Monday 27 August 2012

कैसे पाएं बेहतर अंक

सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में कठिन मेहनत के अलावा अंकदाई विषय भी काफी महत्व रखता है। यही कारण है कि सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में कुछ विषय हमेशा हॉट रहते हैं। सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में अन्य विषयों के अलावा अंकदाई विषय के तौर पर दर्शनशास्त्र को सेकेंड ऑप्शनल के रूप में काफी स्टूडेंट्स चुनाव कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, दर्शनशास्त्र सिर्फ अंकदाई ही नहीं हैं, बल्कि इसके सिलेबस भी अन्य विषयों की अपेक्षा काफी छोटे होते हैं। आपकी रुचि भी दर्शनशास्त्र में है और मुख्य विषय में आपने भी इस विषय का चयन किया है, तो थोडी मेहनत से आप इस विषय में बेहतर अंक ला सकते हैं।

सिलेबस का करें अध्ययन

मुख्य परीक्षा के हिसाब से दर्शनशास्त्र के पाठ्यक्रम को मोटे तौर पर निम्नलिखित तीन वर्गो में बांटा जाता है- दर्शनशास्त्र का इतिहास और समस्याएं, सामाजिक-राजनीतिक दर्शन और धर्म-दर्शन। तीन वर्गो से ही दर्शनशास्त्र के दो प्रश्नपत्र मुख्य परीक्षा में बनाए जाते हैं। इसलिए प्रश्नपत्र की प्रकृति के आधार पर इन्हें उपखंड में बांटा जा सकता है। दर्शन शास्त्र का इतिहास और समस्याओं के तहत पाश्चात्य दर्शन एवं भारतीय दर्शन को शामिल किया जाता है। पुन: पाश्चात्य दर्शन को अध्ययन की सुविधा के हिसाब से परंपरागत पाश्चात्य दर्शन (तर्क बुद्धिवाद तथा इंद्रियानुभव वाद स्कूल से संबद्ध) तथा समकालीन पाश्चात्य दर्शन (भाषा विश्लेषण से संबद्ध दार्शनिक) में बांटा जाता है। इस तरह पाश्चात्य दर्शन तथा भारतीय दर्शन को मिलाकर प्रथम प्रश्नपत्र बनता है, जबकि द्वितीय प्रश्नपत्र सामाजिक-राजनीतिक दर्शन तथा धर्म-दर्शन से बनता है।

सिलेबस के अनुरूप तैयारी

फिलॉसफी के प्रथम प्रश्नपत्र में पाश्चात्य दर्शन के तहत कुल 11 दार्शनिक एवं उनके चयनित सिद्धांत सिलेबस में संबद्ध हैं। इनमें प्रथम पांच परंपरागत पाश्चात्य दार्शनिक हैं और शेष 6 भाषायी विश्लेषणात्मक दार्शनिक। भारतीय दर्शन के खंड में कुल 9 दार्शनिक व उनके चयनित सिद्धांत को शामिल किया गया है। द्वितीय प्रश्नपत्र में सामाजिक-राजनीतिक दर्शन एवं धर्मदर्शन के 10-10 टॉपिक सिलेबस में जुडे हुए हैं। तैयारी करते समय इन बातों का ध्यान अवश्य रखें।

रहें अपडेट


वर्ष 2008 से दर्शनशास्त्र के सिलेबस में खासा परिवर्तन हुआ है। पहले परंपरागत पाश्चात्य दर्शन में अलग-अलग दार्शनिक एवं उनके कुछ चयनित दार्शनिक सिद्धांत का अध्ययन किया जाता था, किन्तु अब दार्शनिक स्कूल के रूप में दार्शनिकों एवं सिद्धांतों को सिलेबस में जोडा गया है। समकालीन पाश्चात्य दर्शन में उत्तरवर्ती विटगेंस्टाइन एवं हाइडेगर के दार्शनिक सिद्धांतों को नए सिलेबस में जगह मिली है। भारतीय दर्शन में समकालीन दार्शनिक अरविंद के विकास, प्रति विकास एवं पूर्ण योग जैसे सिद्धांतों को नए पाठ्यक्रम में जोडा गया है। सामाजिक-राजनीतिक दर्शन से भी कुछ टॉपिक को हटाकर नए टॉपिक को जोडा गया है। सामान्य तौर पर धर्मदर्शन के सिलेबस में चेंज नहीं है।

पिरामिड मॉडल के तहत तैयारी

किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी पिरामिड मॉडल के तहत की जानी चाहिए। इसके अन्तर्गत प्रथमत: पूरे सिलेबस का अध्ययन आवश्यक है। इसके बाद पूछे गए प्रश्नों के विश्लेषण के आधार पर कोर एरिया को रेखांकित कर ज्यादा से ज्यादा फोकस करना चाहिए। ऐसी रणनीति सभी सेक्शन में संक्षिप्त नोट्स से संबंधित अनिवार्य प्रश्नों सहित एक भी प्रश्न छूटने नहीं देगी। साथ ही, इस रणनीति में लेखन-अभ्यास को शामिल कर लेने के बाद सफलता के चांसेज बढ जाते हैं।

मुख्य बातें


कोर एरिया को रेखांकित कर फोकस करें।

पूरा सिलेबस पढें।

फिलॉसफी के प्रथम प्रश्नपत्र के तहत कुल 11 दार्शनिक एवं उनका चयनित सिद्धांत को ढंग से पढें।

भारतीय दर्शन के खंड में कुल 9 दार्शनिक व उनके चयनित सिद्धांत शामिल।

सामाजिक-राजनीतिक एवं धर्मदर्शन की तैयारी सिलेबस के अनुरूप करें।

मुख्य पुस्तकें

भारतीय दर्शन की रूपरेखा : एच.पी शर्मा

पाश्चात्य दर्शन की दार्शनिक समस्याएं : एच.एस. उपाध्याय

सामाजिक राजनीतिक दर्शन : राममूर्ति पाठक

12 वीं की एनसीईआरटी की राजनीति विज्ञान की अवधारणा

धर्मदर्शन : वी.पी.शर्मा

विजय झा

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