिया के सारे काम कंप्यूटर और इंटरनेट पर किये जा रहे हैं. प्रशासनिक, व्यवसायिक,बैकिंग संबंधी सभी काम इंटरनेट के सहारे ही अंजाम दिये जा रहे है . यानी इंटरनेट एक विश्वव्यापी प्लेटफार्म है. पिछले 20 वर्षों के लोगों की एक नई नस्ल विकसित हो गया है। वे अपनी संस्कृति, अपनी प्रौद्योगिकी और अपनी भाषा है। उनमें समुद्री डाकू और चोर, मशहूर हस्तियों और दार्शनिकों, डींग हांकते और पुलिस, नायक और खलनायक हैं। वे पूरी दुनिया में संचालित है लेकिन साइबरस्पेस उनके असली घर है। और अब वहाँ एक संघर्ष है अपनी डाकू और इसकी स्वर्गदूतों के बीच साइबरस्पेस में है। यह अंदर है बहुत अलग मिशन जो अब लोगों को जाना जाता है की एक विविध नस्ल हैकर के रूप में दुनिया के लिए ड्राइव की कहानी है। 24 घंटे एक दिन, सात दिनों में एक हफ्ते, एक युद्ध वेब पर लड़ा जा रहा है। इस प्लेटफॉर्म पर यदि पूरी दुनिया एक साथ चहलकदमी कर रही है, तो पूरी दुनिया पर एक साथ ही हैकिंग का खतरा भी मंडरा रहा है. इस खतरे से कोई भी बचा हुआ नहीं है. आज किसी देश पर प्रत्यक्ष आक्रमण की जगह, साइबर हमले को आसान माना जा रहा है. हैकिंग के खतरे पर विशेष प्रस्तुति
|
दुनिया में जिस तरह से बदलाव हुए हैं, उसने नयी तरह की चुनौतियों और खतरों को भी जन्म दिया है. इन चुनौतियों में सबसे प्रमुख है हैकिंग का खतरा. आज दुनिया आपस में इंटरनेट के जरिये जुड़ी हुई हैं. आज दुनिया के सारे काम कंप्यूटर और इंटरनेट पर किये जा रहे हैं. प्रशासनिक कामकाज से लेकर बैंकिंग कारोबार तक सारे काम इंटरनेट के सहारे किये जा रहे हैं. इंटरनेट एक विश्वव्यापी प्लेटफार्म है. इस प्लेटफॉर्म पर अगर पूरी दुनिया एक साथ चहलकदमी कर रही है, तो पूरी दुनिया पर एक साथ हैकिंग का खतरा भी मंडरा रहा है. इस खतरे से कोई भी बचा नहीं हुआ है.
आज किसी देश पर प्रत्यक्ष आक्रमण की जगह उस पर साइबर हमले को आसान माना जा रहा है. अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआइ ने साफ तौर पर कहा है कि आने वाले समय में सबसे बड़ा युद्ध साइबर दुनिया में लड़ा जायेगा. 2012 में दुनिया के सामने जिन चुनौतियों का जिक्र किया गया, उनमें साइबर हमला सबसे प्रमुख है. इसे आम बोलचाल की भाषा में ‘इंटरनेट हैकिंग’ के नाम से जाना जाता है.
हैकिंग समूह की धमकी
चीन से साइबर हमला
आज किसी देश पर प्रत्यक्ष आक्रमण की जगह उस पर साइबर हमले को आसान माना जा रहा है. अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआइ ने साफ तौर पर कहा है कि आने वाले समय में सबसे बड़ा युद्ध साइबर दुनिया में लड़ा जायेगा. 2012 में दुनिया के सामने जिन चुनौतियों का जिक्र किया गया, उनमें साइबर हमला सबसे प्रमुख है. इसे आम बोलचाल की भाषा में ‘इंटरनेट हैकिंग’ के नाम से जाना जाता है.
हैकिंग समूह की धमकी
पिछले दिनों हैकिंग समूह-एनॉनिमस ने धमकी दी है कि वह दुनिया भर में इंटरनेट से जुड़ी गतिविधियों को बंद कर देगा। इस समूह की धमकी सच हुई तो इंटरनेट से होने वाले काम शनिवार को नहीं हो सकेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय पुलिस (इंटरपोल) के महासचिव रोनाल्ड के. नोबल ने कहा, ऑपरेशन ग्लोबल ब्लैकआउट 2012 दुनिया भर में शनिवार को इंटरनेट को पूरे दिन के लिए बंद कर सकता है। इसके अंतर्गत इंटरनेट के लिए जरूरी डोमेन नेम सर्विसेज (डीएनएस) सर्वरों को बेकार कर दिया जाएगा, जिसके कारण वेबसाइटें काम नहीं करेंगी। नोबल ने यह जानकारी 13वें डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर के दौरान दी। नोबल के मुताबिक एनॉनिमस वॉल स्ट्रीट धड़ाम से गिरने और गैरजिम्मेदाराना नेतृत्व के अलावा कई अन्य कारणों से इंटरनेट बंद करने की धमकी दी है। वह इन सब गतिविधियों का विरोध कर रहा है। नोबल ने कहा, 'एनॉनिमस कोलम्बिया, चिली और स्पेन के कई निजी और सरकारी वेबसाइटों को अपना निशाना बना चुका है। इस सम्बंध में जांच जारी है।''
इस बीच, इंटरपोल ने इस समूह की धमकी को बेकार करने के लिए व्यापक अभियान चलाकर समूह के 31 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये गिरफ्तारियां फरवरी और मार्च महीने में हुई हैं।
अंतर्राष्ट्रीय पुलिस (इंटरपोल) के महासचिव रोनाल्ड के. नोबल ने कहा, ऑपरेशन ग्लोबल ब्लैकआउट 2012 दुनिया भर में शनिवार को इंटरनेट को पूरे दिन के लिए बंद कर सकता है। इसके अंतर्गत इंटरनेट के लिए जरूरी डोमेन नेम सर्विसेज (डीएनएस) सर्वरों को बेकार कर दिया जाएगा, जिसके कारण वेबसाइटें काम नहीं करेंगी। नोबल ने यह जानकारी 13वें डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर के दौरान दी। नोबल के मुताबिक एनॉनिमस वॉल स्ट्रीट धड़ाम से गिरने और गैरजिम्मेदाराना नेतृत्व के अलावा कई अन्य कारणों से इंटरनेट बंद करने की धमकी दी है। वह इन सब गतिविधियों का विरोध कर रहा है। नोबल ने कहा, 'एनॉनिमस कोलम्बिया, चिली और स्पेन के कई निजी और सरकारी वेबसाइटों को अपना निशाना बना चुका है। इस सम्बंध में जांच जारी है।''
इस बीच, इंटरपोल ने इस समूह की धमकी को बेकार करने के लिए व्यापक अभियान चलाकर समूह के 31 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये गिरफ्तारियां फरवरी और मार्च महीने में हुई हैं।
चीन से साइबर हमला
जानकारों की मानें तो चीन ने भारत के खिलाफ हैकिंग के सहारे एक साइबर जंग शुरू कर दी है. चीन में स्थित समूह भारतीय वेबसाइटों को निशाना बना रहे हैं. इनके द्वारा भारत के आधिकारिक वेबसाइट्स से संवेदनशील जानकारियां चुरायी जा रही हैं. इस तरह चीन भारत के नेशनल इंफॉरमेटिक्स सेंटर और विदेश मंत्रालय को भी निशाना बना चुका है.
भारतीय नेटवर्क के खिलाफ तीन प्रकार के हथियार इस्तेमाल किये जा रहे हैं- बीओटीएस(बॉट्स), की लॉगर्स और मैपिंग ऑफ नेटवर्क. चीनी एक्सपर्ट बॉट्स बनाने में माहिर माने जाते हैं. बॉट्स एक परजीवी प्रोग्राम है, जो नेटवर्क को हैक करता है. अनुमान के मुताबिक भारत में 50000 से ज्यादा बॉट्स हैं.
चीन है हैकिंग का प्रमुख स्रोत
अमेरिका ने चीन पर हैकरों को पनाह देने और उनकी मदद करने का आरोप लगाया है. एक अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक चीन और रूस उसके खिलाफ हैकरों की मदद से एक तरह का साइबर युद्ध चला रहे हैं. गौरतलब है कि दुनिया में हैकिंग का सबसे बड़ा अड्डा ब्राजील को माना जाता है. हालांकि, चीन ने पिछले साल हैकिंग के खिलाफ कठोर कानून बनाये थे, लेकिन फिर भी चीन हैकिंग का मुख्य केंद्र बना हुआ है.
चीन में हैकिंग से आंदोलन!
ऐसा माना जा रहा है कि पिछले हफ्ते चीन में जो 500 से ज्यादा सरकारी और गैरसरकारी वेबसाइटों की हैकिंग की गयी, उसमें चीनी आंदोलनकर्ताओं का हाथ है. दरअसल हैकिंग को सिर्फ व्यक्तिगत लक्ष्यों से ऊपर उठकर अब एक ब.डे हथियार के तौर पर भी इस्तेमाल में लाया जा रहा है और इसका प्रयोग उन देशों और सरकारों के खिलाफ किया जा रहा है, जिनके खिलाफ प्रत्यक्ष कार्रवाई का फिलहाल कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है. इन मामलों में कई बार हैकिंग आंदोलन के अस्त्र के रूप में भी सामने आया है. हैकरों ने घोषणा की है कि वे चीन में इंटरनेट की सेंसरशिप के खिलाफ आगे भी हैकिंग को अंजाम देते रहेंगे.
गौरतलब है कि अज्ञात हैकरों ने चीनी साइटों को हैक करके उस पर अपना संदेश डाला था- ‘चीन की जनता के लिए : आपकी सरकार आपके देश में इंटरनेट को अपने शिकंजे में रखे हुए है. वह हर ऐसी चीज का सेंसरशिप करना चाहती है, जो उसे उसके हित के लिए खतरनाक नजर आता है.
यहां यह जानना अहम है कि चीन में वास्तव में इंटरनेट पर तरह-तरह की पाबंदियां हैं और इन पाबंदियों के खिलाफ ही करीब दो साल पहले सर्च इंजन गूगल ने चीन में अपना कारोबार बंद कर दिया था. इसके लिए चीन में एक ग्रेट फायरवॉल का इस्तेमाल किया जाता है, जो इंटरनेट की हर गतिविधि की जानकारी रखता है और किसी आपत्तिजनक सामग्री को प्रकाशित नहीं होने देता.
क्या है हैकिंग
कंप्यूटर पर वायरस के हमले के बारे में तो हम सब सुनते हैं, लेकिन कंप्यूटर हैक होने का खतरा आज वायरस से भी ज्यादा गंभीर रूप ले चुका है. हैकिंग के जरिये कोई हैकर किसी नेटवर्क के कंप्यूटर पर पूरी तरह कब्जा जमा लेता है. वह सिर्फ आपकी सूचनाओं को ही नष्ट नहीं करता, बल्कि उसका अपने हिसाब से इस्तेमाल कर सकता है. जाहिर है, किसी की गोपनीय जानकारी चुराकर उसे नुकसान पहुंचाना काफी आसान है. वास्तव में हैकिंग एक हुनर है, जिसमें कंप्यूटर प्रोग्रामों के जरिये किसी नेटवर्क के कंप्यूटरों को अपने वश में किया जाता है. जब कोईदेश किसी अन्य देश के खिलाफ इस तरह से इंटरनेट हैकिंग को प्रोत्साहित करता है, तो इसे ‘साइबर युद्ध’ कहा जाता है. आज की तारीख में जब सूचनाएं ही ताकत हैं, एक देश दूसरे देश की सूचना पर कब्जा जमा कर या उसे हैकिंग के जरिये चुराकर उसे आसानी से नुकसान पहुंचा सकता है. हालांकि, आज की तारीख में एक दूसरे पर हैकिंग का आरोप लगाना आम बात है, लेकिन हकीकत है कि कुछ देश हैकिंग को ज्यादा बढ.ावा दे रहे हैं.
सिर्फ नकारात्मक नहीं है हैकिंग
हैकिंग से सिर्फ नकारात्मक अर्थ नहीं लिया जाना चाहिए. दरअसल आज की तारीख में हैकर सरकार और एजेंसियों को मदद पहुंचाते हैं. हैकिंग की मदद से सरकार या खुफिया एजेंसी किसी एकाउंट को हैक करके वहां से सूचनाएं और सबूत जुटाती हैं. यही कारण है कि कई संस्थान ‘एथिकल हैकिंग’ का कोर्स भी कराते हैं.
आंदोलनकर्ताओं का अस्त्र हैकिंग
समाचार एजेंसी रायटर की एक खबर के मुताबिक वर्ष 2011 में हैकिंग के ज्यादातर मामले उन आंदोलनकर्ताओं ने अंजाम दिये, जो सरकार और कॉरपोरेट नेटवर्क के सिस्टम को हैक करके ऐसी जानकारी निकालकर उनकी साई दुनिया के सामने लाना चाहते थे. वेरीजॉन कम्युनिकेशन इंक के मुताबिक यह हैकिंग की दुनिया में ब.डे बदलाव का लक्षण माना जा सकता है, क्योंकि इससे पहले हैकिंग का काम मुख्यत: पैसे संबंधी जालसाजी और अपराध को अंजाम देने के लिए किया जाता था. इस टेलीकम्युनिकेशन कंपनी ने पांच देशों की लॉ इंफोर्समेंट एजेंसीज के साथ हैकिंग के855 मामलों में 17.4 करोड़ रिकॉर्डस की जांच करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला. उनके मुताबिक यह एक नया किस्म का एक्टिविज्म है, जिसे ‘हैक्टिविज्म’ कहा जा सकता है.
हैक किये गये आंकड़ों में 58 फीसदी आंक.डे इस हैक्टिविज्म से संबंधित थे. इस हैकिंग ग्रुप ने अपना नाम एनॉनिमस यानी अज्ञात ग्रुप रखा है. चीन में भी इस ग्रुप ने ही हैकिंग की जिम्मेदारी ली है.
वर्ष 2011 में भी इस ग्रुप ने एक के बाद एक हैकिंग की घटनाओं की जिम्मेदारी ली थी. इसने पिछले साल ट्यूनीशिया, अल्जीरिया, जिम्बाब्वे और दूसरे देशों की वेबसाइटों को निशाना बनाया था. इसके अलावा सेना के ठेकेदारों, कानून इंफोर्समेंट एजेंसियों और सोनी कॉर्प, न्यूज कॉर्प और एप्पल इंक को भी निशाना बनाया गया. जानकारों का मानना है कि इंटरनेट एक्टिविज्म के इस दौर में हैक्टिविज्म का पूरा जोर रहेगा. हालांकि इसे अंतरालों में अंजाम दिया जायेगा. यानी कभी अति-सक्रियता, तो कभी थोड़ी निष्क्रियता. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी की चोरी के लिए सिर्फ चार फीसदी हैकिंग को अंजाम दिया गया. हालांकि, इस चोरी से मिलने वाला फायदा जरूर हैक्टिविज्म से होने वाले आर्थिक फायदे से बड़ा रहा होगा. ब.डे संस्थानों में हुई हैकिंग की करीब 40 फीसदी घटना संवेदनशील जानकारियों, कॉपीराइट जानकारियों और ट्रेड सीक्रेट्स से जुड़ी हुई थीं.
पाक की भारत विरोधी साइबर जंग
हैकिंग देशों के बीच ब.डे युद्ध के मैदान के तौर पर उभरा है. अब जबकि दो देश प्रत्यक्ष युद्ध नहीं लड़ सकते, वे अपने प्रतिद्वंद्वियों के कंप्यूटर नेटवर्क को हैक करके उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले एक वर्ष में भारत सरकार की 112वेबसाइट पाकिस्तान आधारित एच4टीआर सीके नाम के समूह द्वारा हैक की गयी. भारतीय अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि हैकिंग देश के लिए बड़ा खतरा बन चुका है. 2011 में बीएसएनएल, सीबीआइ जैसे कई अहम संगठनों को निशाना बनाया गया.
गौरतलब है कि बीएसएनएल की फोन डायरेक्ट्री में लाखों लोगों की पहचान, पता और उनका फोन नंबर है. इन नंबरों में सेंध लगाकर कोई बड़ी आसानी से भारत-विरोधी गतिविधि को अंजाम दे सकता है. जानकारों का कहना है कि भारत में ऑनलाइन सुरक्षा की तैयारी काफी कमजोर है.
भारत सरकार के ज्यादातर संगठनों की वेबसाइट सिंगल सर्वर पर चलायी जाती हैं, ऐसे में यह आसानी से हैकरों के निशाने पर आ जाती हैं. पाकिस्तान भारत के खिलाफ1998 से ‘साइबर युद्ध’ चला रहा है. लेकिन अभी तक इसने इतना गंभीर रूप अख्तियार नहीं किया था.
पाकिस्तानी समूह मिलवर्म ने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की वेबसाइट पर हमला कियाथा, लेकिन उस समय डेटा की किसी किस्म की चोरी नहीं की गयी थी, बल्कि वहां कुछ भारत विरोधी नारे लगा दिये गये थे. सीबाआइ भी पाकिस्तानी हैकिंग का शिकार हो चुकी है और एक बार तो इसे हैकिंग के कारण अपनी वेबसाइट 15 दिनों के लिए बंद करनी पड़ी थी. हैकरों ने ओएनजीसी, इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग आदि संगठनों को भी अपने निशाने पर लिया है. साइबर हमलों के बारे में बार-बार आगाह किये जाने पर भी भारत इससे लड़ने के लिए पुख्ता तैयारी करता नजर नहीं आता. पाकिस्तान ने भारत की वेबसाइटों पर हमला करने के लिए हैकरों के कई समूह तैयार किये हैं. इनमें पाकिस्तान जी फोर्स और पाकिस्तान साइबर आर्मी प्रमुख है. आइएसआइ ने ‘पाकिस्तान हैकर क्लब’ नाम से एक अलग दस्ते का निर्माण ही किया था. इन समूहों ने कम-से-कम 500 भारतीय वेबसाइटों पर हमला किया है.
भारत के जानकार इस चुनौती से निपटने के लिए क.डे उपायों की वकालत करते रहे हैं. जिसमें सिंगल सर्वर की जगह मल्टी सर्वर का इस्तेमाल और विशेष दस्ते का निर्माण शामिल है. उद्योग जगत के अनुमान के मुताबिक वर्ष 2011 में 14000 से ज्यादा सरकारी तथा कॉरपोरेट वेबसाइट को हैकरों ने नुकसान पहुंचाया.
______________________________________________________
इंटरनेट की उपयोगिता को लगा हैकिंग का ग्रहण
इन्टरनेट की लोकप्रियता और आवश्यकता निरन्तर बढ़ रही है। इस आधुनिक और त्वरित गति तकनीक के साथ.साथ कुछ खतरे तथा परेशानियां भी बढ़ गयीं हैं। सूचना, ज्ञान और जानकारी के अथाह भंडार को हम अलादीन के चिराग की उपमा सहज ही दे सकते हैं। कुछ बटन दबाते ही मनचाहा विवरण हमारे सामने होता है जिसे हम सहेज कर रख सकते हैं या उसका प्रिन्ट ले सकते हैं और जिसका आवश्यकतानुसार उपयोग कर सकते हैं। अनगिनत युवा नेट सर्फिंग और चैटिंग करते हैं। इस आधुनिक तकनीक ने मनोरंजन, गपशप और देश.विदेश में दोस्त बनाना भी बेहद आसान बना दिया है। अधिकांश किशोर और युवा विपरीत लिंगी से (भले ही वे एक दूसरे से झूठ बोल रहे हों) मैत्री कर जमकर चैटिंग का आनन्द लेते हैं। इस नयी पीढ़ी के तमाम लोगों के लिए चैटिंग दिनचयर का ही अंग बन गयी है।
सर्फिंग और चैटिंग हैकिंग के चलते कभी भी परेशानी का कारण बन सकते हैं। आजकल हैकिंग का जोर काफी बढ़ रहा है। नयी तकनीक की जानकारी रखने वाले किसी भी शरारती या शातिर दिमाग वाले व्यक्ति के लिए हैकिंग बहुत आसान कार्य है। हैकिंग के लिए किसी विशेष योग्यता या क्षमता की आवश्यकता नहीं होती। हैकिंग करने वाले को हैकर कहा जाता है। हैकर की पहुंच दूसरों के निजी ई.मेल और फाइलों तक सहज ही हो जाती है। सर्फिंग के दौरान हाऊ टू डू गाइड्स, ऑटोमेटेड टूल्स आदि के कारण यह कार्य मुश्किल नहीं रह जाता। भले ही ज्यादातर किशोर और युवा मजे के लिए ही हैकिंग कर हैकर बनते हैं। पर हैकिंग का कार्य एक साइबर अपराध है।
आईटी एक्ट के अनुसार, किसी के निजी ई.मेल पढ़ना एक अपराध है। हालांकि व्यावसायिक प्रतिस्पद्धर के चलते हैकिंग कापोर्रेट जगत में एक व्यवस्थित अपराध बन गयी है। हैकरों को 2 नामों से जाना जाता है. व्हाइट हैट और ब्लैक हैट हैकर। बड़ी.बड़ी कम्पनियां अपने सुरक्षा तन्त्र को मजबूत बनाए रखने के लिए एथिकल एक्सपर्ट व्हाइट हैट हैकर नियुक्त करती हैं। ये किसी साइबर अपराध में शामिल नहीं होते अपितु साइबर अपराधों का पता लगाने और उनकी रोकथाम में मदद करते हैं। ज्यादातर मामलों में उत्सुकता और कुछ करके देखने के मजे लेने की इच्छा के कारण किशोर और युवा जाने.अनजाने इस अपराध कर्म के सहयोगी बन जाते हैं।
किशोर और युवा वर्ग हैकिंग का स्वयं आसानी से शिकार बन जाता है। हैकिंग के क्षेत्र के उस्ताद तरह.तरह के प्रलोभन से किशोर और युवा वर्ग को अपने जाल में फंसाते हैं। गेमिंग और चैटिंग आज के बहुत आकर्षक क्षेत्र हैं। एक अन्य आकर्षण है पोर्न साइट्स। इन साइट्स के होम पेज व कुछ अन्य हिस्सों में दी गयी सामग्री, चित्रों या वीडियो क्लिपिंग को देखकर किशोर और युवा ही नहीं बड़े भी कुछ और देखने के लिए इनके आकर्षण में फंस जाते हैं। इन साइट्स की सदस्यता के बहाने लोगों से अन्य विवरण के साथ.साथ क्रेडिट कार्ड, बैंक खाते आदि के बारे में आवश्यक जानकारी भी प्राप्त कर ली जाती है। चैटिंग के जरिए भी हैकर चैट रूम में प्रवेश कर उपयोक्ता को धीरे.धीरे विश्वास में लेकर अपने काम की जानकारी ले लेते हैं। इस जानकारी का उपयोग हैकर अपने हित में और उपयोक्ता को नुकसान पहुंचाने के लिए करते हैंं।
हैकिंग से बचने के लिए उपयोक्ता को स्वयं ही सावधान रहने की जरूरत है। साथ ही इसके लिए हर स्तर पर सावधानी बरतना आवश्यक है। स्कूल.कॉलेजों में सिक्योरिटी नार्म्सको अपनाया जा रहा है। शिक्षा संस्थानों के अलावा सरकार द्वारा अपने स्तर पर आवश्यक कदम उठाया जाना भी जरूरी है। उपयोक्ता और अभिभावकों को भी सावधान रहने की जरूरत है। अभिभावकों को बच्चों के द्वारा की गयी नेट सर्फिंग पर नजर रखना चाहिए। हालांकि साइबर कैफे आदि के उपयोग को देखते हुए ऐसा कर पाना काफी मुश्किल है। इन्टरनेट के तेजी से होते प्रसार और अच्छी बैंडविड्थ की सुविधा ने नि:संदेह जागरूक अभिभावकों के माथे पर पिंता की एक और लकीर बढ़ा दी है।
एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि आज के भागमभाग के समय में अधिकांश सक्षम अभिभावकों के पास बच्चों की आर्थिक जरूरतों की पूर्ति के अलावा उनके लिए समय ही नहीं है। कम से कम इतना तो किया ही जा सकता है कि इंटरनेट पर महत्वपूर्ण निजी जानकारियां, फोटो आदि, जिनसे कोई आपको आर्थिक हानि पहुंचा सके या ब्लैकमेल कर सके, देने से बचना चाहिए। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों की नेट सर्फिंग पर नजर रखें। नियमित रूप से सर्फिंग के दौरान विजिट की गयी साइट्स की जांच करते रहना चाहिए। हैकिंग के बारे में बताते हुए उन्हें सावधान रहने की हिदायत देना भी जरूरी है।
हैकिंग से बचने के लिए बच्चों को ही नहीं बड़ों को भी प्रशिक्षित किया जाना जरूरी हो गया है। हैकिंग के विरुद्ध आवश्यक कानून बनाने की भी जरूरत है। हैकर की पहचान करना साइबर क्राइम विशेषज्ञों के लिए कोई मुश्किल काम नहीं है पर इस अपराध के लिए बड़ी सजा का प्रावधान नहीं है। विशेष रूप से अवयस्क हैकिंग अपराधियों को चेतावनी और मामूली सजा दी जाती है।
सर्फिंग और चैटिंग हैकिंग के चलते कभी भी परेशानी का कारण बन सकते हैं। आजकल हैकिंग का जोर काफी बढ़ रहा है। नयी तकनीक की जानकारी रखने वाले किसी भी शरारती या शातिर दिमाग वाले व्यक्ति के लिए हैकिंग बहुत आसान कार्य है। हैकिंग के लिए किसी विशेष योग्यता या क्षमता की आवश्यकता नहीं होती। हैकिंग करने वाले को हैकर कहा जाता है। हैकर की पहुंच दूसरों के निजी ई.मेल और फाइलों तक सहज ही हो जाती है। सर्फिंग के दौरान हाऊ टू डू गाइड्स, ऑटोमेटेड टूल्स आदि के कारण यह कार्य मुश्किल नहीं रह जाता। भले ही ज्यादातर किशोर और युवा मजे के लिए ही हैकिंग कर हैकर बनते हैं। पर हैकिंग का कार्य एक साइबर अपराध है।
आईटी एक्ट के अनुसार, किसी के निजी ई.मेल पढ़ना एक अपराध है। हालांकि व्यावसायिक प्रतिस्पद्धर के चलते हैकिंग कापोर्रेट जगत में एक व्यवस्थित अपराध बन गयी है। हैकरों को 2 नामों से जाना जाता है. व्हाइट हैट और ब्लैक हैट हैकर। बड़ी.बड़ी कम्पनियां अपने सुरक्षा तन्त्र को मजबूत बनाए रखने के लिए एथिकल एक्सपर्ट व्हाइट हैट हैकर नियुक्त करती हैं। ये किसी साइबर अपराध में शामिल नहीं होते अपितु साइबर अपराधों का पता लगाने और उनकी रोकथाम में मदद करते हैं। ज्यादातर मामलों में उत्सुकता और कुछ करके देखने के मजे लेने की इच्छा के कारण किशोर और युवा जाने.अनजाने इस अपराध कर्म के सहयोगी बन जाते हैं।
किशोर और युवा वर्ग हैकिंग का स्वयं आसानी से शिकार बन जाता है। हैकिंग के क्षेत्र के उस्ताद तरह.तरह के प्रलोभन से किशोर और युवा वर्ग को अपने जाल में फंसाते हैं। गेमिंग और चैटिंग आज के बहुत आकर्षक क्षेत्र हैं। एक अन्य आकर्षण है पोर्न साइट्स। इन साइट्स के होम पेज व कुछ अन्य हिस्सों में दी गयी सामग्री, चित्रों या वीडियो क्लिपिंग को देखकर किशोर और युवा ही नहीं बड़े भी कुछ और देखने के लिए इनके आकर्षण में फंस जाते हैं। इन साइट्स की सदस्यता के बहाने लोगों से अन्य विवरण के साथ.साथ क्रेडिट कार्ड, बैंक खाते आदि के बारे में आवश्यक जानकारी भी प्राप्त कर ली जाती है। चैटिंग के जरिए भी हैकर चैट रूम में प्रवेश कर उपयोक्ता को धीरे.धीरे विश्वास में लेकर अपने काम की जानकारी ले लेते हैं। इस जानकारी का उपयोग हैकर अपने हित में और उपयोक्ता को नुकसान पहुंचाने के लिए करते हैंं।
हैकिंग से बचने के लिए उपयोक्ता को स्वयं ही सावधान रहने की जरूरत है। साथ ही इसके लिए हर स्तर पर सावधानी बरतना आवश्यक है। स्कूल.कॉलेजों में सिक्योरिटी नार्म्सको अपनाया जा रहा है। शिक्षा संस्थानों के अलावा सरकार द्वारा अपने स्तर पर आवश्यक कदम उठाया जाना भी जरूरी है। उपयोक्ता और अभिभावकों को भी सावधान रहने की जरूरत है। अभिभावकों को बच्चों के द्वारा की गयी नेट सर्फिंग पर नजर रखना चाहिए। हालांकि साइबर कैफे आदि के उपयोग को देखते हुए ऐसा कर पाना काफी मुश्किल है। इन्टरनेट के तेजी से होते प्रसार और अच्छी बैंडविड्थ की सुविधा ने नि:संदेह जागरूक अभिभावकों के माथे पर पिंता की एक और लकीर बढ़ा दी है।
एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि आज के भागमभाग के समय में अधिकांश सक्षम अभिभावकों के पास बच्चों की आर्थिक जरूरतों की पूर्ति के अलावा उनके लिए समय ही नहीं है। कम से कम इतना तो किया ही जा सकता है कि इंटरनेट पर महत्वपूर्ण निजी जानकारियां, फोटो आदि, जिनसे कोई आपको आर्थिक हानि पहुंचा सके या ब्लैकमेल कर सके, देने से बचना चाहिए। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों की नेट सर्फिंग पर नजर रखें। नियमित रूप से सर्फिंग के दौरान विजिट की गयी साइट्स की जांच करते रहना चाहिए। हैकिंग के बारे में बताते हुए उन्हें सावधान रहने की हिदायत देना भी जरूरी है।
हैकिंग से बचने के लिए बच्चों को ही नहीं बड़ों को भी प्रशिक्षित किया जाना जरूरी हो गया है। हैकिंग के विरुद्ध आवश्यक कानून बनाने की भी जरूरत है। हैकर की पहचान करना साइबर क्राइम विशेषज्ञों के लिए कोई मुश्किल काम नहीं है पर इस अपराध के लिए बड़ी सजा का प्रावधान नहीं है। विशेष रूप से अवयस्क हैकिंग अपराधियों को चेतावनी और मामूली सजा दी जाती है।
_____________________________________
भारत को हैकरों से खतरा
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार को हैकिंग से बड़ा खतरा बताने वाले जाने माने एक युवा विशेषज्ञ का कहना है कि एथिकल हैकिंग ऐसी सेंधमारियों को दूर करेगा।
साइबर और हैकिंग के जाने माने विशेषज्ञ अंकित फाड़िया के अनुसार कंप्यूटरों के तंत्र में सेंध लगाने वाले सेंधमारों से 100 फीसदी सुरक्षा संभव नहीं है, लेकिन एहतियाती दिशा-निर्देशों के बारे में लोगों को सचेत कर देश में सूचना प्रौद्योगिकी के विस्तार को सुगम बनाया जा सकता है। ऐसे में एथिकल हैकिंग साइबर जगत में भरोसा कायम करने का साधन बन सकता है।
फाड़िया ने कहा कि लोग हैकिंग के खतरे के कारण साइबर जगत को सुरक्षित नहीं मानते जिसके कारण ई-कामर्स को देश में आशातीत सफलता नहीं मिल रही है।
युवा विशेषज्ञ ने बताया कि बड़ी संख्या में आज भी देश में लोग हैकिंग के खतरे के कारण कंजरवेटिव बने हुए और सूचना प्रौद्योगिकी से लैस होने में हिचकिचाहट है। ई-बैंकिंग, ई-पेमेंट, ई-शिक्षा जैसे साइबर जगत के अन्य अनुप्रयोग से लोग हैकिंग के कारण हिचकिचाते हैं।
ऐसे में लोगों को साइबर कानूनों, एहतियाती उपायों के बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी है। कंप्यूटर और साइबर सुरक्षा के बारे में देश विदेश में लोगों, कंपनियों को जानकारी देने वाले फाड़िया का मानना है कि युवाओं की साइबर जगत सक्रियता बढ़ने से हैक्टिविज्म का शिकार होने का जोखिम बहुत बढ़ा है।
फाड़िया मानते हैं कि फेसबुक, ऑरकुट, माइस्पेस, ट्विटर पर लागरों की सक्रियता बहुत अधिक होती है और यहीं से सेंधमारों (हैकरों) को साइबर जगत पर हमला करने का मौका मिल जाता है।
एथिकल हैकिंग अर्थात गैरकानूनी सेंधमारों से सुरक्षा का प्रशिक्षण देने वाले कार्य को एक बेहतर करियर सृजन के रूप में पैरोकार अंकित फाड़िया ने इसे बाकायदा कोर्स के रूप में तवज्जो दिया है। फाड़िया एक प्रमाणित पाठ्यक्रम भी चला रहे हैं। वह इस पाठ्यक्रम के माध्यम से सेंधमारों से सुरक्षा पुख्ता करने का प्रशिक्षण देते हैं।
नेशनल एसोसिएशन साफ्टवेयर सर्विसेज कंपनी अर्थात नैसकाम की रिपोर्ट का हवाला देते हुए फाड़िया कहते हैं कि यह आज के समय की जरूरत है। उनका कहना है कि देश को आज के समय में 77 हजार एथिकल हैकरों की दरकार है और विश्व भर में यह संख्या आँकड़ों में एक लाख 88 हजार प्रतिवर्ष है।
फाड़िया ने बताया कि साइबर हमलों की संख्या प्रतिदिन इतनी अधिक होती है कि चेतावनी देने वाली निगरानी संस्था कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सर्ट) के बस की भी बात नहीं है कि वह पूरी-पूरी जानकारी दे सके।
उन्होंने कहा कि सर्ट जितनी भी वेबसाइट ब्लॉक करती है हैकर उसका तोड़ निकाल लेते हैं और यह डाल-डाल तो वह पात-पात का खेल चलता है। सर्ट प्रतिमाह करीब पाँच हजार साइबर हमलों के बारे में सचेत करती है लेकिन वास्तविक संख्या इससे 10 गुना अधिक है।
साइबर सुरक्षा की मुहिम में भारत में 15 हजार से अधिक एथिकल हैकरों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित कर चुके फाड़िया कहते हैं कि ई-मेल, चैटिंग, ऑनलाइन गेमिंग और अन्य प्रकार के साइबर अनुप्रयोग जब इतने आम हो चुके हैं तथा किशोर जगत में लोकप्रिय हो चुके तो इस रुझान की सुरक्षा के प्रति बुनियादी पाठ्यक्रम आधारित जानकारी जरूर दी जानी चाहिए।
फाड़िया ने भारत के साइबर कानूनों को अच्छा बताया लेकिन कहा कि कानून प्रवर्तन इकाइयों जैसे पुलिस को इनके बारे में जानकारी बहुत कम है। आला अधिकारियों तक को ठीक से साइबर क्राइम का कखग नहीं पता होता।
उन्होंने कहा कि साइबर सदुपयोग के कारण जहाँ एक वरदान है तो दुरुपयोग के कारण एक अभिशाप भी। यौन विकृतियों से ग्रस्त लोग अश्लीलता को पौर्नोग्राफी, चाइल्ड पौर्नोग्राफी का बड़ा ऑनलाइन धंधा बना चुके हैं। साइबर कानून के बारे में अधिक जागरूकता न होने के कारण ऐसे आपराधिक तत्व कानून की गिरफ्त से बाहर हैं।
फाड़िया ने बताया कि एक बड़ी कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत से बड़ी संख्या में स्पैम मेल (झाँसा देने वाले मेल) एशिया प्रशांत क्षेत्र में भेजे जाते हैं। ऐसी स्थिति में देश को साइबर सुरक्षा के बारे में लोगों को जागरूक करने की बहुत जरूरत है।
दुनिया में इंटरनेट प्रोटोकाल का संस्करण (आईपी वर्जन) चार से परिवर्तित होकर छह होने जा रहा है इसे फाड़िया साइबर परिदृश्य में सुरक्षा पुख्ता करने वाला मानते हैं, लेकिन उनका कहना है कि मॉडम, राउटर और अन्य जरूरी साधनों में बड़ा परिवर्तन करना होगा।
दस वर्ष की आयु में एक कुशल हैकर का कीर्तिमान बनाने वाले फाड़िया कहते हैं कि मोबाइल टेलीफोनी अब तीसरी पीढ़ी (3-जी) में प्रवेश करने जा रही है ऐसे में ई-कामर्स का बहुत सारा काम इस प्रौद्योगिकी के माध्यम से होगा। ऐसे परिदृश्य में हैकरों का सारा ध्यान 3-जी की ओर आकृष्ट होगा। (भाषा)
साइबर और हैकिंग के जाने माने विशेषज्ञ अंकित फाड़िया के अनुसार कंप्यूटरों के तंत्र में सेंध लगाने वाले सेंधमारों से 100 फीसदी सुरक्षा संभव नहीं है, लेकिन एहतियाती दिशा-निर्देशों के बारे में लोगों को सचेत कर देश में सूचना प्रौद्योगिकी के विस्तार को सुगम बनाया जा सकता है। ऐसे में एथिकल हैकिंग साइबर जगत में भरोसा कायम करने का साधन बन सकता है।
फाड़िया ने कहा कि लोग हैकिंग के खतरे के कारण साइबर जगत को सुरक्षित नहीं मानते जिसके कारण ई-कामर्स को देश में आशातीत सफलता नहीं मिल रही है।
युवा विशेषज्ञ ने बताया कि बड़ी संख्या में आज भी देश में लोग हैकिंग के खतरे के कारण कंजरवेटिव बने हुए और सूचना प्रौद्योगिकी से लैस होने में हिचकिचाहट है। ई-बैंकिंग, ई-पेमेंट, ई-शिक्षा जैसे साइबर जगत के अन्य अनुप्रयोग से लोग हैकिंग के कारण हिचकिचाते हैं।
ऐसे में लोगों को साइबर कानूनों, एहतियाती उपायों के बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी है। कंप्यूटर और साइबर सुरक्षा के बारे में देश विदेश में लोगों, कंपनियों को जानकारी देने वाले फाड़िया का मानना है कि युवाओं की साइबर जगत सक्रियता बढ़ने से हैक्टिविज्म का शिकार होने का जोखिम बहुत बढ़ा है।
फाड़िया मानते हैं कि फेसबुक, ऑरकुट, माइस्पेस, ट्विटर पर लागरों की सक्रियता बहुत अधिक होती है और यहीं से सेंधमारों (हैकरों) को साइबर जगत पर हमला करने का मौका मिल जाता है।
एथिकल हैकिंग अर्थात गैरकानूनी सेंधमारों से सुरक्षा का प्रशिक्षण देने वाले कार्य को एक बेहतर करियर सृजन के रूप में पैरोकार अंकित फाड़िया ने इसे बाकायदा कोर्स के रूप में तवज्जो दिया है। फाड़िया एक प्रमाणित पाठ्यक्रम भी चला रहे हैं। वह इस पाठ्यक्रम के माध्यम से सेंधमारों से सुरक्षा पुख्ता करने का प्रशिक्षण देते हैं।
नेशनल एसोसिएशन साफ्टवेयर सर्विसेज कंपनी अर्थात नैसकाम की रिपोर्ट का हवाला देते हुए फाड़िया कहते हैं कि यह आज के समय की जरूरत है। उनका कहना है कि देश को आज के समय में 77 हजार एथिकल हैकरों की दरकार है और विश्व भर में यह संख्या आँकड़ों में एक लाख 88 हजार प्रतिवर्ष है।
फाड़िया ने बताया कि साइबर हमलों की संख्या प्रतिदिन इतनी अधिक होती है कि चेतावनी देने वाली निगरानी संस्था कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सर्ट) के बस की भी बात नहीं है कि वह पूरी-पूरी जानकारी दे सके।
उन्होंने कहा कि सर्ट जितनी भी वेबसाइट ब्लॉक करती है हैकर उसका तोड़ निकाल लेते हैं और यह डाल-डाल तो वह पात-पात का खेल चलता है। सर्ट प्रतिमाह करीब पाँच हजार साइबर हमलों के बारे में सचेत करती है लेकिन वास्तविक संख्या इससे 10 गुना अधिक है।
साइबर सुरक्षा की मुहिम में भारत में 15 हजार से अधिक एथिकल हैकरों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित कर चुके फाड़िया कहते हैं कि ई-मेल, चैटिंग, ऑनलाइन गेमिंग और अन्य प्रकार के साइबर अनुप्रयोग जब इतने आम हो चुके हैं तथा किशोर जगत में लोकप्रिय हो चुके तो इस रुझान की सुरक्षा के प्रति बुनियादी पाठ्यक्रम आधारित जानकारी जरूर दी जानी चाहिए।
फाड़िया ने भारत के साइबर कानूनों को अच्छा बताया लेकिन कहा कि कानून प्रवर्तन इकाइयों जैसे पुलिस को इनके बारे में जानकारी बहुत कम है। आला अधिकारियों तक को ठीक से साइबर क्राइम का कखग नहीं पता होता।
उन्होंने कहा कि साइबर सदुपयोग के कारण जहाँ एक वरदान है तो दुरुपयोग के कारण एक अभिशाप भी। यौन विकृतियों से ग्रस्त लोग अश्लीलता को पौर्नोग्राफी, चाइल्ड पौर्नोग्राफी का बड़ा ऑनलाइन धंधा बना चुके हैं। साइबर कानून के बारे में अधिक जागरूकता न होने के कारण ऐसे आपराधिक तत्व कानून की गिरफ्त से बाहर हैं।
फाड़िया ने बताया कि एक बड़ी कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत से बड़ी संख्या में स्पैम मेल (झाँसा देने वाले मेल) एशिया प्रशांत क्षेत्र में भेजे जाते हैं। ऐसी स्थिति में देश को साइबर सुरक्षा के बारे में लोगों को जागरूक करने की बहुत जरूरत है।
दुनिया में इंटरनेट प्रोटोकाल का संस्करण (आईपी वर्जन) चार से परिवर्तित होकर छह होने जा रहा है इसे फाड़िया साइबर परिदृश्य में सुरक्षा पुख्ता करने वाला मानते हैं, लेकिन उनका कहना है कि मॉडम, राउटर और अन्य जरूरी साधनों में बड़ा परिवर्तन करना होगा।
दस वर्ष की आयु में एक कुशल हैकर का कीर्तिमान बनाने वाले फाड़िया कहते हैं कि मोबाइल टेलीफोनी अब तीसरी पीढ़ी (3-जी) में प्रवेश करने जा रही है ऐसे में ई-कामर्स का बहुत सारा काम इस प्रौद्योगिकी के माध्यम से होगा। ऐसे परिदृश्य में हैकरों का सारा ध्यान 3-जी की ओर आकृष्ट होगा। (भाषा)
_______________________________________________________
साइबर पर छाया, हैकिंग का साया
पिछले दिनों खबर थी कि विदेशों में बैठे हैकर्स प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गए हैं और पीएमओ के महत्वपूर्ण लोगों के खातों से छेडछाड की। ऎसे ही वाकिए पिछले साल भी सुनने में आए जब कुछ हैकर्स ने विदेश मंत्रालय में घुसपैठ की थी और अनेक दूतावासों के कंप्यूटर तंत्र को भेदने में सफल रहे थे। हैकिंग की समस्या देश के लिए सबसे बडी समस्या के रूप में उभरने लगी है।
साइबर आतंकवाद यानी हैकिंग। किसी व्यक्ति, कंपनी या सुरक्षा एजेंसी के गोपनीय दस्तावेज चुराने हो या उसकी साइबर सुरक्षा में सेंधमारी करनी हो, हैकर्स अपना काम चुटकियों में कर डालते हैं। ऎसे में उनके बुरे मंसूबों पर पानी फेरना बहुत मुश्किल साबित होता है। अगर यही हैकिंग सही मंसूबों के साथ की जाए तो यह इस साइबर आतंकवाद को रोकने का भी काम कर सकती है।
साइबर दुनिया। ऎसी दुनिया जो आज तेजी से समांतर दुनिया का रूप लेती जा रही है। ऑफिस का काम हो, दोस्तों के साथ गपशप हो, खरीदारी करनी हो या बिल चुकाना हो.. साइबर दुनिया में सबकुछ एक क्लिक पर होता है। जब यह दुनिया भी इतनी विशाल और व्यस्त होती जा रही है, तो यह आतंकवाद से कैसे दूर रह सकती है। जी हां, साइबर आतंकवाद यानी हैकिंग। किसी व्यक्ति, कंपनी या सुरक्षा एजेंसी के गोपनीय दस्तावेज चुराने हो या उसकी सायबर सुरक्षा में सेंधमारी करनी हो, हैकर्स अपना काम चुटकियों में कर डालते हैं। ऎसे में उनके बुरे मंसूबों पर पानी फेरना बहुत मुश्किल साबित होता है। अगर यही हैकिंग सही मंसूबों के साथ की जाए तो यह इस साइबर आतंकवाद को रोकने का भी काम कर सकती है। याद कीजिए फिल्म ‘ए वेडनेसडे’, जिसमें मुंबई के पुलिस कमिश्नर एक कंप्यूटर विशेषज्ञ किशोर को अपने दफ्तर में बुलाते हैं और उसके सभी नखरे सहते हैं। इस किशोर को एक मोबाइल फोन की लोकेशन ट्रेस करने का काम दिया जाता है और थोडी मशक्कत के बाद वह इसमें कामयाब भी हो जाता है। यह कोई काल्पनिक दृश्य नहीं, बल्कि हकीकत है। मुंबई एटीएस समेत दुनिया की ज्यादातर पुलिस आधुनिक आतंककारियों को दबोचने के लिए इसी तरह के विशेषज्ञों की सेवाएं ले रही हैं।
सरकारी सुरक्षा एजेंसियां ही नहीं, बडी कंपनियां भी इस बात के लिए आश्वस्त रहना चाहती हैं कि कहीं उनके साइबर तंत्र में कहीं चूक तो नहीं। इसी को सुनिश्चित करने के लिए वे भी इस तरह के विशेषज्ञों की भर्ती करती हैं, जो हैकिंग और कंप्यूटर की दुनिया के बादशाह होते हैं। सही मंसूबों के साथ हैकिंग करने की इस कला को नैतिक या एथिकल हैकिंग का नाम दिया जाता है। एथिकल हैकर आईटी सिक्योरिटी प्रोफेशनल होता है। उसमें वे सभी खूबियां होती हैं, जो एक हैकर में होती हैं। लेकिन वह इन तरकीबों का इस्तेमाल क्रैकिंग में न कर कंप्यूटर और साइबर वल्र्ड में सुरक्षात्मक उद्देश्यों के लिए करते हैं। इन्हें सुरक्षा विश्लेषक, पैनीट्रेशन टेस्टर्स भी कहा जाता है। ये कंपनी के इन्फॉर्मेशन सिस्टम को ब्लैकहैट हैकर्स से सुरक्षित रखते हैं। ब्लैकहैट हैकर बुरे मंसूबों वाले हैकर्स हैं। वे कंपनी के आईटी नेटवर्किग सिस्टम या सर्वर में तकनीकी घुसपैठ कर उसे नुकसान पहुंचाते हैं।
इन गडबडियों को रोकना इन्हीं प्रोफेशनल्स का काम होता है। वाई-फाई के माध्यम से इंटरनेट के उपयोग ने हैकिंग को और भी आसान कर दिया है। अहमदाबाद में हुए धमाकों से पांच मिनट पूर्व इंडियन मुजाहिदीन संगठन ने टीवी चैनलों को कथित रूप से एक ई-मेल भेजा था, जिसका स्त्रोत एसटीएस ने एथिकल हैकर्स की मदद से तुरंत पता लगा लिया था। इसके बाद नवी मुंबई के एक फ्लैट में छापा मारकर वहां रह रहे अमरीकी नागरिक हेवुड्स को गिरफ्तार किया गया। जब हेवुड्स से पूछताछ की गई तो उन्होंने चौंकाने वाली जानकारी दी। उन्होने बताया कि वे अपने लैपटॉप पर वाई-फाई के माध्यम से इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं और इन दिनों उनके बिल बहुत ज्यादा आ रहे हैं। इसका अर्थ यह था कि इस नेटवर्क को हैक कर आतंककारियों ने अपने मंसूबों को अंजाम दिया था।
सोशल नेटवर्किग वेबसाइट्स इन दिनों कंप्यूटर हैकिंग की पाठशाला बनती जा रही हैं। इन साइट्स पर कंप्यूटर के जरिए किसी की निजी जानकारियों को चुराने का तरीका सिखाया जा रहा है। ऑरकुट और फेसबुक पर ऎसे हजारों समूह हैं, जो हैकिंग के टिप्स और तकनीक बता रहे हैं। ये समूह तेजी से युवाओं के बीच पॉपुलर हो रहे हैं। कुछ नया करने की चाह रखने वाले युवा तेजी से ऎसे समूहों के मेंबर बन रहे हैं। स्पष्ट है कि जितनी तेजी से हैकर्स बढ रहे हैं, उन्हें रोकने के लिए एथिकल हैकर्स भी उतनी ही तेजी से सामने आ रहे हैं। पिछले दिनों खबर आई थी कि चीन के एक साइबर नेटवर्क ने भारत समेत करीब 103 देशों के सरकारी और निजी कंपनियों के गुप्त दस्तावेज में सेंधमारी की। हैकिंग के जरिए इस चीनी सायबर नेटवर्क ने तिब्बत के धर्मगुरू दलाई लामा तथा अन्य प्रमुख तिब्बती व्यक्तियों के कंप्यूटरों में भी घुसपैठ की। कनाडा की एक शोध संस्था ने यह खुलासा किया था। शुरूआत में कनाडा स्थित ‘इनफॉर्मेशन वॉरफेर मॉनिटर’ ने विस्थापित तिब्बती समुदाय के कंप्यूटरों में चीन के सायबर नेटवर्क द्वारा हैकिंग की जांच शुरू की, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढती गई तो पता चला कि भारत समेत दुनिया के 103 देशों में हैकिंग के जरिए अतिमहत्वपूर्ण जानकारियां चुराई गईं। एथिकल हैकर ग्रेग वॉल्टन ने कहा कि उन्हें ठोस सबूत प्राप्त हुए हैं कि तिब्बती कंप्यूटरों में सायबर घुसपैठ की गई और दलाई लामा की गुप्त सरकारी तथा निजी जानकारियां निकाल ली गईं। उनकी जांच में यह सामने आया है कि यह हैकिंग नेटवर्क चीन स्थित है, लेकिन हैकिंग करने वाले या उनके उद्देश्य के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।
एथिकल हैकर्स से मिली जानकारी के अनुसार भारत, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, रोमानिया और थाईलैंड समेत कई देशों के दूतावासों के कम्प्यूटर हैक किए जा चुके हैं। शिकार बनाने का तरीका यह है कि कंप्यूटर में हैकिंग के जरिए सेंध लगाने के बाद हैकर कंप्यूटर में ऎसा सॉफ्टवेयर डाल देते हैं, जो समय-समय पर उन्हें जानकारी भेजता रहता है। इस तरह की जांच में ब्रिटेन काकैम्ब्रिज विश्वविद्यालय भी मदद करता रहा है। साफ तौर पर जाहिर है कि एथिकल हैकर्स समय की मांग हैं। नेस्कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले साल दुनियाभर में आईटी सिक्योरिटी एक्सपट्र्स की मांग 10 लाख तक पहुंच जाएगी। इनकी सबसे ज्यादा मांग मल्टीनेशनल कंपनियों, छोटे और मध्यम आकार के उपक्रमों में सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेटर, नेटवर्क सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट या सिक्योरिटी विश्लेषक के रूप में है। बैंक, बीपीओ और फोरेंसिक आर्गेनाइजेशन्स भी अब इनकी मांग करने लगे हैं।
विदेश मंत्रालयों में सेंध
ईरान, बांग्लादेश, लातविया, इंडोनेशिया, फिलीपिंस, ब्रुनेई, बारबडोस और भूटान के विदेश मंत्रालयों के कंप्यूटरों से जानकारियों की चोरी की सूचना।
कहां से आया हैकिंग शब्द
इस शब्द का इस्तेमाल अमरीका के मेसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी (एमआईटी) में शुरू हुआ। यहां इस शब्द का अर्थ था, कोई भी काम चतुर ढंग से या विचारोत्तजक नई शैली में करना। अब हैकिंग का अर्थ है किसी कंप्यूटर या दूरसंचार प्रणाली को क्षति पहुंचाना।
पहली फिल्म
1983 में अरपानेट प्रणाली को विभाजित करके सैनिक और नागरिक धडों में बांट दिया गया और जन्म हुआ इंटरनेट का। इसी वर्ष रिलीज हुई फिल्म वॉरगेम्स में हैकिंग को काफी सकारात्मक रूप में पेश किया गया।
पहली ज्ञात हैकिंग
अगस्त 1986 मे केलिफॉर्निया विश्वविद्यालय की लॉरेंस बर्कले लैब के नेटवर्क मेनेजर क्लिफर्ड स्टॉल ने हिसाब खाते में 75 सेंट की गलती की जांच करते हुए पाया कि कुछ हैकर विभाग की कंप्यूटर प्रणाली के साथ छेडछाड कर रहे हैं। एक साल तक चली जांच के बाद हैकिंग के लिए जिम्मेदार पांच जर्मन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।
पहला वर्म
1988 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय के छात्र रॉबर्ट मॉरिस ने एक ऎसा वर्म प्रोग्राम बनाया जो किसी भी कंप्यूटर प्रणाली में पहंुचाए जाने के बाद अपने जैसे 6000 प्रोग्राम बना कर प्रणाली को ठप कर सकता है। रॉबर्ट मॉरिस को गिरफ्तार किया गया और उसे दस हजार डॉलर का जुर्माना, 400 घंटे अनिवार्य समाज सेवा और दोबारा यही अपराध करने पर तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई गई।
जोनाथन जेम्स
जोनाथन किशोरावस्था में ही हैकिंग की दुनिया के ऎसे कुख्यात महारथी थे, जिन्हें अपराधों की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने 16 साल की उम्र में डिफेंस थ्रेट रिडक्शन एजेंसी के सर्वर को ठप कर दिया था। यह एजेंसी अमरीका के रक्षा मंत्रालय की सुरक्षा के खतरों को कम करने का काम करती है। परमाणु व अन्य आधुनिक हथियारों की सुरक्षा में भी यह एजेंसी मदद करती है। वे नासा में भी सेंधमारी कर चुके हैं और अमरीकी न्याय विभाग के अनुसार 17 लाख के सॉफ्टवेयर चुरा चुके हैं। उन्हें कॉमरेड के नाम से जाना जाता है।
एड्रियन लामो
इनके खाते में न्यूयॉर्क टाइम्स और माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर में घुसपैठ की कारस्तानी दर्ज है। ये खुद को होमलैस हैकर कहते हैं और सेंधमारी के लिए कॉफी शॉप, लाइब्रेरी या अन्य सार्वजनिक स्थानों के कंप्यूटरों की मदद लेते हैं। वे नामी कंपनियों के सर्वर ठप करते हैं और उन्हें उनकी कमजोरियों के बारे में बताते हैं। उन्होंने याहू!, बैंक ऑफ अमरीका और सिटी बैंक के सर्वर में भी आसान घुसपैठ की। न्यूयॉर्क टाइम्स के सर्वर में उन्होंने खुद को एक्सपर्ट की तरह शुमार किया और हाई-प्रोफाइल मामले देखने लगे। मामला अदालत तक गया और उन्हें कैद और जुर्माने की सजा मिली।
केविन मिटनिक
मिटनिक खुद को हैकर पोस्टर ब्वॉय कहते हैं। अमरीका के न्याय विभाग ने उन्हेंं अमरीकी इतिहास का सबसे वांछित कंप्यूटर अपराधी घोषित किया है। उनकी कारस्तानियों पर दो हॉलीवुड फिल्में भी बन चुकी हैं- फ्रीडम डाउनटाउन और टेकडाउनटाउन। उन्होंने हैकिंग की शुरूआत लॉस एंजिलिस के बस कार्ड पंचिंग सिस्टम में घसपैठ से की। इसके बाद वे मुफ्त यात्रा करने लगे। इसके बाद उन्होंने विभिन्न कंपनियों के महंगे सॉफ्टवेयर चुराना शुरू कर दिया।
रॉबर्ट टेपन मॉरिस
कंप्यूटर दुनिया का पहला ज्ञात वर्म बनाने वाले मॉरिस राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के वैज्ञानिक रॉबर्ट मॉरिस के बेटे थे। उन्होंने महज 16 साल की उम्र में इसे अंजाम दिया था। उनका कहना था कि उन्होंने इसे केवल परीक्षण के लिए बनाया था। सजा के बाद वे प्रतिभावान छात्र के रूप में उभरे और अब वे अमरीका के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। अब वे अपनी योग्यता का इस्तेमाल सकारात्मक कामों में ही कर रहे हैं।
अंकित फाडिया
तेरह वर्ष की उम्र में एक इंटरनेट मैगजीन को हैक करने और हैकिंग की 14 किताबें लिखने वाले मुंबई के अंकित फाडिया आज किसी स्टार से कम नहीं। 24 साल के अंकित कई नामचीन एजेंसियों और कंपनियों को सुरक्षा मुहैया करा रहे हैं। वे एमटीवी के व्हाट द हैक कार्यक्रम में भी नजर आ चुके हैं। अंकित कॉलेजों में कंप्यूटर हैकिंग से संबंधित लेक्चर्स देते हैं। उनकी सभी किताबें एथिकल हैकिंग पर हैं। साइबर टेररिज्म के क्षेत्र में उन्होंने दिल्ली पुलिस और सीबीआई की भी मदद की है। लिम्का बुक ऑफ रिकॉड्र्स के वर्ष 2002 के पांच विशिष्ट भारतीयों में भी उसका नाम शामिल हो चुका है।
एजुकेशन और जॉब्स एक्सपट्र्स के मुताबिक नए सेक्टर्स में आने वाली हैं अब ढेरों जॉब्स, फाइनेंस और एक्चुरियल साइंस है अब युवाओं की पसंद, आईटी इनेबल सर्विसेज हैं थर्ड नंबर पर
जयपुर। रिसेशन के बाद एंप्लॉयमेंट सेक्टर में पिछले दो सालों में अच्छा खासा बदलाव देखने को मिल रहा है। पहले जहां कुछ फील्ड में ही जॉब्स अवेलेबल थीं। वहीं अब कई नई स्ट्रीम्स और सेक्टर्स डवलप हो चुके हैं, जिनमें आने वाले समय में जॉब्स की अपॉच्र्युनिटीज खूब होंगी। हाल ही हुई नासकॉम की स्टडी के मुताबिक 2012 तक कई नए सेक्टर्स ऎसे होंगे, जिनमें मैनपॉवर के मुकाबले काफी जॉब्स होंगी। हालांकि शहर का सिनारियो कुछ इस तरह का है कि यंगस्टर्स इन सेक्टर्स पर ध्यान देने की बजाय पुराने सेक्टर्स की ओर ही फोकस्ड हैं। नासकॉम की इस स्टडी में प्रोफेशनल एथिकल हैकिंग को बहुत तेजी से बढ़ते हुए ऑप्शन के रूप में बताया गया है। इस सेक्टर में 2012 तक 1,88,000 जॉब्स अवेलेबल होंगी, हालांकि देशभर में 22 हजार के आसपास ही एथिकल हैकर्स उपलब्ध हैं।
यहां जॉब्स अवेलेबिलिटी
शहर के एजुकेशन एक्सपट्र्स के मुताबिक 2012-13 में कई नए सेक्टर्स में जॉब्स होंगी। इनमें फाइनेंस सबसे ऊपर है। अगले दो तीन सालों में देश में कई मल्टीनेशनल कंपनियां अपनी ब्रांचेज खोलेंगी, जिसमें अच्छी खासी मैनपॉवर की डिमांड होगी। नए सेक्टर्स में जॉब अवेलेबिलिटी में टॉप फाइव में आईटी इनेबल सर्विसेज भी शामिल हैं। एथिकल हैकिंग इसी सेक्टर में आता है। एथिकल हैकिंग एक्सपर्ट महेश मेहरा के अनुसार साइबर क्राइम जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए एथिकल हैकर्स की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है।
ये हैं टॉप फाइव जॉब्स सेक्टर्स
फाइनेंस
एक्चुरियल साइंस
आईटी इनेबल सर्विसेज
कम्युनिकेशन
प्रोफेशनल कोर्सेज जैसे ऑश्नोग्राफी, वाइल्ड लाइफ और मरीन साइंस
ये कोर्स डिमांड में
इस समय जिस सेक्टर में सबसे ज्यादा जॉब्स हैं, वे हैं इंश्योरेंस और फाइनेंस सेक्टर। एक्सपर्ट दीपक सक्सेना के अनुसार, जयपुर में फाइनेंस और इंश्योरेंस सेक्टर में सबसे ज्यादा जॉब्स अवेलेबिलिटी है। जयपुर के बाहर तो इस फील्ड में ऑप्शंस और भी ज्यादा हैं। इसे देखते हुए इसमें कई नए कोर्सेज इंट्रोड्यूज हो रहे हैं, लेकिन स्टूडेंट्स का ध्यान अभी इस ओर नहीं है। जयपुर में आने वाले समय में इन्हीं दोनों सेक्टर्स में जॉब्स अवेलेबिलिटी सबसे ज्यादा होगी।
मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग च्वॉइस
गवर्नमेंट तो बैंकिंग और इंश्योरेंस सेक्टर में खूब जॉब्स निकाल ही रही है, साथ ही कई प्राइवेट कंपनियां भी बिजनेस एक्सपेंशन में इंट्रेस्ट दिखा रही हैं। जॉब्स एक्सपर्ट अलका बत्रा के अनुसार, एक्सिस बैंक ने शहर में 15-20 ब्रांचेज खोली हैं और कोडेक जैसी दूसरी कंपनियां भी शहर में एक्सपेंशन में रूचि ले रही हैं। इंश्योरेंस और फाइनेंस सेक्टर में ही सबसे ज्यादा बूम है। रिसेशन के बाद फाइनेंस, क्रिएटिव राइटिंग और आईटी सेक्टर ही सबसे ज्यादा डवलप हुए हैं।
शहर में नहीं एथिकल हैकिंग एक्सपर्ट
प्रोफेशनल एथिकल हैकिंग के कोर्सेज अभी तक पुणे और बैंगलुरू जैसे शहरों में भी अवेलेबल हैं। एक्सपर्ट हेमंत बताते हैं, हमने यह कोर्स पुणे से किया है। शहर में इन कोर्सेज के लिए इंस्टीट्यूट्स ही नहीं है। यहां तक कि राजस्थान में साइबर सेल भी अच्छे से डवलप नहीं हो पाई है। यहां कोई प्रॉब्लम होने पर दिल्ली- मुंबई से साइबर एक्सपर्ट बुलाए जाते हैं।
ममता थपलियाल
जयपुर। रिसेशन के बाद एंप्लॉयमेंट सेक्टर में पिछले दो सालों में अच्छा खासा बदलाव देखने को मिल रहा है। पहले जहां कुछ फील्ड में ही जॉब्स अवेलेबल थीं। वहीं अब कई नई स्ट्रीम्स और सेक्टर्स डवलप हो चुके हैं, जिनमें आने वाले समय में जॉब्स की अपॉच्र्युनिटीज खूब होंगी। हाल ही हुई नासकॉम की स्टडी के मुताबिक 2012 तक कई नए सेक्टर्स ऎसे होंगे, जिनमें मैनपॉवर के मुकाबले काफी जॉब्स होंगी। हालांकि शहर का सिनारियो कुछ इस तरह का है कि यंगस्टर्स इन सेक्टर्स पर ध्यान देने की बजाय पुराने सेक्टर्स की ओर ही फोकस्ड हैं। नासकॉम की इस स्टडी में प्रोफेशनल एथिकल हैकिंग को बहुत तेजी से बढ़ते हुए ऑप्शन के रूप में बताया गया है। इस सेक्टर में 2012 तक 1,88,000 जॉब्स अवेलेबल होंगी, हालांकि देशभर में 22 हजार के आसपास ही एथिकल हैकर्स उपलब्ध हैं।
यहां जॉब्स अवेलेबिलिटी
शहर के एजुकेशन एक्सपट्र्स के मुताबिक 2012-13 में कई नए सेक्टर्स में जॉब्स होंगी। इनमें फाइनेंस सबसे ऊपर है। अगले दो तीन सालों में देश में कई मल्टीनेशनल कंपनियां अपनी ब्रांचेज खोलेंगी, जिसमें अच्छी खासी मैनपॉवर की डिमांड होगी। नए सेक्टर्स में जॉब अवेलेबिलिटी में टॉप फाइव में आईटी इनेबल सर्विसेज भी शामिल हैं। एथिकल हैकिंग इसी सेक्टर में आता है। एथिकल हैकिंग एक्सपर्ट महेश मेहरा के अनुसार साइबर क्राइम जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए एथिकल हैकर्स की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है।
ये हैं टॉप फाइव जॉब्स सेक्टर्स
फाइनेंस
एक्चुरियल साइंस
आईटी इनेबल सर्विसेज
कम्युनिकेशन
प्रोफेशनल कोर्सेज जैसे ऑश्नोग्राफी, वाइल्ड लाइफ और मरीन साइंस
ये कोर्स डिमांड में
इस समय जिस सेक्टर में सबसे ज्यादा जॉब्स हैं, वे हैं इंश्योरेंस और फाइनेंस सेक्टर। एक्सपर्ट दीपक सक्सेना के अनुसार, जयपुर में फाइनेंस और इंश्योरेंस सेक्टर में सबसे ज्यादा जॉब्स अवेलेबिलिटी है। जयपुर के बाहर तो इस फील्ड में ऑप्शंस और भी ज्यादा हैं। इसे देखते हुए इसमें कई नए कोर्सेज इंट्रोड्यूज हो रहे हैं, लेकिन स्टूडेंट्स का ध्यान अभी इस ओर नहीं है। जयपुर में आने वाले समय में इन्हीं दोनों सेक्टर्स में जॉब्स अवेलेबिलिटी सबसे ज्यादा होगी।
मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग च्वॉइस
गवर्नमेंट तो बैंकिंग और इंश्योरेंस सेक्टर में खूब जॉब्स निकाल ही रही है, साथ ही कई प्राइवेट कंपनियां भी बिजनेस एक्सपेंशन में इंट्रेस्ट दिखा रही हैं। जॉब्स एक्सपर्ट अलका बत्रा के अनुसार, एक्सिस बैंक ने शहर में 15-20 ब्रांचेज खोली हैं और कोडेक जैसी दूसरी कंपनियां भी शहर में एक्सपेंशन में रूचि ले रही हैं। इंश्योरेंस और फाइनेंस सेक्टर में ही सबसे ज्यादा बूम है। रिसेशन के बाद फाइनेंस, क्रिएटिव राइटिंग और आईटी सेक्टर ही सबसे ज्यादा डवलप हुए हैं।
शहर में नहीं एथिकल हैकिंग एक्सपर्ट
प्रोफेशनल एथिकल हैकिंग के कोर्सेज अभी तक पुणे और बैंगलुरू जैसे शहरों में भी अवेलेबल हैं। एक्सपर्ट हेमंत बताते हैं, हमने यह कोर्स पुणे से किया है। शहर में इन कोर्सेज के लिए इंस्टीट्यूट्स ही नहीं है। यहां तक कि राजस्थान में साइबर सेल भी अच्छे से डवलप नहीं हो पाई है। यहां कोई प्रॉब्लम होने पर दिल्ली- मुंबई से साइबर एक्सपर्ट बुलाए जाते हैं।
ममता थपलियाल
________________________________________________
साइबर सिक्योरिटी
कंप्यूटर और इंटरनेट पर तेजी से बढ़ती हमारी निर्भरता से वर्चुअल वर्ल्ड से जुड़े अपराधों में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है। ऐसे में साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स की जरूरत काफी बढ़ गई है।
भले ही इंटरनेट ने हमें तमाम सुविधाएं दी हों, पर इस कारण साइबर क्राइम भी विभिन्न रूपों में हमारे सामने आया है। आजकल अक्सर हमें वेबसाइट हैकिंग, ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग, साइबर बुलिंग, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, पोर्नोग्राफी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी भी अहम चुनौती बनती जा रही है। आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट का इस्तेमाल शुरू कर देने से साइबर टेररिज्म को भी काफी बढ़ावा मिला है। ऐसे में साइबर क्राइम के विभिन्न रूपों का सामना करने तथा उनको रोकने के लिए जागरूकता भी काफी बढ़ी है और इसी का नतीजा है कि साइबर सिक्योरिटी आज कैरियर के रूप में हमारे सामने मौजूद है।
कार्य का स्वरूप
हैकिंग कंप्यूटर यूजर्स की परेशानी का मुख्य कारण है, जिसके जरिए अपराधी गोपनीय सूचनाओं को हैक कर सकता है, जैसे पासवर्ड, के्रडिट कार्ड नंबर और पिन कोड, इंटरनेट बैंकिंग पासवर्ड आदि। हैकिंग से संबंधित समस्याओं को सुलझाने के लिए एथिकल हैकिंग प्रोग्राम की मदद ली जाती है। किसी साइबर क्राइम के बाद यह पता लगाना कि उससे संबंधित ई-मेल कहां से भेजा गया, किस आईपी एड्रेस का उपयोग किया गया आदि कार्य साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट के ही जिम्मे होते हैं। इंटरनेट से संबंधित विभिन्न अपराधों को हैंडल करने के लिए साइबर लॉ का भी इस्तेमाल किया जाता है। साइबर एक्सपर्ट की नजर साइबर क्राइम की चुनौतियों पर भी होती है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।
कैसे-कैसे कोर्स
साइबर सिक्योरिटी से जुड़े विभिन्न तकनीकी पहलुओं की ट्रेनिंग देने के लिए कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं। ये कोर्स शॉर्ट टर्म और लांग टर्म दोनों तरह के होते हैं। इसके तहत सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा और बैचलर स्तर तक के पाठ्यक्रम हैं। इन पाठ्यक्रमों को आप अपनी सुविधानुसार रेगुलर, डिस्टेंस या ऑनलाइन, किसी भी मोड से चुन सकते हैं। साइबर सिक्योरिटी से संबंधित पाठ्यक्रमों में साइबर सिक्योरिटी की चुनौतियां, उनसे बचने के उपाय, साइबर क्राइम और जांच की विधि, रोकथाम के उपाय, साइबर लॉ, ऑनलाइन डाटा सिक्योरिटी, ऑनलाइन फाइनेंशियल फ्रॉड आदि के बारे में विस्तार से बताया जाता है।
शैक्षणिक योग्यता
कंप्यूटर और आईटी से संबद्ध होने के बावजूद साइबर सिक्योरिटी से संबंधित पाठ्यक्रमों में एडमिशन लेने के लिए यह जरूरी नहीं है कि आपके पास कंप्यूटर/आईटी में उच्च डिग्री हो। साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स, किसी भी स्ट्रीम के विद्यार्थी इस क्षेत्र में कैरियर बना सकते हैं, पर इसके लिए कंप्यूटर की बेहतर जानकारी जरूरी है। चूंकि इस कैरियर का मुख्य आधार आईटी है, इसलिए ऐसे कोर्स आईटी प्रोफेशनल्स के कैरियर को एक नई दिशा दे सकते हैं। साइबर सिक्योरिटी से संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं है, जबकि कुछ कोर्स ग्रेजुएशन के बाद ही किए जा सकते हैं। लॉ, आईटी, पुलिस, सुरक्षा विभाग आदि में कार्यरत व्यक्ति भी इन कोर्सेज के लिए आवेदन कर सकते हैं।
मुख्य संस्थान
साइबर सिक्योरिटी से संबंधित उच्च स्तर के कोर्स फिलहाल गिने-चुने संस्थानों में ही उपलब्ध हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद द्वारा साइबर लॉ ऐंड इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी में मास्टर डिग्री का कोर्स कराया जाता है। इसके लिए बीई/बीटेक जरूरी है। एडमिशन एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर होता है। इसके अतिरिक्त इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट, दिल्ली द्वारा भी साइबर लॉ में पीजी डिप्लोमा करवाया जाता है, जिसके लिए योग्यता किसी भी विषय में ग्रेजुएशन है। ई-काउंसिल सर्टिफाइड एथिकल हैकर और स्कूल ऑफ एथिकल हैकिंग, हैदराबाद में भी कई पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। साइबर सिक्योरिटी से संबंधित सेमिनार और वर्कशॉप भी समय-समय पर आयोजित होते रहते हैं। इन वर्कशॉप और सेमिनार की जानकारी आप गूगल सर्च से ले सकते हैं। पर विजिट कर आपको कई वर्कशॉप्स की जानकारी मिल जाएगी।
सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) द्वारा भी साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल तैयार करने के उद्देश्य से साइबर सिक्योरिटी में सर्टिफिकेट कोर्स करवाया जाता है। कोई भी डिग्री या डिप्लोमा धारी इस सर्टिफिकेशन को कर सकता है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन साल में दो बार होता है। विशेष जानकारी के लिए आप पर विजिट कर सकते हैं। इसके बाद आप सी-डैक सर्टिफाइड साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल के रूप में काम कर सकते हैं।
रोजगार की संभावनाएं
आईटी इंडस्ट्री, ई-बिजनेस, ई-टिकटिंग, ई-गवर्नेंस, ई-कॉमर्स आदि से संबंधित जितने भी क्षेत्र हैं, उन सभी जगहों पर इस फील्ड के प्रोफेशनल्स की मांग बनी रहती है। कोर्स के बाद विभिन्न आईटी कंपनियों में रोजगार के मौके मिलते हैं, जहां साइबर एक्सपर्ट एवं कंसल्टेंट के रूप में उन्हें मौका मिलता है। बैंकों में भी नियुक्ति होती है। ई-कॉमर्स तथा फाइनेंशियल संस्थानों में ऑनलाइन फ्रॉड को रोकने तथा हैंडल करने के लिए इन प्रोफेशनल्स की मांग होती है। साइबर लॉ एवं सिक्योरिटी से संबंधित ट्रेनिंग सेंटरों में ट्रेनर के रूप में भी काम किया जा सकता है। पुलिस विभाग एवं सुरक्षा एजेंसियों में साइबर क्राइम एक्सपर्ट के रूप में जरूरत बनी रहती है। फॉरेंसिक फील्ड में भी साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स की मांग होने लगी है। लॉ फर्म्स में लीगल एक्सपर्ट (साइबर) की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा साइबर लॉ कंसल्टेंसी के रूप में इसमें स्वरोजगार के भी मौके हैं। ई-गवर्नेंस के पूरी तरह अस्तित्व में आने के बाद विभिन्न सरकारी विभागों में ऐसे प्रोफेशनल्स के लिए रोजगार के काफी मौके उपलब्ध होंगे।
साइबर सिक्योरिटी से संबंधित कुछ अन्य संस्थान हैं :
इग्नू, नई दिल्ली
एमिटी लॉ स्कूल, नोएडा
दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
एशियन स्कूल ऑफ साइबर लॉ, पुणे
इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी, मुंबई
आईएमटी, सेंटर फॉर डिस्टेंस लर्निंग, गाजियाबाद
__________________________________________________
भले ही इंटरनेट ने हमें तमाम सुविधाएं दी हों, पर इस कारण साइबर क्राइम भी विभिन्न रूपों में हमारे सामने आया है। आजकल अक्सर हमें वेबसाइट हैकिंग, ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग, साइबर बुलिंग, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, पोर्नोग्राफी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी भी अहम चुनौती बनती जा रही है। आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट का इस्तेमाल शुरू कर देने से साइबर टेररिज्म को भी काफी बढ़ावा मिला है। ऐसे में साइबर क्राइम के विभिन्न रूपों का सामना करने तथा उनको रोकने के लिए जागरूकता भी काफी बढ़ी है और इसी का नतीजा है कि साइबर सिक्योरिटी आज कैरियर के रूप में हमारे सामने मौजूद है।
कार्य का स्वरूप
हैकिंग कंप्यूटर यूजर्स की परेशानी का मुख्य कारण है, जिसके जरिए अपराधी गोपनीय सूचनाओं को हैक कर सकता है, जैसे पासवर्ड, के्रडिट कार्ड नंबर और पिन कोड, इंटरनेट बैंकिंग पासवर्ड आदि। हैकिंग से संबंधित समस्याओं को सुलझाने के लिए एथिकल हैकिंग प्रोग्राम की मदद ली जाती है। किसी साइबर क्राइम के बाद यह पता लगाना कि उससे संबंधित ई-मेल कहां से भेजा गया, किस आईपी एड्रेस का उपयोग किया गया आदि कार्य साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट के ही जिम्मे होते हैं। इंटरनेट से संबंधित विभिन्न अपराधों को हैंडल करने के लिए साइबर लॉ का भी इस्तेमाल किया जाता है। साइबर एक्सपर्ट की नजर साइबर क्राइम की चुनौतियों पर भी होती है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।
कैसे-कैसे कोर्स
साइबर सिक्योरिटी से जुड़े विभिन्न तकनीकी पहलुओं की ट्रेनिंग देने के लिए कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं। ये कोर्स शॉर्ट टर्म और लांग टर्म दोनों तरह के होते हैं। इसके तहत सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा और बैचलर स्तर तक के पाठ्यक्रम हैं। इन पाठ्यक्रमों को आप अपनी सुविधानुसार रेगुलर, डिस्टेंस या ऑनलाइन, किसी भी मोड से चुन सकते हैं। साइबर सिक्योरिटी से संबंधित पाठ्यक्रमों में साइबर सिक्योरिटी की चुनौतियां, उनसे बचने के उपाय, साइबर क्राइम और जांच की विधि, रोकथाम के उपाय, साइबर लॉ, ऑनलाइन डाटा सिक्योरिटी, ऑनलाइन फाइनेंशियल फ्रॉड आदि के बारे में विस्तार से बताया जाता है।
शैक्षणिक योग्यता
कंप्यूटर और आईटी से संबद्ध होने के बावजूद साइबर सिक्योरिटी से संबंधित पाठ्यक्रमों में एडमिशन लेने के लिए यह जरूरी नहीं है कि आपके पास कंप्यूटर/आईटी में उच्च डिग्री हो। साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स, किसी भी स्ट्रीम के विद्यार्थी इस क्षेत्र में कैरियर बना सकते हैं, पर इसके लिए कंप्यूटर की बेहतर जानकारी जरूरी है। चूंकि इस कैरियर का मुख्य आधार आईटी है, इसलिए ऐसे कोर्स आईटी प्रोफेशनल्स के कैरियर को एक नई दिशा दे सकते हैं। साइबर सिक्योरिटी से संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं है, जबकि कुछ कोर्स ग्रेजुएशन के बाद ही किए जा सकते हैं। लॉ, आईटी, पुलिस, सुरक्षा विभाग आदि में कार्यरत व्यक्ति भी इन कोर्सेज के लिए आवेदन कर सकते हैं।
मुख्य संस्थान
साइबर सिक्योरिटी से संबंधित उच्च स्तर के कोर्स फिलहाल गिने-चुने संस्थानों में ही उपलब्ध हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद द्वारा साइबर लॉ ऐंड इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी में मास्टर डिग्री का कोर्स कराया जाता है। इसके लिए बीई/बीटेक जरूरी है। एडमिशन एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर होता है। इसके अतिरिक्त इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट, दिल्ली द्वारा भी साइबर लॉ में पीजी डिप्लोमा करवाया जाता है, जिसके लिए योग्यता किसी भी विषय में ग्रेजुएशन है। ई-काउंसिल सर्टिफाइड एथिकल हैकर और स्कूल ऑफ एथिकल हैकिंग, हैदराबाद में भी कई पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। साइबर सिक्योरिटी से संबंधित सेमिनार और वर्कशॉप भी समय-समय पर आयोजित होते रहते हैं। इन वर्कशॉप और सेमिनार की जानकारी आप गूगल सर्च से ले सकते हैं। पर विजिट कर आपको कई वर्कशॉप्स की जानकारी मिल जाएगी।
सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) द्वारा भी साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल तैयार करने के उद्देश्य से साइबर सिक्योरिटी में सर्टिफिकेट कोर्स करवाया जाता है। कोई भी डिग्री या डिप्लोमा धारी इस सर्टिफिकेशन को कर सकता है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन साल में दो बार होता है। विशेष जानकारी के लिए आप पर विजिट कर सकते हैं। इसके बाद आप सी-डैक सर्टिफाइड साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल के रूप में काम कर सकते हैं।
रोजगार की संभावनाएं
आईटी इंडस्ट्री, ई-बिजनेस, ई-टिकटिंग, ई-गवर्नेंस, ई-कॉमर्स आदि से संबंधित जितने भी क्षेत्र हैं, उन सभी जगहों पर इस फील्ड के प्रोफेशनल्स की मांग बनी रहती है। कोर्स के बाद विभिन्न आईटी कंपनियों में रोजगार के मौके मिलते हैं, जहां साइबर एक्सपर्ट एवं कंसल्टेंट के रूप में उन्हें मौका मिलता है। बैंकों में भी नियुक्ति होती है। ई-कॉमर्स तथा फाइनेंशियल संस्थानों में ऑनलाइन फ्रॉड को रोकने तथा हैंडल करने के लिए इन प्रोफेशनल्स की मांग होती है। साइबर लॉ एवं सिक्योरिटी से संबंधित ट्रेनिंग सेंटरों में ट्रेनर के रूप में भी काम किया जा सकता है। पुलिस विभाग एवं सुरक्षा एजेंसियों में साइबर क्राइम एक्सपर्ट के रूप में जरूरत बनी रहती है। फॉरेंसिक फील्ड में भी साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स की मांग होने लगी है। लॉ फर्म्स में लीगल एक्सपर्ट (साइबर) की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा साइबर लॉ कंसल्टेंसी के रूप में इसमें स्वरोजगार के भी मौके हैं। ई-गवर्नेंस के पूरी तरह अस्तित्व में आने के बाद विभिन्न सरकारी विभागों में ऐसे प्रोफेशनल्स के लिए रोजगार के काफी मौके उपलब्ध होंगे।
साइबर सिक्योरिटी से संबंधित कुछ अन्य संस्थान हैं :
इग्नू, नई दिल्ली
एमिटी लॉ स्कूल, नोएडा
दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
एशियन स्कूल ऑफ साइबर लॉ, पुणे
इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी, मुंबई
आईएमटी, सेंटर फॉर डिस्टेंस लर्निंग, गाजियाबाद
__________________________________________________
साइबर एर्क्सपट्स की बढ़ती मांग
अगर विज्ञान वरदान है तो अभिशाप भी है। एक ओर इंटरनेट ने घर बैठे पूरे विश्व को कम्प्यू टर स्क्रीन पर ला दिया है तो वहीं इंटरनेट से पनपे साइबर क्राइम के विभिन्न रूपों से हमें सामना भी करना पड़ रहा है। आजकल अकसर हमें वेबसाइट हैकिंग, ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग, साइबर बुलिंग, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, पोर्नोग्राफी जैसी समस्याओं से ही नहीं, साइबर आतंकवाद से भी जूझना पड़ रहा है। ऐसे में, साइबर सिक्योरिटी से जुड़े प्रोफेशनल्स की जरूरत काफी बढ़ गई है
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2011 में जहां साइबर हमलों की संख्या 13,500 के करीब थी, वहीं इस साल सितम्बर तक यह संख्या 20,000 है। माना जा रहा है कि साइबर अपराध से निपटने के लिए देश को पांच लाख पेशेवर चाहिए। यही कारण है कि साइबर अपराध के प्रति बढ़ती जागरूकता व सजगता के कारण साइबर सिक्योरिटी बेहतर करियर के साथ-साथ देश और समाज की सुरक्षा की जिम्मेदारी देता है। कार्य कंप्यूटर यूजर्स के लिए हैकिंग सबसे बड़ी परेशानी है। इसके जरिए अपराधी गोपनीय सूचनाओं को हैक कर सकता है, जैसे पार्सवड, क्रेडिट कार्ड नंबर और पिन कोड, इंटरनेट बैंकिंग पार्सवड आदि। हैकिंग से संबंधित समस्याओं को सुलझाने के लिए एथिकल हैकिंग प्रोग्राम की मदद ली जाती है। किसी साइबर क्राइम के बाद यह पता लगाना कि उससे संबंधित ई-मेल कहां से भेजा गया, किस आईपी एड्रेस का उपयोग किया गया आदि कार्य साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट के ही जिम्मे होता है। इंटरनेट से संबंधित विभिन्न अपराधों को हेंडल करने के लिए साइबर लॉ का भी इस्तेमाल किया जाता है।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2011 में जहां साइबर हमलों की संख्या 13,500 के करीब थी, वहीं इस साल सितम्बर तक यह संख्या 20,000 है। माना जा रहा है कि साइबर अपराध से निपटने के लिए देश को पांच लाख पेशेवर चाहिए। यही कारण है कि साइबर अपराध के प्रति बढ़ती जागरूकता व सजगता के कारण साइबर सिक्योरिटी बेहतर करियर के साथ-साथ देश और समाज की सुरक्षा की जिम्मेदारी देता है। कार्य कंप्यूटर यूजर्स के लिए हैकिंग सबसे बड़ी परेशानी है। इसके जरिए अपराधी गोपनीय सूचनाओं को हैक कर सकता है, जैसे पार्सवड, क्रेडिट कार्ड नंबर और पिन कोड, इंटरनेट बैंकिंग पार्सवड आदि। हैकिंग से संबंधित समस्याओं को सुलझाने के लिए एथिकल हैकिंग प्रोग्राम की मदद ली जाती है। किसी साइबर क्राइम के बाद यह पता लगाना कि उससे संबंधित ई-मेल कहां से भेजा गया, किस आईपी एड्रेस का उपयोग किया गया आदि कार्य साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट के ही जिम्मे होता है। इंटरनेट से संबंधित विभिन्न अपराधों को हेंडल करने के लिए साइबर लॉ का भी इस्तेमाल किया जाता है।
______________________________
एथिकल हैकर मददगार हाथ
मौजूदा दौर में जहां एक तरफ इंटरनेट का बोलबाला हर तरफ सुनाई दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ नामी-गिरामी वेबसाइट्स को हैक किए जाने की रफ्तार भी कुछ कम नहीं है। ऐसे में कंप्यूटर सिस्टम या नेटवर्क मालिकों के अनुरोध पर कानून के दायरे में रह कर कुछ हैकर्स उनके सिस्टम और नेटवर्क का जायजा लेते हैं। आपराधिक हैकर्स को मुहैया संसाधनों और काम करने के तरीकों का इस्तेमाल करते हुए ये नैतिक हैकर्स सिस्टम या नेटवर्क की उन कमजोर कड़ियों को ढ़ूंढ़ने का काम करते हैं। हैकर्स इन कमजोर कड़ियों का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं, इसीलिए प्रोग्रामर्स के लिए मददगार साबित ये नैतिक (एथिकल) हैकर्स उनके साथ मिल कर हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नए-नए प्रोग्राम्स तैयार करने में मदद करते हैं। सूचना की सुरक्षा करने वाला यह उद्योग विश्वभर में 21 प्रतिशत की रफ्तार से विकास कर रहा है।
नैतिक हैकिंग को आक्रमण परीक्षण, अतिक्रमण परीक्षण व समाधान दल के रूप में भी देखा जाता है। एक नैतिक मूल्यों पर हैकिंग करने वाले का काम काफी दिलचस्प भी है। वह इस तरीके से काम करते हैं और प्रोग्राम तैयार कर उसे लागू करने में मदद करते हैं, जिससे नेटवर्क और उसके डेटा की सुरक्षा की जा सके। इनके कार्य को इज्जत की नजर से देखा जाता है, क्योंकि हैकर्स के विपरीत वे कानूनी दायरे में रहते हुए कंपनियों की मदद उनके नेटवर्क व सिस्टम को सुरक्षित करने के लिए करते हैं।
वेतन प्रशिक्षण पूरा होने के बाद कोई भी नया पेशेवर सालाना 2.5 लाख रुपये कमाने से शुरू करते हुए अपने अनुभव से 4.5 लाख रुपये तक कमा सकता है। 5 साल के कार्यानुभव के साथ कोई भी पेशेवर 10 से 12 लाख रुपये सालाना तक कमा सकता है।
योग्यता एवं कौशल
प्राथमिक तौर पर किसी भी पेशेवर हैकर के लिए प्रोग्राम्स को विभिन्न कंप्यूटर लैंग्वेज जैसे कि सी, सी++, पर्ल, पायथन और रूबी आदि में एंकोडिंग करने की क्षमता होनी चाहिए।
एक पेशेवर हैकर होने के लिए जरूरी है कि उनका नजरिया बाकी हैकर्स से कुछ हटकर हो। उन्हें रचनात्मक होते हुए बाकी से अलग समाधान पेश करना होता है
डिसअसेंबल बायनरीज का मूल्यांकन करने वालों के लिए असेंबली लैंग्वेज की समझ होना भी बेहद जरूरी है
विभिन्न ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे माइक्रोसॉफ्ट विंडोज, लाइनक्स के विभिन्न वजर्न्स आदि की समझ भी अनिवार्य है।
नेटवर्क उपकरणों, काउंटिंग स्विचेज, राउटर्स और फायरवॉल्स की जानकारी होना बेहद जरूरी है।
पेशेवर हैकर को टीसीपी/आईपी प्रोटोकॉल जैसे एसएमटीपी, आईसीएमपी और एचटीटीपी की मूलभूत जानकारी होना जरूरी है।
कैसे पहुंचें
विज्ञान विषयों (भौतिकी, रसायन और गणित) के साथ 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद देश के किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस या कंप्यूटर इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल करें। स्नातक पाठय़क्रम के दौरान आप एथिकल हैकिंग के सर्टिफिकेट कोर्स में प्रवेश पा सकते हैं। इस कोर्स के माध्यम से आप इस क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं से रू-ब-रू हो सकते हैं। इन दिनों इंजीनियरिंग कॉलेजों में एथिकल हैंकिंग को लेकर प्रतिस्पर्धा काफी कड़ी है। अगर आप एक एथिकल हैकर के रूप में करियर बनाने के इच्छुक हैं तो इस तरह की गतिविधियों में अपनी भागीदारी जरूर सुनिश्चित कर लें। साथ ही इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए जरूरी है कि सूचना प्रौद्योगिकी को लेकर आपकी जानकारी बहुत अच्छी हो, जिसके लिए आपकी दिलचस्पी कंप्यूटर पर काम करने में हो।
संस्थान एवं वेबसाइट्स
आईएसीएम स्मार्टलर्न, दिल्ली
www.iacmindia.com
अपिन सिक्योरिटी ग्रुप
www.appinonline.com
कायरियोन डिजिटल सॉल्यूशंस
http://www.kyrion.in/security/
के-सिक्योर आईटी सिक्योरिटी सर्विसेज
http://www.ksecure.net/ethical-hacking-training.htm
नफा-नुकसान
यह उद्योग काफी तेजी के साथ बढ़ रहा है और इसमें संभावित पेशेवरों के लिए सुनहरा भविष्य भी देखा जा
सकता है।
नए पेशेवर यहां अच्छी नौकरी आसानी से पा सकते हैं।
आपको कई नामी-गिरामी कंपनियों व लोगों के साथ काम करने का मौका मिल सकता है।
सूचना सुरक्षा उद्योग बहुत तेजी से बदल रहा है, इसलिए जरूरी है कि आप भी यहां के चलन के साथ खुद को बदलते रहें।
इस काम में अच्छा पैसा मिलता है।
कुछ कंप्यूटर सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स, जैसे माकर्स जे रैनम एथिकल हैकर जैसे शब्द पर सहमत नहीं हैं, क्योंकि इससे नकारात्मकता का बोध होता है। हो सकता है कि कुछ लोग इस शब्द या इस पद के चलते खुद को इस पेशे से जोड़ने में असहज भी महसूस करें।
दिनचर्या इस प्रकार के एक नैतिक हैकर की आम दिनचर्या कुछ इस प्रकार होती है :
सुबह 9 बजे: दफ्तर पहुंचना
सुबह 10 बजे: एक ऐसी वेबसाइट पर काम शुरू करना, जिसे हाल ही में हैक किया गया हो
दोपहर 2 बजे: दोपहर का भोजन
दोपहर 3 बजे: प्रोग्रामर से संपर्क करना और आगामी हैकिंग के हमलों के लिए नए प्रोग्राम तैयार करना
शाम 5:30 बजे: काम खत्म कर घर की ओर निकला
शाम 7 बजे: विभिन्न नेटवर्क्स की कार्यप्रणालियों व उनमें कमियों का अध्ययन करना और उन्हें सुरक्षित बनाने के करागर उपाय तलाशना।
एक पेशेवर हैकर होने के लिए जरूरी है कि उनका नजरिया बाकी हैकर्स से कुछ हटकर हो। उन्हें रचनात्मक होते हुए बाकी से अलग समाधान पेश करना होता है
डिसअसेंबल बायनरीज का मूल्यांकन करने वालों के लिए असेंबली लैंग्वेज की समझ होना भी बेहद जरूरी है
विभिन्न ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे माइक्रोसॉफ्ट विंडोज, लाइनक्स के विभिन्न वजर्न्स आदि की समझ भी अनिवार्य है।
नेटवर्क उपकरणों, काउंटिंग स्विचेज, राउटर्स और फायरवॉल्स की जानकारी होना बेहद जरूरी है।
पेशेवर हैकर को टीसीपी/आईपी प्रोटोकॉल जैसे एसएमटीपी, आईसीएमपी और एचटीटीपी की मूलभूत जानकारी होना जरूरी है।
विज्ञान विषयों (भौतिकी, रसायन और गणित) के साथ 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद देश के किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस या कंप्यूटर इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल करें। स्नातक पाठय़क्रम के दौरान आप एथिकल हैकिंग के सर्टिफिकेट कोर्स में प्रवेश पा सकते हैं। इस कोर्स के माध्यम से आप इस क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं से रू-ब-रू हो सकते हैं। इन दिनों इंजीनियरिंग कॉलेजों में एथिकल हैंकिंग को लेकर प्रतिस्पर्धा काफी कड़ी है। अगर आप एक एथिकल हैकर के रूप में करियर बनाने के इच्छुक हैं तो इस तरह की गतिविधियों में अपनी भागीदारी जरूर सुनिश्चित कर लें। साथ ही इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए जरूरी है कि सूचना प्रौद्योगिकी को लेकर आपकी जानकारी बहुत अच्छी हो, जिसके लिए आपकी दिलचस्पी कंप्यूटर पर काम करने में हो।
www.iacmindia.com
अपिन सिक्योरिटी ग्रुप
www.appinonline.com
कायरियोन डिजिटल सॉल्यूशंस
http://www.kyrion.in/security/
के-सिक्योर आईटी सिक्योरिटी सर्विसेज
http://www.ksecure.net/ethical-hacking-training.htm
यह उद्योग काफी तेजी के साथ बढ़ रहा है और इसमें संभावित पेशेवरों के लिए सुनहरा भविष्य भी देखा जा
सकता है।
नए पेशेवर यहां अच्छी नौकरी आसानी से पा सकते हैं।
आपको कई नामी-गिरामी कंपनियों व लोगों के साथ काम करने का मौका मिल सकता है।
सूचना सुरक्षा उद्योग बहुत तेजी से बदल रहा है, इसलिए जरूरी है कि आप भी यहां के चलन के साथ खुद को बदलते रहें।
इस काम में अच्छा पैसा मिलता है।
कुछ कंप्यूटर सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स, जैसे माकर्स जे रैनम एथिकल हैकर जैसे शब्द पर सहमत नहीं हैं, क्योंकि इससे नकारात्मकता का बोध होता है। हो सकता है कि कुछ लोग इस शब्द या इस पद के चलते खुद को इस पेशे से जोड़ने में असहज भी महसूस करें।
सुबह 10 बजे: एक ऐसी वेबसाइट पर काम शुरू करना, जिसे हाल ही में हैक किया गया हो
दोपहर 2 बजे: दोपहर का भोजन
दोपहर 3 बजे: प्रोग्रामर से संपर्क करना और आगामी हैकिंग के हमलों के लिए नए प्रोग्राम तैयार करना
शाम 5:30 बजे: काम खत्म कर घर की ओर निकला
शाम 7 बजे: विभिन्न नेटवर्क्स की कार्यप्रणालियों व उनमें कमियों का अध्ययन करना और उन्हें सुरक्षित बनाने के करागर उपाय तलाशना।
______________________________________________________
No comments:
Post a Comment