Friday 30 November 2012


10+18+10=38
9+18+11=38
5+18+15=38
13+18+?=38
ANSWER IS 7
13+18+7=38......



10+10=20
9+11=20
5+15=20
13+?=20
ANSWER IS 7
13+7=20.............


2+3*5=10
8+4*8=96
7+2*7=63
6+5*6=66
9+5*9=126
 

8+7)+(9-2)=(15+7)-4 =18
(5+7)+(8-3) =(12+5)-4=13
(1+2)+(6-1)=(3+5)-4=4
(6+2)+(3-1)=(8+2)-4=6 Ans..

http://samanyagyan4us.blogspot.in/

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how many triangles in the pic ??

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Thursday 29 November 2012

अक्षम आईएएस-आईपीएस की 15 साल में छुट्टी!!!


पटना। अखिल भारतीय सेवा के अक्षम अफसरों से केंद्र सरकार ने सख्ती से निपटने का मन बनाया है। इन्हें 15 साल में ही रिटायर करने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए अखिल भारतीय सेवा अधिनियम में संशोधन की तैयारी की जा रही है। केंद्र सरकार इस सिलसिले में सभी प्रदेशों की राय ले रही है।
बिहार के मुख्य सचिव को इस आशय का पत्र प्राप्त हुआ है। विषय पर दो सप्ताह में बिहार सरकार को अपनी राय देनी है। अगर दो सप्ताह में जवाब नहीं दिया गया, तो प्रस्ताव के प्रति राज्य सरकार को सहमत मान लिया जाएगा।
अक्षम अफसरों, जिनमें आईएएस, आईपीएस, आईआरएस एवं आईएफएस अधिकारी शामिल हैं, की छंटनी करने का मकसद व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाना है। व्यवस्था में बदलाव से नाकाबिल अधिकारी के लिए 60 साल की उम्र तक नौकरी करना मुश्किल हो जाएगा। उसे 15 साल में ही सेवानिवृत कर दिया जाएगा। उसे अन्य अवकाशप्राप्त अफसरों की भांति पेंशन एवं सेवांत लाभ की सुविधाएं दी जाएंगी।
वर्तमान में जो कानून है, उसके तहत अखिल भारतीय सेवा के अफसरों को किसी प्रकार के आपराधिक मामले या सेंट्रल विजिलेंस कमीशन द्वारा दंडित किए जाने पर अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति [कंपलसरी रिटायरमेंट] दी जाती है या उन्हें बर्खास्त किया जाता है।

अपडेशन से मिलेगी सफलता


आइएएस प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट निकल चुका है। इसमें सफल स्टूडेंट्स को अब मुख्य परीक्षा से गुजरना पडेगा। मुख्य परीक्षा अक्टूबर में संभावित है और इसके लिए आपने विषय पहले ही चुन लिए होंगे। अक्सर देखा जाता है कि समान योग्यता होने के बावजूद स्टूडेंट्स की रुचि और क्षमता काफी अलग होती है। यही कारण है कि आइएएस में सभी स्टूडेंट्स को ध्यान में रखते हुए काफी वैकल्पिक विषय होते हैं, जिनमें से अभ्यर्थी अपनी रुचि और क्षमता के अनुरूप कोई भी विषय चुनने के लिए स्वतंत्र रहते हैं। आइएएस की मुख्य परीक्षा में इकोनॉमिक्स विषय वे स्टूडेंट्स ही चुनते हैं, जो पहले से पढे होते हैं। प्रारंभिक परीक्षा में इन दिनों वैकल्पिक विषय के रूप में इकोनॉमिक्स काफी स्टूडेंट्स ले रहे हैं और वे मुख्य परीक्षा में भी इसे रखते हैं। यदि आपने भी इकोनॉमिक्स विषय लिया है, तो इसकी तैयारी के लिए एक अलग स्ट्रेटेजी बनाएं। अगर इस विषय की पॉपुलरिटी की बात करें, तो अर्थशास्त्र से ग्रेजुएट की डिग्री लेने वाले स्टूडेंट्स के अलावा, मैनेजमेंट बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स का भी यह पसंदीदा ऑप्शनल विषय है। मुख्य परीक्षा में यह स्कोरिंग विषय भी माना जाता है। इसके अलावा जीएस में भी काफी प्रश्न इकोनॉमिक्स से आते हैं। यही कारण है कि इकोनॉमिक्स का क्रेज सिविल सेवा की परीक्षा में बढता ही जा रहा है।
जानें सिलेबस
इकोनॉमिक्स के सिलेबस को दो भागों में बांटा जा सकता है। पहले भाग में थ्योरी ऑफ इकोनॉमिक्स है। इसके अंतर्गत माइक्रो इकोनॉमिक्स, मनी, बैंकिंग एंड पब्लिक फाइनेंस, इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स, प्लानिंग एंड डेवलपमेंट और इकोनॉमिक स्टैटिस्टिक्स शामिल हैं। दूसरे सेक्शन में भारतीय अर्थव्यवस्था, जिसके अंतर्गत भारत की आर्थिक नीति, विश्व की अर्थव्यवस्था का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आदि हैं। इसके अलावा लैंड सिस्टम, कॉमर्शियलाइजेशन और एग्रीकल्चर, न्यू इकोनॉमिक रिफॉर्म आदि से काफी संख्या में प्रश्न पूछे जाते हैं।
हाउ टु प्रिपेयर
मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए प्रारंभिक परीक्षा की अपेक्षा एक अलग रणनीति बनाने की जरूरत होती है। विशेषज्ञों के अनुसार मुख्य परीक्षा के लिए आदर्श स्थिति यह है कि आप सिलेबस के अनुरूप संपूर्ण तैयारी करें। मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए समय काफी कम बचा है और पढने के लिए काफी विषय रहते हैं। इस कारण इस समय व्यावहारिक यह है कि आप सेलेक्टिव अप्रोच अपनाएं। आप सबसे पहले उन्हें कंप्लीट करने की कोशिश करें, जिनसे अधिक संख्या में प्रश्न आते हैं। बेहतर होगा कि आप कुछ महत्वपूर्ण चैप्टर के प्रत्येक भाग को अच्छी तरह से पढें। इससे आपका कॉन्फिडेंस लेवल काफी बढ जाएगा और आपकी तैयारी अच्छी हो जाएगी। इस तरह की रणनीति तभी कारगर हो सकती है, जब आप एक बार सिलेबस का गहन अध्ययन कर चुके हों। यह एक ऐसा विषय है, जिसमें रोज कुछ न कुछ बदलाव होते रहते हैं। इसमें बेहतर करने के लिए जरूरी है कि रोजमर्रा के आर्थिक बदलाव से अपडेट रहें और उसी के अनुरूप अपनी तैयारी को अंतिम रूप दें। अर्थशास्त्र के इंडियन इकोनॉमिक्स सेक्शन में लेटेस्ट इकोनॉमिक सर्वे, बजट में प्रोविजन्स, आरबीआई की मॉनिटरी, क्रेडिट पॉलिसी, सरकार की नई आर्थिक नीति, ग्लोबल इकोनॉमिक के बदलते परिदृश्य आदि से प्रश्न पूछे जा सकते हैं। इसमें थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं। आपके लिए बेहतर होगा कि आप सभी तरह के प्रश्नों पर ध्यान दें। आपके लिए बेहतर होगा कि आप बदलते ट्रेंड से अवगत रहें। इसके लिए पिछले वर्षो के प्रश्नों को देखें और और उसी के अनुरूप तैयारी करें, तो बेहतर मा‌र्क्स ला सकते हैं। तैयारी के दौरान फैक्ट्स का रिवाइज करना जरूरी होता है। आजकल विभिन्न देशों के संबंध भी इकोनॉमिक बेस्ड हो गए हैं। इस कारण इस विषय में बेहतर करने के लिए विश्लेषण क्षमता का ज्ञान जरूरी है। क्योंकि कुछ प्रश्न इसी को आधार बनाकर पूछे जाते हैं। इस तरह के प्रश्नों का विश्लेषणात्मक अध्ययन नहीं करने से सही उत्तर देने में परेशानी हो सकती है। इसके साथ ही, विश्व की अर्थव्यवस्था में आए प्रमुख बदलाव का भी विश्लेषण करने की क्षमता विकसित करें। अगर इस तरह की रणनीति बनाकर तैयारी करते हैं, तो आप इस विषय में अच्छे मा‌र्क्स लाने में अवश्य सफल होंगे।

फाइनल टच देने का समय


29 अक्टूबर से शुरू होने वाली सिविल सर्विसेज मुख्य परीक्षा के लिए अब पढने का समय अधिक नहीं है। शेष समय का सदुपयोग अभ्यर्थियों को सफलता दिला सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, परीक्षा की तैयारी पिरामिड संरचना पर आधारित होती है। इसमें शुरुआती दौर की तैयारी तो संपूर्ण सिलेबस कवरेज से होती है, किंतु परीक्षा का समय जैसे-जैसे नजदीक आता है, वैसे-वैसे पिरामिड के शीर्ष की भांति तैयारी भी सिलेबस के कोर एरिया पर केंद्रित हो जाती है।
स्ट्रेटेजी है महत्वपूर्ण
किसी भी परीक्षा में स्ट्रेटेजी का महत्वपूर्ण रोल होता है। इस परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का मानना है कि यह समय स्टूडेंट्स के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इस कारण किसी बाहरी दबाव में न आकर अपनी योग्यता और तैयारी के अनुरूप योजना बनाना कारगर होता है। योजना बनाते समय आप यह देखें कि किस विषय की परीक्षा कब है और उसकी तैयारी के लिए आपको कितने दिनों का समय मिलता है। सिविल सेवा की परीक्षा में कुछ वैकल्पिक विषयों में काफी गैप मिल जाते हैं। यदि आपको भी इस तरह के गैप मिलते हैं, तो आप वैकल्पिक विषयों की तैयारी के लिए बीच का समय रिजर्व रख सकते हैं। इन बचे हुए समय का सदुपयोग आप अन्य अनिवार्य विषयों की तैयारी में लगाएंगे, तो आप समय का सही उपयोग करने में सफल होंगे और अन्य स्टूडेंट्स की अपेक्षा फायदे में भी रहेंगे। यद्यपि तैयारी के दौरान इन मैरिट सूची निर्धारित करने वाले विषयों पर ज्यादा समय दिया जाना चाहिए, किंतु क्वालीफाइंग विषयों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
सिर्फ रिवीजन है जरूरी
अभ्यर्थियों को पूर्व में अपनी रुचि तथा पकड के हिसाब से चयनित टॉपिक पर एकत्रित किए गए पाठ्य सामग्री/मैटेरियल्स के मुख्य बिंदुओं का बार-बार रिवीजन करना चाहिए। अभ्यर्थियों को शेष बचे समय में तीन-चार निबंध लिखकर अभ्यास करना चाहिए। यदि निबंध में क्रमबद्धता, मौलिकता एवं कंटेंट संबंधी समस्या है, तो उसे समय रहते दूर करने का अभ्यास कर सकते हैं। सामान्य अध्ययन के प्रथम पत्र का सिलेबस पूरी तरह ट्रेडिशनल है।
सभी प्रश्नों पर दें समान समय
परीक्षा भवन में उत्तर लिखते समय सभी प्रश्रनें पर एक समान समय देने का पूरा प्रयास करें। ऐसा न हो कि अपने पसंदीदा प्रश्रनें पर आप एक घंटे से ज्यादा का समय दे दें। इससे आखिरी दो प्रश्रनें के जवाब लिखने के लिए आपके पास समय ही नहीं बचेगा। इससे बचने के लिए पहले ही समय तय कर लें कि प्रत्येक प्रश्न पर करीब 35 मिनट का समय (खासकर वैकल्पिक विषयों के प्रश्रन्पत्रों में) देना है, क्योंकि सामान्यतया इनमें तीन घंटे में पांच प्रश्रनें के उत्तर देने होते हैं। चूंकि सामान्य अध्ययन के पेपर में प्रश्रन् ज्यादा होते हैं, इसलिए वहां भी शुद्धता और गति का ख्याल रखना जरूरी होता है।
प्रश्नों को देखें, तब उत्तर दें
परीक्षा भवन में पेपर मिलने के बाद उत्तर लिखना न आरंभ कर दें। सबसे पहले सभी प्रश्रनें पर नजर डालें और उनका विश्लेषण करें। यह देखें कि किन-किन प्रश्नों के उत्तर आपको अच्छी तरह से आते हैं। ऐसे प्रश्रनें को पहले से तय कर लें। इसमें भी जो प्रश्रन् आपका सबसे पसंदीदा हो, सबसे पहले उसका उत्तर लिखना आरंभ करें। इसके बाद प्राथमिकता के हिसाब से उत्तर लिखें। उत्तर लिखते समय प्रश्न के सभी पहलुओं का ध्यान रखें, क्योंकि अगर कोई भी पहलू छूट गया, तो आपका उत्तर अधूरा माना जाएगा और आपको इस पर पूरे उत्तर नहीं मिलेंगे। बेहतर होगा कि उत्तर लिखने से पहले ही इसका एक खाका अपने दिमाग में या फिर रफ पेपर पर बना लें, जिसमें बिंदुओं के रूप में उन बातों को लिख लें, जिन्हें अपने उत्तर में शामिल करना है।

जब डीजीपी मुख्यमंत्री के पैरों के सामने लेट सकते हैं...


लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में आईपीएस अफसरों को आईएएस अधिकारियों के सामने झुकने पर मजबूर किया जाता है। गलती न होने पर भी उन्हें ही अकड़ न दिखाने को कहा जाता है।
पुलिस कप्तान को नसीहत भी दी जाती है कि जब प्रदेश के डीजीपी मुख्यमंत्री के पैरों के सामने लेट सकते हैं तो उन्हें डीएम के सामने झुकने में क्या समस्या है? यह आरोप सिद्धार्थनगर के हटाए गए पुलिस कप्तान मोहित गुप्ता के हैं, जो उन्होंने 26 जनवरी को डीजीपी अतुल को भेजे गए पत्र में लगाए थे।
इस पत्र में उन्होंने बस्ती प्रकरण में अपनी गलती न होने का जिक्र करते हुए लिखा है कि बस्ती के हटाए गए कमीश्नर अनुराग श्रीवास्तव व सिद्धार्थनगर की पूर्व डीएम सुश्री चैत्रा वी पुलिस अफसरों के प्रति नकारात्मक सोच रखते हैं। 26 जनवरी को बस्ती के मंडलायुक्त ने चुनाव समीक्षा संबंधी एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में अनुराग श्रीवास्तव ने सिद्धार्थनगर के निर्वाचन व्यवस्थापन प्लान बनाने में देरी होने की वजह पूछी, पर उनका जवाब सुनते ही वह भड़क गए। कहा कि तुम्हारी इतनी मजाल कि डीएम के बुलाने पर गए नहीं और तुम अपने को समझते क्या हो, डीएम तुम्हारी बॉस है। सिद्धार्थनगर की डीएम सुश्री चैत्रा वी ने कई बार उनके साथ नियम विरुद्ध आचरण किया। जिले में थानाध्यक्षों की तैनाती संबंधी प्रस्तावों पर अपरंपरागत आपत्तियां लगाई। जिसके बारे में प्रमुख सचिव गृह को उन्होंने अवगत कराया था। अनुराग श्रीवास्तव द्वारा शासन में मोहित की शिकायत करने का जिक्र भी पत्र में किया गया है।
मोहित के अनुसार मंडलायुक्त ने शासन में मेरी शिकायत की थी कि मैंने उन्हें काल-ऑन नहीं किया। इस मामले में मैं उनसे मिला और उनसे माफी मांगी। इस मुलाकात में उन्होंने मुझसे कहा कि डीएम सिद्धार्थनगर का स्वभाव ठीक नहीं है, वह जिला स्तरीय सभी अफसरों से लड़ चुकी हैं। आपके और डीएम के बीच में जो समस्याएं हैं उनके लिए प्रमुख रूप से डीएम जिम्मेदार हैं परंतु आपको अकड़ नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि झुकना तो पुलिस अधिकारियों को ही पड़ता है।
यह भी कहा कि जब वह विशेष सचिव मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने तत्कालीन डीजीपी को मुख्यमंत्री के पैरों में पड़ा देखा है। जब डीजीपी एक महिला मुख्यमंत्री के पैरों में लेट सकता है तो आपको डीएम के सामने झुकने में क्या समस्या है।
सरकारी प्रवक्ता से इस मामले में पूछे जाने पर कहा कि दो सदस्यीय समिति मामले की जांच कर रही है। ऐसे में उक्त पत्र पर अभी कुछ कहना उचित नहीं होगा।
अनुराग व मोहित
से पूछताछ की
लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। बस्ती प्रकरण की जांच के लिए बनी दो सदस्यीय समिति ने मंगलवार को बस्ती के हटाए गए कमिश्नर अनुराग श्रीवास्तव तथा सिद्धार्थनगर के पूर्व एसपी मोहित गुप्ता का पक्ष जाना। सूत्रों के अनुसार समिति के सदस्य औद्योगिक विकास आयुक्त वीएन गर्ग और डीजी भ्रष्टाचार निवारण संगठन अरूण कुमार गुप्ता इस मामले में अब सिद्धार्थनगर तथा संतकबीर नगर के अधिकारियों से लिए गए बयान का मिलान कर अपनी रिपोर्ट शासन को देंगे। समिति को सरकार ने बस्ती प्रकरण पर बुधवार तक रिपोर्ट देने का समय दिया है। तय समय में अपनी रिपोर्ट देने के लिए गत सोमवार को समिति के दोनों सदस्यों ने बस्ती जाकर गत 26 जनवरी को अनुराग श्रीवास्तव की बैठक में मौजूद रहे कई अधिकारियों के बयान लिए थे।

पीएम के हस्तक्षेप से नेत्रहीन बना आईएएस


Blind candidate now IAS officer
नारनौल [देवेंद्र यादव]। 'कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो'- शायर दुष्यंत की इन पंक्तियों को चरितार्थ कर दिखाया है हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के खेड़ी गांव निवासी नेत्रहीन अजीत कुमार ने। उन्होंने चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आईएएस अफसर के पद पर चयनित होकर मुकाम हासिल कर लिया है।
उन्हें यह उपलब्धि प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप पर मिली है। अब अजीत देश के दूसरे नेत्रहीन आईएएस बन गए हैं। इससे पहले पंचकूला निवासी सुखसोहित सिंह ने नेत्रहीन आईएएस बनने का गौरव हासिल किया था।
अपने कठिन समय को जागरण के साथ साझा करते हुए अजीत ने बताया कि वर्ष 2008 में उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। 791 सफल परीक्षार्थियों में उनका 208वां रैंक था। इतनी अच्छा रैंक आने के बाद भी उन्हें आइएएस के बजाय आइआरपीएस [भारतीय रेलवे सेवा] दिया गया था। इसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया। यह सब उनके नेत्रहीन होने के कारण किया गया। अजीत ने बताया कि अपने हक को पाने के लिए उन्हाेंने कैट [सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल] की शरण ली। कैट ने 8 अक्टूबर, 2010 को उनके हक में फैसला सुनाया। कैट ने निर्देश दिया कि उन्हें आठ सप्ताह में आइएएस का रैंक दिया जाए। फिर भी उन्हें आईएएस के पद के लिए नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया।
उन्हाेंने हार नहीं मानी और सांसद वृंदा करात के सहयोग से 29 नवंबर, 2011 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिले। प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप से उन्हें 16 जनवरी, 2012 को आईएएस अफसर के रूप में नियुक्ति मिली है। 14 फरवरी को नियुक्ति पत्र देकर 20 फरवरी तक मंसूरी में हाजिर होने की सूचना दी गई है। उन्होंने फोन पर बताया कि वह मंसूरी पहुंच गए हैं और 19 फरवरी को हाजिर होकर प्रशिक्षण शुरू कर देंगे।

वरिष्ठ अधिकारी और जज मेरी मौत के जिम्मेदार


बिलासपुर। छत्तीसगढ़ कैडर के आइपीएस अफसर राहुल शर्मा का सुसाइड नोट मिल गया है। इसमें शर्मा ने अपने आत्मघाती कदम के लिए वरिष्ठ अधिकारी और हाई कोर्ट के एक जज को जिम्मेदार ठहराया है। बिलासपुर के एसपी 37 वर्षीय शर्मा ने सोमवार को यहां ऑफीसर्स मेस के टॉयलेट में अपनी सर्विस रिवाल्वर से सिर पर गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी।
बिलासपुर के पुलिस महानिरीक्षक [आइजी] जीपी सिंह ने मंगलवार को यहां बताया कि ऑफीसर्स मेस के उस कमरे से एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें शर्मा ठहरे थे। इंग्लिश में लिखे इस नोट में कहा गया है, 'अपने वरिष्ठ अधिकारी की दखलंदाजी और हाई कोर्ट के एक जज की वजह से मैं इस जिंदगी से थक गया हूं। दोनों ने मेरा जीना हराम कर दिया है। अपमान और कलंक से आजिज आकर मैं मौत को गले लगा रहा हूं।' शर्मा ने इसमें अपनी पत्नी से माफी मांगी है और भाई से माता-पिता का खयाल रखने को कहा है।
कुरुक्षेत्र [हरियाणा] के रहने वाले राहुल शर्मा के पिता राजकुमार ने समूचे मामले की सीबीआइ जांच की मांग की है। शुरुआती जांच में शर्मा की आत्महत्या के पीछे पारिवारिक विवाद की आशंका जताई गई थी। शर्मा की पत्नी गायत्री बिलासपुर में ही रेलवे में डिप्टी जनरल मैनेजर [कामर्शियल] के पद पर तैनात हैं।
दो महीने पहले ही बिलासपुर के एसपी बने शर्मा को अभी सरकारी आवास नहीं मिला था और वह पत्नी के रेलवे वाले आवास में ही रह रहे थे। रविवार रात वह अचानक अपना सामान लेकर ऑफीसर्स मेस में शिफ्ट हो गए थे, जहां सोमवार दोपहर उन्होंने आत्मघाती कदम उठा लिया था।

आईएएस ने सामूहिक आयोजन में की शादी


अहमदाबाद, [शत्रुघ्न शर्मा]। शादी-विवाह में तड़क-भड़क और दिखावे की संस्कृति को ठेंगा दिखा गुजरात कैडर के एक आईएएस अफसर ने सामूहिक विवाह सम्मेलन में शादी कर युवाओं के लिए नया आदर्श पेश किया है।
साबरकाठा जिले की खेड़ब्रम्हा तहसील के निवासी विजय खराड़ी आदिवासी समुदाय डूंगरी गरासिया से आते हैं। गत वर्ष जब वह आईएएस में चयनित हुए तो उनके समाज की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। विजय इस समुदाय के पहले आईएएस हैं। विजय वर्तमान में मध्य गुजरात के नर्मदा जिले में सहायक कलेक्टर के पद पर तैनात हैं। गत दिनों जब डूंगरी गरासिया समुदाय के उपाध्यक्ष बीएम खाणमा व अन्य ने उन्हें समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में शामिल होने का न्योता दिया तो उन्होंने खुद भी समारोह में ही शादी की इच्छा जताई। पिता और परिजन सहमत नहीं थे, लेकिन विजय ने उन्हें मना लिया। विजय का कहना है कि सामूहिक विवाह में शादी करके धन की बर्बादी को रोका जा सकता है। इससे बचे धन का इस्तेमाल समाज में शिक्षा-जागरूकता के लिए किया जाए तो कायापलट हो सकता है।
विजय मंगलवार को सामूहिक विवाह सम्मेलन में पड़ोसी गाव भिलोड़ा की सीमा के साथ सात जन्मों के बंधन में बंध गए। इस समारोह में विजय और सीमा समेत 34 जोड़े विवाह बंधन में बंधे। जीआईडीसी के दक्षिण गुजरात के विभागीय प्रबंधक टी के पाडोर, विधायक अनिल जोशीयारा, पूर्व विधायक रमीला बारा आदि बाराती बने।

आखिरकार.. झुकी सरकार


लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आईएएस-आईपीएस विवाद प्रकरण पर आक्रामक हुए आईपीएस एसोसिएशन का सरकार पर दबाव असर कर गया। प्रदेश सरकार ने सोमवार को आईपीएस अफसरों की कई लंबित मांगों को मान लिया। अब थानाध्यक्ष की नियुक्ति में जिला अधिकारी की लिखित अनुमति लेना बाध्यकारी नहीं होगा, लेकिन नियुक्ति जिला अधिकारी के मशविरा पर ही की जाएगी। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है आईपीएस के प्रोन्नति के मामलों में तेजी लाई जाएगी।
बीते बुधवार को बस्ती में मंडलायुक्त के एसपी सिद्धार्थनगर के पद पर रहे मोहित गुप्ता को अपमानित करने पर आईपीएस एसोसिएशन के तेवर को देखते हुए सोमवार को मुख्य सचिव ने अपने कार्यालय में बैठक की। इसमें सुरक्षा सलाहकार करमवीर सिंह के साथ ही एसोसिएशन के पदाधिकारी भी थे। बैठक के बाद मुख्य सचिव ने कहा कि अब पुलिस मैन्युअल के अनुरूप ही थानाध्यक्षों की तैनाती की जाएगी।
थानाध्यक्षों की तैनाती में जिला अधिकारी की लिखित अनुमति लेना बाध्यकारी नहीं होगा। वरिष्ठता सूची के आधार पर पुलिस कप्तान थानाध्यक्षों की तैनाती जिला अधिकारी से विमर्श के बाद करेंगे। यदि दोनों की सहमति न हुई तो रेंज आईजी या डीआइजी थानाध्यक्षों की तैनाती करेंगे।
यह व्यवस्था पहले थी लेकिन वर्ष 2008 में राज्य सरकार ने परिवर्तन करते हुए जिला अधिकारी से लिखित अनुमति को बाध्यकारी बना दिया था। एसोसिएशन की एक अन्य मांग प्रदेश में आईजी जोन व्यवस्था बहाल करने की थी। मुख्य सचिव ने कहा कि अभी चुनाव चल रहे हैं, ऐसे में मांग पर अभी कोई आश्वासन देना संभव नहीं है। चुनाव बाद इस मामले में विचार किया जाएगा। आईपीएस संवर्ग की रिक्तियों और प्रोन्नति के प्रकरणों में तेजी लाई जाएगी।
आईपीएस एसोसिएशन के सचिव अरुण कुमार ने कहा कि सरकार से वार्ता के बाद पदाधिकारी संतुष्ट हैं। प्रकरण को अब खत्म मान लिया गया है। उन्होंने कहा मुख्य सचिव ने आश्वासन दिया है कि बस्ती में मंडलायुक्त के एसपी को अपमानित किए जाने के मामले में गठित जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद जल्द कार्रवाई की जाएगी।
मालूम हो कि बीते गुरुवार को बस्ती के मंडलायुक्त रहे अनुराग श्रीवास्तव ने सिद्धार्थनगर के एसपी रहे मोहित गुप्ता को अपशब्द कहते हुए एक बैठक से बाहर निकाल दिया। इस पर आईपीएस एसोसिएशन ने नाराजगी जताते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की। आयोग ने सिद्धार्थनगर की जिला अधिकारी बी चैत्रा व एसपी मोहित गुप्ता को हटा दिया लेकिन अनुराग श्रीवास्तव के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। इससे नाराज 2004 से 2007 बैच के दो दर्जन से अधिक अफसरों ने रविवार को आईपीएस एसंोसिएशन के सचिव को इस्तीफा भेज दिया था। इस दबाव के कारण अनुराग श्रीवास्तव हटा दिए गए।
जांच टीम पहुंची बस्ती, आयोग पहुंचे मोहित गुप्ता
-प्रकरण की जांच के लिए गठित जांच समिति सोमवार को बस्ती पहुंच गई। टीम ने सिद्धार्थनगर व संत कबीरनगर के डीएम-एसपी से इस मामले की जानकारी ली। सिद्धार्थनगर की पूर्व डीएम वी चैत्रा और एसपी मोहित गुप्ता का भी बयान दर्ज किया गया।
मोहित गुप्ता ने सोमवार को मुख्य निर्वाचन अधिकारी उमेश सिन्हा से भी मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार इस बीच बस्ती के आयुक्त पद से हटाए गए अनुराग सिन्हा ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखा है।

Wednesday 28 November 2012

आईएएस प्री परीक्षा के प्रवेश पत्र ऑनलाइन

UPSC Civil Services (Prelim) Exam: Download e-Admit Card

इलाहाबाद। संघ लोक सेवा आयोग ने आईएएस परीक्षा के प्रवेश पत्र गुरुवार को ऑनलाइन कर दिए हैं। साथ ही अस्वीकृत किए गए आवेदन पत्रों से संबंधित विवरण को कारण सहित ऑनलाइन किया गया है। 20 मई को देशभर में एक साथ होने वाली प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र संघ लोक सेवा आयोग की वेबसाइट यूपीएससी.जीओवी.इन से डाउनलोड किए जा सकते हैं।
संघ लोक सेवा आयोग ने अभ्यर्थियों को उनके ईमेल पर भी परीक्षा केंद्र के बारे में जानकारी देने की व्यवस्था की है। हालांकि इस बार केवल ई-प्रवेश पत्र ही जारी करने की घोषणा की है। डाक से प्रवेश पत्र नहीं भेजे जाएंगे।
आयोग ने अभ्यर्थियों को सलाह दी है कि यदि अभ्यर्थी के ई-प्रवेश पत्र पर फोटो नहीं लगी है या स्पष्ट नहीं है तो परीक्षा केंद्र पर पहचान का प्रमाण पत्र लेकर ही जाएं। इसके अलावा प्रवेश पत्र के दो प्रिंटआउट सहित दो फोटोग्राफ लाना होगा। किसी प्रकार की विसंगति की स्थिति में अभ्यर्थियों को पांच मई तक आयोग को ईमेल के माध्यम से अवगत कराना होगा। आयोग ने अभ्यर्थियों को परीक्षा में केवल काला बाल प्वाइंट पेन का प्रयोग करने की सलाह दी है। पूर्व में एसबी पेंसिल का प्रयोग करने को कहा गया था, जिसे बाद में बदल दिया गया।

आइएएस के 1700 पद खाली

Over 1700 posts for IAS lying vacant

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा है कि देश में इस समय आइएएस के 1700 पद खाली हैं। सबसे ज्यादा 216 पद उत्तर प्रदेश में रिक्त हैं। कार्मिक राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने बुधवार को लोक सभा में प्रश्न काल के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आइएएस के कुल 6154 के मुकाबले 4377 पद भरे हैं। उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार में 128, झारखंड में 100 और पंजाब में 60 पद रिक्त हैं।
भ्रष्टाचार के 600 मामले दर्ज
सीबीआइ ने पिछले साल भ्रष्टाचार के 600 मामले दर्ज किए हैं। नारायणसामी ने लोक सभा में यह जानकारी देते हुए बताया कि जांच एजेंसी ने पिछले तीन साल में 1459 मामलों में सरकारी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों से अनुमति मांगी है। इन मामलों में ढाई हजार से ज्यादा सरकारी अधिकारी शामिल हैं।
रिश्वत लेने वालों के साथ-साथ रिश्वत देने वालों के खिलाफ भी सीबीआइ कार्रवाई कर रही है। पिछले तीन साल में ऐसे 36 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है।
आत्महत्या एवं आपसी हत्या का शिकार हुए 1426 सैन्यकर्मी रक्षा मंत्री एके एंटनी ने एक लिखित जवाब में राज्य सभा को बताया कि पिछले 12 साल में आत्महत्या और साथियों की गोली का शिकार बनने वाले सैन्यकर्मियों की संख्या 1426 रही। थल सेना ने इन घटनाओं में सबसे ज्यादा 1150 कर्मी खोए। इस साल अब तक 27 कर्मी शिकार हुए हैं। उन्होंने मानसिक तनाव, व्यक्तिगत और वित्तीय समस्याओं को इन घटनाओं की वजह बताया।

शेना बनीं आईएएस टॉपर

womens wins in ias exams

नई दिल्ली। देश की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में लगातार दूसरे साल महिला उम्मीदवारों ने पहले दो स्थान पर कब्जा जमाकर फिर अपनी धाक जमाई है। बदले पैटर्न पर हुई इस बार की परीक्षा के नतीजों में देश की विविधता का अनोखा संगम देखने को मिला। शीर्ष 25 स्थान हासिल करने वाली अभ्यर्थी 16 राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
संघ लोक सेवा आयोग द्वारा शुक्रवार को घोषित नतीजों के मुताबिक एम्स से एमबीबीएस शेना अग्रवाल ने आइएएस परीक्षा टॉप की है। यह उनका तीसरा प्रयास था। हरियाणा के यमुनानगर की शेना ने 12वीं पास करते ही कहा था, आइएएस बनूंगी। वर्ष 2009 में शेना संघ लोक सेवा आयोग [यूपीएससी] की परीक्षा में शामिल हुई। उसका आइआरएस [इंडियन रेवेन्यू सर्विस] के लिए चयन हुआ। गत पांच माह से शेना नागपुर में आइआरएस अधिकारी के रूप में प्रशिक्षण भी प्राप्त कर रही है, लेकिन उसे और बुलंदियों को छूना था।
मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से सामाजिक उद्यम में स्नातकोत्तर रुक्मिणी रियाड़ ने पहले ही प्रयास में दूसरी रैंक हासिल की। आइआइटी दिल्ली से एमटेक प्रिंस धवन तीसरे स्थान पर रहे। वह भी पहली कोशिश में कामयाब रहे। टॉप 25 में ज्यादातर उम्मीदवार एम्स, आइआइएम और आइआइटी के पूर्व छात्र हैं। एक ने लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की है और 12 ऐसे हैं जो पहले ही सिविल सेवा के लिए चुने जा चुके थे, लेकिन आइएएस पाने के लिए उन्होंने इस बार फिर परीक्षा दी थी।
सबसे अहम बात यह रही कि नतीजे अखिल भारतीय तस्वीर पेश करते हैं। आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तराखंड के स्थायी निवासी उम्मीदवारों ने टॉप 25 में जगह बनाई है। इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि में भी पर्याप्त विविधता झलकती है। शीर्ष 25 के भावी सिविल सेवक शिक्षक, उद्यमी, निम्न मध्यम वर्ग, सैनिक, डॉक्टर, वकील और सिविल सेवकों के परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अनुसार कुल 1001 रिक्तियों के मुकाबले 910 उम्मीदवारों का अंतिम रूप से चयन किया गया। दरअसल, आरक्षित श्रेणी के 91 अभ्यर्थियों ने सामान्य कोटे में जगह बनाई है। सफल उम्मीदवारों में 715 पुरुष और 195 महिलाएं हैं। इनका चयन आइएएस, आइएफएस, आइपीएस समेत विभिन्न केंद्रीय सेवाओं में नियुक्ति के लिए किया गया है।

देश की पहली नर्स बनी आइएएस


india first nurse IAS

तिरुअनंतपुरम। मां-बाप अपने बच्चों के लिए कई सपने देखते हैं और समय के साथ उनके यह सपने बच्चों के सपने बन जाते हैं। केरल के एक छोटे से गांव के किसान की ख्वाहिश थी कि उसकी बेटी आइएएस बने। अपनी साम‌र्थ्य अनुसार उसे पढ़ाया-लिखाया और आज उसी बेटी ने यह सपना साकार कर दिखाया है। यह बेटी कोई और नहीं एनीज कनमणि जॉय हैं, जिन्होंने आइएएस की परीक्षा में 65वां स्थान प्राप्त किया है। वह देश की पहली नर्स हैं जिन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास की है।
यह पहला मौका नहीं है जबकि एनीज ने सिविल सेवा की परीक्षा पास की है। साल 2011 में उनकी 580वीं रैंक थी। उसी के तहत वह अभी भारतीय अकाउंट सेवा के तहत आफिसर ट्रेनिंग ले रही हैं। एनीज ने बताया कि बचपन से ही पिताजी ने आइएएस बनने का सपना सिखाया, लेकिन मैंने इसके लिए तैयारी इंटर्नशिप के बाद ही शुरू की। एनीज का कहना है कि लोग अक्सर सोचते हैं कि ग्रामीण पृष्ठभूमि का होने से मुश्किलें बढ़ जाती हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। मैं केरल की हूं जहां शिक्षा का खासा महत्व है। हालांकि एनीज का सपना डॉक्टर बनने का था, लेकिन मेडिकल परीक्षा में अच्छी रैंक नहीं आने से उन्हें मजबूरी में बीएससी [नर्सिग] करना पड़ा। एनीज का कहना है हालांकि नर्सिग का पेशा कभी भी उनकी प्राथमिकता नहीं था, लेकिन सिविल सेवा की परीक्षा में इससे खासी मदद मिली। अपने काम में हमें तुरंत फैसले लेने पड़ते हैं, ऐसे में यह परीक्षा के लिहाज से बहुत मददगार साबित हुआ। एनीज बताती हैं कि सिविल परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने प्रतिदिन नौ घंटे की पढ़ाई की। इस दौरान उन्होंने दोस्तों से दूरी बनाकर रखी। सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दिया। उन्होंने बताया, 'परीक्षा से पहले सोचा कि किसी आइएएस नर्स से सलाह लेनी चाहिए, लेकिन मैं ऐसी किसी नर्स को नहीं ढूंढ़ पाई। हालाकि मुझे इस बारे में पता इम्तिहान पास कर लेने के बाद ही चला।'

योजना बनाकर करें तैयारी


अगर आपने आइबीपीएस परीक्षा पास कर चुके हैं, तो इंटरव्यू में बेहतर प्रदर्शन करके अपनी एक सीट आंध्र बैंक में पक्की कर सकते हैं..
बैंक की आईबीपीएस परीक्षा में इस बार लगभग पांच लाख से अधिक स्टूडेंट्स सफल हुए हैं। इस परीक्षा में पास हुए अभ्यर्थियों के स्कोर कार्ड की वैलिडिटी एक वर्ष है। जाहिर है इनमें से सभी को नौकरी नहीं मिल सकती है। इसमें सफलता उन्हीं स्टूडेंट्स को मिलती है, जो एक योजना बनाकर तैयारी करते हैं और अपनी कमियों को समय रहते दूर करते हैं। यदि आप भी यह परीक्षा पास कर चुके हैं, तो आपके लिए सुनहरा अवसर है, क्योंकि हाल ही में आंध्र बैंक ने क्लर्क पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 5 मई है।
आवश्यक योग्यता
क्लर्क पदों के लिए जनरल कैंडिडेट को किसी भी विषय से ग्रेजुएशन होना जरूरी है। आरक्षण के दायरे में आनेवाले कैंडिडेंट को सरकारी नियमानुसार छूट का प्रावधान है। उम्र सीमा जनरल कैंडिडेट के लिए 18 से 28 वर्ष निर्धारित है। कंप्यूटर नॉलेज जरूरी है और जिस रीजन से आवेदन कर रहे हैं, उस रीजन से संबंधित भाषा या लैंग्वेज का ज्ञान आवश्यक है।
सेलेक्शन प्रोसेड्योर
क्लर्क पदों के लिए मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी। मेरिट लिस्ट आईबीपीएस में प्राप्त अंक और इंटरव्यू में मिले अंकों को जोडकर बनाई जाएगी। इसमें जिसका बेहतर परफॉमर्ेंस होगा, उसी का चयन किया जाएगा।
तैयारी के लिए टिप्स
विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी परीक्षा में सफलता तभी मिल सकती है, जब आप उसे पाने के लिए दृढ संकल्पित होंगे। इंटरव्यू में मोडेरेटर पैनल आब्जर्व करता है कि कैंडिडेट इनीशिएटिव लेता है या नहीं, उसमें दिशा देने की कितनी क्षमता है? क्या वह आगे बढकर जिम्मेदारी लेता है? ग्रुप में लोगों से उसका कोआर्डिनेशन कैसा है? कैंडिडेट की सब्जेक्ट पर पकड कितनी है। इसके अलावा वह अपने खुद के विचार कैसे समाहित करता है। यह बहुत मायने रखता है कि आप एनालिटिकली कितने सक्षम हैं। आप आर्गुमेंट को कैसे इस्तेमाल करते हैं और आपके लॉजिक में कितना दम है।
बढाएं कम्युनिकेशन स्किल
यह बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें आपकी फ्लुएंसी, विचारों में स्पष्टता, प्रेजेंटेशन स्किल्स, लिसनिंग एबिलिटी, आपका दृष्टिकोण और बॉडी लैंग्वेज देखी जाती है। इंटरव्यू में आपका विचार भी देखा जाता है। इसके साथ ही यह भी देखा जाता है कि कहीं आप ओवर एग्रेसिव तो नहीं हैं। दूसरों पर बिना वजह हावी होने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं? जवाब शालीनता से दें। आप टू दी प्वाइंट उत्तर देंगे, तो सफलता के चांसेज बढ जाते हैं।
सहज रहें, सफल बनें
अभ्यर्थी को हमेशा शांत रहना चाहिए और इस तरह से बात करनी चाहिए जिससे इंटरव्यू लेने वाले लोगों पर अच्छा प्रभाव पडे। इंटरव्यू में कुछ ऐसी बातें होती हैं, जिन्हें नहीं कहना चाहिए। ये बातें इंटरव्यू लेने वाले लोगों के मन में आपके प्रति शंका पैदा कर सकती हैं या गलत संदेश दे सकती हैं। इसलिए इंटरव्यू देते समय कुछ बातों को नहीं कहने से हमेशा बचें। आज के समय में किसी कंपनी को केवल अच्छा काम ही नहीं चाहिए, बल्कि उसे अपने कर्मचारियों से अच्छे प्रोफेशनल व्यवहार की भी अपेक्षा होती है। इसलिए जब इंटरव्यू देने के लिए जाएं तो खुद को एक अच्छे और मंझे हुए प्रोफेशनल की तरह से कंपनी के लोगों के सामने पेश करें। इससे इंटरव्यू लेने वाली टीम के मन में आपकी अच्छी छवि बनेगी और उन्हें इस बात का अहसास होगा कि सामने वाला व्यक्ति इस पद के लिए अच्छा रहेगा। इंटरव्यू के दौरान अगर कोई प्रश्न आप समझ नहीं पा रहे हैं तो बेहतर होगा कि तुरंत इंटरव्यू लेने वाले से फिर से प्रश्न पूछने की गुजारिश विनम्रता पूर्वक करें। किसी सवाल का अप्रासंगिक उत्तर देने से यह कहीं बेहतर विकल्प है। अगर इस तरह की स्ट्रेटेजी अपनाकर इंटरव्यू की तैयारी करते हैं, तो यकीन मानिए कि सफलता आपके बेहद करीब खडी दिखाई देगी।
1. वर्ष 2012 में होने वाली आर्थिक जनगणना इस श्रृंखला की कौन सी जनगणना है ?
- छठवीं
2. भारत में प्रत्यक्ष करों की शीर्ष संस्था केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड है। देश में अप्रत्यक्ष करों की शीर्ष संस्था कौन सी है?
-सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एण्ड कस्टम्स
3. भारतीय बैंकों में गोल्डन हैण्डशेक (वी.आर.एस.) योजना शुरु करने की सिफारिश किस समिति ने की थी?
- नरसिंहन समिति - द्वितीय (1998)
4. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव का कार्यकाल केन्द्र सरकार ने बढाकर कितना कर दिया है?
- सितम्बर 2013 तक
5. 115वां संविधान संशोधन विधेयक किस विषय से सम्बन्धित है?
गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स (जीएसटी)
6. भारत में विदेशी मुद्रा भण्डार किसकी निगरानी में रखे जाते हैं?
- भारतीय रिजर्व बैंक
7. भुगतान संतुलन शब्द का प्रयोग किसके सम्बन्ध में किया जाता है?
- आयात तथा निर्यात
8. 1,000 करोड रुपए की निधि से आरंभ की गई राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा निधि समाज के किस समूह के लिए सहायक सिद्ध होगी?
- असंगठित क्षेत्र के कामगार
9. करेंसी एण्ड फाइनेंस नामक वार्षिक रिपोर्ट हर वर्ष कौन सा संगठन प्रकाशित करता है?
- भारतीय रिजर्व बैंक
.....अधिक प्रश्नों के लिए पढें जोश मंथली मैग्जीन

जानें सफलता की एबीसी


इन दिनों युवाओं के पास कॅरियर के अनेक विकल्प मौजूद हैं, लेकिन अधिक विकल्प होने के बावजूद नौकरी आसानी से नहीं मिल रही है। इसका प्रमुख कारण यह है कि सभी अच्छी तैयारी करके परीक्षा देते हैं और सीमित सीट होने के कारण जो सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं, उनका ही चयन होता है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर कुछ बातों को ध्यान में रखकर किसी भी परीक्षा की तैयारी करते हैं, तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।


पहले लक्ष्य का करें निर्धारण
अक्सर स्टूडेंट्स को अपना लक्ष्य ही पता नहीं होता है और सभी तरह की परीक्षा देता रहता है। इसका परिणाम यह होता है कि वह कई परीक्षा में बिना तैयारी के जाता है और योग्यता होने के बावजूद असफल होने के बाद डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। अगर आपको जीवन में सफल होना है, तो सबसे पहले अपना लक्ष्य निर्धारित करें कि आप करना क्या चाहते हैं? लक्ष्य निर्धारित करते समय अपनी रुचि और क्षमता का विशेष ध्यान रखें। आप पहले यह आश्वस्त हो लें कि आप लॉन्ग टर्म पढाई करना चाहते हैं अथवा कुछ वर्षो के लिए। इस समय युवाओं के पास इस तरह के कई विकल्प हैं। एक बार लक्ष्य निर्धारित हो जाने के बाद उसे प्राप्त करने में आसानी होती है और व्यक्ति अपना सर्वस्व लगा देता है।
ऊंची छलांग लगाने की जरूरत
किसी भी उपलब्धि को पाने के लिए आपको ऊंची छलांग लगाने की जरूरत पडती है। हो सकता है कि आप दुनिया के सबसे तेज व प्रतिभाशाली व्यक्ति न हों, किंतु लगातार मेहनत करें तो सफलता किसी भी कीमत पर आपकी होगी।
विशेषज्ञों के अनुसार इस दुनिया में हमारी जीत निरंतर प्रयत्नशीलता पर ही टिकी है। सफलता एक निरंतर चलने वाला अभ्यास है। अगर आप अपनी कमियों को पहचानते हुए उसे निरंतर सुधारते चलेंगे तो आप किसी भी परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
करेंट से रहें अवगत
आजकल की सभी परीक्षाओं में करेंट से संबंधित प्रश्नों की संख्या काफी होती है। इस कारण इसे इग्नोर नहीं किया जा सकता है। अगर आपको प्रतियोगी परीक्षा में सफल होना है, तो आप नियमित दो घंटे करेंट की तैयारी पर दें। इसे आप दिनचर्या में शामिल करें। आप अखबार पढने के साथ ही न्यूज चैनल अवश्य देखें। इसके साथ ही बाजार में करेंट अफेयर्स से संबंधित कई पुस्तक उपलब्ध हैं। आप कोई एक पुस्तक नियमित पढें। अगर आप इस तरह की रणनीति अपनाते हैं, तो आपकी तैयारी कुछ महीनों में ही बेहतर हो जाएगी और आप औरों के मुकाबले अच्छी स्थिति में होंगे।
टाइम मैनेजमेंट है आवश्यक
अगर आप ऑब्जेक्टिव टाइप की परीक्षा दे रहे हैं, तो आपके लिए टाइम मैनेजमेंट अहम है। इसके अभाव में आप किसी भी परीक्षा में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते हैं। यह एक दिन में संभव नहीं है। यह तभी संभव है, जब आप इसका अभ्यास करते हैं। आपके लिए बेहतर होगा कि आप जिस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं सिलेबस के अनुरूप पहले उसकी तैयारी करें और तैयारी हो जाने के बाद पिछले दस वर्षो के प्रश्नों को लेकर निर्धारित समय सीमा के अंदर खूब अभ्यास करें। पिछली परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का अभ्यास करने से आपको परीक्षा पैटर्न के बारे में जानकारी बढेगी और समय रहते अपनी कमियों को जानने का अवसर भी मिलेगा। विशेषज्ञों के अनुसार अगर आप अपनी कमजोरियों को जानकर समय रहते उसे दूर कर लेते हैं और परीक्षा देते हैं, तो सफलता के चांसेज काफी बढ जाते हैं। बेहतर स्ट्रेटेजी यह है कि आप सबसे पहले उन्हीं प्रश्नों को हल करें, जिन्हें अच्छी तरह से जानते हैं।
रणनीति पर अमल जरूरी
सिर्फ अपनी कमियों को जानने और प्लानिंग बना लेने से ही परीक्षा में सफलता नहीं मिलती है। यदि इस तरह की बातें होती तो काफी संख्या में लोग सफल हो जाते। सफलता प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि आप योजना के अनुरूप अपनी पढाई करें और इस दौरान जो भी कमियां रह जाती हैं, उन्हें समय-समय पर दूर करते चलें। इस बात का ध्यान रखें कि किसी को भी सफलता अनायास नहीं मिलती है। सफलता प्राप्त करने के लिए उसे कठिन परिश्रम करना पडता हैं और अपना सर्वस्व झोंकना पडता है। अगर आप किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सौ फीसदी देते हैं, तो कोई कारण नहीं कि आपको सफलता न मिले।
अपनाएं एबीसी फॉर्मूला
एबीसी यानी कि एबिलिटी, ब्रेक और करेज । ये तीन बातें सफलता के लिए जरूरी है। अगर आप परीक्षा में सफल होना चाहते हैं तो सबसे पहले खुद को पहचानिए कि आप क्या कर सकते हैं। अधिकतर स्टूडेंट्स अपनी साम‌र्थ्य को देखे बिना दोस्तों को देखकर अपना लक्ष्य बना लेते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि वह दोस्तों के साथ कुछ देर चलने के बाद ही थक जाता है। परिणामस्वरूप असफल हो जाता है। कहने का आशय यह है कि आप अपना लक्ष्य खुद अपनी क्षमताओं को परखकर चुनेंगे तो सफलता का चांसेज बढ जाता है। पढाई के बाद ब्रेक भी जरूरी होता है। अगर आप सिर्फ पढाई ही करेंगे तो आप बीमार पड सकते हैं। बेहतर यह होगा कि आप पढाई के दौरान ब्रेक लेते रहें। इससे क्वालिटी पढाई भी हो जाएगी और आपका स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। याद रखें कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। इस कारण इसे इग्नोर न करें। अंत में साहस का भी सफलता में महत्वपूर्ण रोल होता है। अगर किसी कारणवश आप अपनी योजना पर अमल नहीं कर पा रहे हैं या आपको बार-बार असफलता मिल रही है, तो इस समय आपका साहस ही संबल का काम करेगा। आप साहस के बल पर कठिन चुनौतियों का सामना करें और बेहतर परिस्थिति लाने के लिए कठिन परिश्रम करें। अगर इस तरह की मानसिकता है, तो आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफल हो सकते हैं।

आईएएस कम मेहनत से पाएं बेहतर स्कोर


सिविल सेवा परीक्षा में काफी स्टूडेंट्स मुख्य परीक्षा के लिए चयनित होते हैं, लेकिन इनमें से कुछ स्टूडेंट्स ही इंटरव्यू के लिए क्वालीफाई कर पाते हैं। यदि आप भी इसकी तैयारी में जुटे हैं और प्रारंभिक परीक्षा के प्रति आश्वस्त हैं, तो आप इस परीक्षा में पूछे जानेवाले विषयों से अवगत हों। मुख्य परीक्षा में निबंध अनिवार्य विषय है। यहां निबंध 200 अंकों का होता है।
प्रश्नों के अनुरूप करें तैयारी
मुख्य परीक्षा के निबंध के प्रश्नपत्र में छ: निबंध दिए जाते हैं। इनमें से किसी एक पर तीन घंटे की अवधि में लिखना होता है। आदर्श निबंध लगभग 1800-2000 शब्दों में लिखना चाहिए।
पहले ही तय कर लें टॉपिक
निबंध में बेहतर अंक के लिए पहले निबंध के विषय क्षेत्र को चयनित करना जरूरी है। यदि आप परीक्षा में पूछे गए निबंध को देखेंगे, तो सामान्य तौर पर निबंध के क्षेत्र महिला विषय से संबंधित, साहित्य क्षेत्र, विज्ञान व प्रौद्योगिकी विषयों से संबंधित, समकालीन मुद्दों आदि से संबंधित तथा एक निबंध जीवन-जगत के दार्शनिक पहलुओं से संबद्ध उच्च चिंतन का होता है। बेहतर होगा कि आप पहले ही अपनी रुचि के अनुरूप एक विषय को चुन लें और उसी से संबंधित तैयारी पर फोकस करें।
व्यवस्थित और तर्कपूर्ण लिखें
इस पेपर का मकसद आपकी सोच, भाषा-शैली और सहज अभिव्यक्ति को परखना है। आप जिस विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं, उससे संबंधित मैटेरियल एकत्रित कर लें। जहां भी एनालिटिकल और महत्वपूर्ण लेख मिले उसे अवश्य पढें और महत्वपूर्ण सेंटेंस और वक्तव्य को डायरी में नोट करते चलें। निबंध में लेखन क्रमबद्ध, संक्षिप्त एवं मौलिक होना चाहिए। उत्तर लिखते समय प्रश्न के सभी पहलुओं का ध्यान रखें, क्योंकि अगर कोई भी पहलू छूट गया, तो उत्तर अधूरा माना जाएगा। बेहतर होगा कि उत्तर लिखने से पहले ही इसका एक खाका अपने दिमाग में या फिर रफ पेपर पर बना लें, जिसमें बिंदुओं के रूप में उन बातों को लिख लें, जिन्हें अपने उत्तर में शामिल करना है। निबंध लिखने के बाद अपने उत्तरों पर पुन: एक नजर डालें, ताकि कोई गलती न रह जाए। इसके अलावा आवश्यक बिंदुओं को हाईलाइटर या स्केच पेन से रेखांकित भी कर दें।

आईएएस मेन्स सेमीफाइनल की सटीक तैयारी

आईएएस बनने का सपना सभी स्टूडेंट्स देखते हैं, लेकिन तैयारी के बावजूद इस परीक्षा में चंद लोग ही सफल हो पाते हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि तमाम ग्लैरमस कॅरियर के बीच आज भी अधिकांश युवकों का सपना आईएएस, आईपीएस या आईएफएस बनने का होता है। अगर पिछली परीक्षा के टॉप टेन में शामिल अभ्यर्थियों को देखें, तो अधिकांश अभ्यर्थी अपने-अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं, लेकिन इसके बावजूद वे भी इस क्षेत्र के क्रेज से बच नहीं पाए। सभी क्षेत्रों के लोगों के आने से यह परीक्षा अत्यंत कठिन हो जाती है। अगर आप भी प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं और मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुटे हैं, तो आपके लिए अब बहुत कम समय बचा है। परीक्षा 5 अक्टूबर से शुरू है। अगर इस बचे हुए समय का सही सदुपयोग करते हैं, तो आपकी तैयारी औरों से अलग हो सकती है और बेहतर प्रदर्शन करके कामयाबी की नई इबारत लिख सकते हैं।


हर पल है महत्वपूर्ण
इस परीक्षा में सफल स्टूडेंट्स का मानना है कि मुख्य परीक्षा में आप प्रभावी प्रदर्शन तभी कर पाएंगे, जब बचे हुए समय का सही सदुपयोग करेंगे। इस समय नए टॉपिक्स पढने से बचें और जो अभी तक पढे हैं, उसका खूब रीविजन करें। रीविजन ही सफलता की कुंजी है। इसके अलावा आप सबसे पहले इस परीक्षा में पूछे जानेवाले विषयों की एक सूची बना लें और अपनी तैयारी की योजना इसी के अनुरूप करें। अगर आपको लगता है कि आपके जीएस पेपर में कुछ कमी रह गई है, जिसे दो दिनों में कंप्लीट किया जा सकता है, तो आपके लिए बेहतर होगा कि आप सबसे पहले जीएस पेपर की तैयारी में जुट जाएं। उसके बाद ही अन्य पेपर पर ध्यान दें। इस तरह की योजना आपको खुद बनानी होगी और खुद उस पर अमल भी करना होगा। अगर आप इस तरह की योजना हर विषय के साथ बनाते हैं, तो आप अपने बचे हुए समय का सही सदुपयोग करने में सफल हो सकते हैं।
गैप को ध्यान में रखकर करें तैयारी
सफल लोग कोई अलग काम नहीं करते हैं, बल्कि हर काम अलग ढंग से करते हैं। अगर आपको मुख्य परीक्षा में बेहतर स्कोर करना है, तो आपको भीड से अलग होने के लिए कुछ अलग सोचना होगा। आप सबसे पहले यह देखें कि आपका ऑप्शनल विषय कब है। अक्सर देखा जाता है कि दो ऑप्शनल विषयों के बीच काफी दिनों का गैप होता है। अगर आपके साथ भी इस तरह की स्थिति है, तो बेहतर होगा कि आप अपने विषयों की तैयारी इस बचे हुए समय के लिए रख दें और इस बचे हुए समय का सदुपयोग अन्य कमजोर विषयों के रीविजन करें। इससे आपको अन्य विषयों की तैयारी के लिए कुछ अतिरिक्त समय मिल जाएगा।
समय प्रबंधन है अहम
सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में अपनी सफलता सुनिश्चित करनी है, तो सभी प्रश्नपत्रों पर बराबर ध्यान दें। ऐसा न हो कि एक पेपर पर आप खूब मेहनत करें और दूसरे पर कम ध्यान दें। यदि आप सभी प्रश्नपत्रों में अधिकाधिक अंक हासिल करेंगे, तो सिविल सेवा में आपका चयन काफी हद तक सुनिश्चित हो जाएगा। मुख्य परीक्षा के कुल 2000 अंकों में से यह आप पर निर्भर करता है कि आप इसमें से कितने अंक बटोर पाते हैं। आप मुख्य परीक्षा में जितने ज्यादा अंक पाएंगे, उससे न केवल इस परीक्षा में आपकी सफलता पक्की होगी, बल्कि आप मेरिट लिस्ट में ऊपरी स्थान पाकर आईएएस, आईपीएस, आईएफएस या समकक्ष कैडर के अधिकारी बन सकेंगे।
अनिवार्य विषय पर दें ध्यान
आईएएस की तैयारी करनेवाले अधिकांश अभ्यर्थी जनरल इंग्लिश और सामान्य हिंदी की तैयारी के प्रति गंभीर नहीं होते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि बाद में उन्हें अनेक तरह की परेशानियों का सामना करना पडता है और समयाभाव के कारण अंतिम समय में अपनी रणनीति और भाग्य को कोसते हैं। यूपीएससी की परीक्षा में सभी विषयों का समान महत्व होता है। आप किसी भी विषय को छोडकर आगे नहीं बढ सकते हैं। यदि आप इसमें क्वालीफाइंग मा‌र्क्स लाने में सफल होंगे, तभी अन्य विषयों का मूल्यांकन किया जाएगा। इस कारण इसे हल्के में लेने की भूल कभी न करें। आपके लिए सबसे बेहतर रास्ता यह है कि क्वालीफाइंग नेचर के जनरल इंग्लिश और सामान्य हिन्दी के प्रति कतई लापरवाही न बरतें और इसकी भी तैयारी अच्छी तरह से करें।
साइंटिफिक सोच जरूरी
मुख्य परीक्षा में सफल कई टॉपर्स का मानना है कि कुछ स्टूडेंट्स यह सोचते हैं कि निबंध में थोडी तैयारी करके अच्छे अंक प्राप्त किए जा सकते हैं। इस तरह की बातें ठीक नहीं हैं। निबंध में आप बेहतर अंक तभी ला सकते हैं, जब आप साइंटिफिक तरीके से इसकी तैयारी करते हैं। ल्ल फोकस्ड हैं तो बेहतर है- बेहतर और आदर्श स्थिति यह होगी कि पहले से ही एक क्षेत्र निर्धारित कर लें कि मुझे इन्हीं क्षेत्रों से रिलेटेड प्रश्नों का उत्तर लिखना है। उदाहरण के लिए यदि आप पहले से यह निर्धारित कर लेते हैं कि मुझे राजनीति से संबंधित क्षेत्रों पर ही निबंध लिखना है, तो आपके लिए बेहतर स्थिति होगी और आप तैयारी को भी अंतिम रूप देने में सफल होंगे। ल्ल घडी पर रखें नजर- इस परीक्षा में निबंध का एक अनिवार्य पेपर होता है, जिसमें तीन घंटे में किसी एक विषय पर निबंध लिखना होता है। इस समय में आप सूझ-बूझ के साथ व्यवस्थित और तर्कपूर्ण ढंग से लिखें।
प्रैक्टिस का नहीं है?
जोड- इस पेपर का मकसद आपकी सोच, भाषा-शैली और सहज अभिव्यक्ति क्षमता को परखना होता है। इसके लिए खूब प्रैक्टिस करें। इसके अतिरिक्त यदि आपके आस-पास कोई ऐसा मित्र या परिचित है, जो इस परीक्षा में पहले सफलता हासिल कर चुका है, तो उससे मशविरा लेकर तैयारी की स्ट्रेटेजी बना सकते हैं।
चुनें क्वालिटी स्टडी मैटीरियल- आप अपने विषय से संबंधित टॉपिक्स भी पढ सकते हैं और महत्वपूर्ण टॉपिक्स को नोट भी कर सकते हैं। इन दिनों बाजार में सिविल सेवा की परीक्षा से संबंधित कई मैग्जीन्स आ रही हैं, जिसमें विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के लेख छपे होते हैं। आप इसे अवश्य पढें और खुद को हमेशा अपडेट करते रहें।
लेखन क्षमता से बनेगी बात- आईएएस परीक्षा की तैयारी में लगे छात्रों की एक आम समस्या होती है कि वे पढते तो खूब हैं, लेकिन लेखन अभ्यास में कमी के चलते निबंध जैसे प्रश्नपत्रों में खासी मुश्किलों का सामना करते हैं। लिहाजा उन्हें विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि लगातार लिखने का अभ्यास करें। अपने विचारों के उतावलेपन को संतुलन की बाढ में बांधने के लिए किया गया यह लेखन अभ्यास बहुत काम आएगा। इसके अलावा माना भी जाता है?कि निबंध लेखन एक अनवरत प्रक्रिया है?इसमें आपकी शली, भाषा पर पकड, नजरिया, तथ्य व उनके श्चोत सभी की जांच की जाती है। अतएव अभी से इन चीजों पर नियंत्रण के लिए अभ्यास शुरू कर दें।
सभी विषयों में चुनें कोर एरिया
इस परीक्षा में सफल सभी स्टूडेंट्स का यही मानना है कि आप इस परीक्षा में सफलता तभी प्राप्त कर सकते हैं, जब आप सिलेबस के अनुरूप पूरी तैयारी करेंगे।
तय करें प्राथमिकताएं- आईएएस परीक्षा में अब बहुत कम वक्त बचा है। इस बचे हुए समय में पूरे सिलेबस की तैयारी संभव नहीं है। इसलिए बेहतर तैयारी करने की रणनीति यही है कि आप इस समय उन्हीं क्षेत्रों, टॉपिक्स अथवा अध्यायों पर फोकस करें, जिससे पिछले पांच वषरें में सर्वाधिक प्रश्न पूछे जा रहे हैं।
नोट्स पर करें भरोसा- कम समय में पुख्ता तैयारी का सबसे अच्छा जरिया आपके बनाए नोट्स होते हैं। यह हम नहीं बल्कि विशेषज्ञ कहते हैं। इस लिहाज से तैयारी के इस मोड पर बेहतर होगा कि आप किताबों के ढेर में उलझने के बजाय साल भर की मेहनत से तैयार किए गए नोट्स पर ध्यान दें।
लास्ट मिनिट्स टच है महत्वपूर्ण- आप कितना ही अध्ययन क्यों न कर लें, लेकिन आईएएस जैसे विषद पाठ्यक्रम में अंतिम समय में कुछ न कुछ महत्वपूर्ण छूट ही जाता है। लिहाजा अच्छा होगा कि आप तैयारी को अंतिम रूप देते समय कुछ बैकअप टाइम भी रखें। इस समय का उपयोग आप सरसरी तौर पर अब तक छूट रहीं चीजों पर निगाह डालने के लिए कर सकते हैं।
कायदे मुख्य परीक्षा के
मुख्य परीक्षा निबंधात्मक प्रकृति की परीक्षा है, जिसमें अनिवार्य और वैकल्पिक विषय मिलाकर कुल नौ विषयों की परीक्षा देनी होती है। सामान्य हिन्दी (या कोई अन्य भारतीय भाषा) और सामान्य अंग्रेजी के अनिवार्य पेपर (दोनों 300-300 अंक के) केवल क्वालीफाइंग नेचर के होते हैं, यानी इसमें केवल आयोग द्वारा निर्धारित न्यूनतम अर्हक अंक पाना होता है। इसके अंक मेरिट लिस्ट बनाते समय नहीं जोडे जाते। इसके बाद अनिवार्य विषय के तहत निबंध का प्रश्नपत्र (200 अंक का) और सामान्य अध्ययन के दो प्रश्नपत्र (प्रत्येक 300 अंक का) तथा अभ्यर्थी द्वारा चुने गए दो वैकल्पिक विषयों के दो-दो प्रश्नपत्र (प्रत्येक प्रश्नपत्र 300 अंक का) शामिल होते हैं।
उत्तर लिखने का करें अभ्यास
इस परीक्षा में असफल होनेवाले स्टूडेंट्स की मानें तो आपकी तैयारी अगर अच्छी है, लेकिन आपने लिखने की प्रैक्टिस नहीं की है, तो विषय की अच्छी जानकारी होने के बावजूद सफलता नहीं मिल सकती है।
तथ्य परक उत्तरों से ही मिलेंगे अंक
इस परीक्षा में बेहतर और सटीक उत्तर लिखने पर ही मा‌र्क्स दिए जाते हैं। मुख्य परीक्षा की प्रकृति निबंधात्मक होती है। इसमें जीएस और ऑप्शनल पेपर के आंसर निर्धारित शब्दों में लिखने होते हैं, इसलिए यहां पन्ना भरू शली से बचें।
शब्द सीमा का रखें ख्याल
जो उत्तर जितने शब्दों में मांगे जा रहे हैं, उसे उतनी ही शब्दों में टू दी प्वाइंट लिखने का अभ्यास अभी से करें। कुछ स्टूडेंट्स इसका पालन नहीं करते हैं, उसके साथ समस्या यह होती है कि अधिक उत्तर लिखने के सिलसिले में वह अन्य प्रश्नों को जानकर भी समयाभाव के कारण नहीं लिख पाते हैं।
गत प्रश्न पत्रों को बनाएं आधार
चयनात्मक अध्ययन के लिए पिछले वर्षो के प्रश्नपत्रों के आधार पर अपने ऑप्शनल विषयों के प्रश्न गेस करें और उनके आदर्श उत्तर तैयार करें। परीक्षा में एक प्रश्न से जुडे उप-प्रश्न भी होते हैं, इसलिए गेस किए गए प्रश्नों के उत्तर तैयार करते समय इससे संबंधित सभी पहलुओं का भी ध्यान रखें।
लिखें संतुलित
याद रखिए आईएएस परीक्षा में लिखे गए आपके हर शब्द से आपकी विचारधारा, व्यक्तित्व का पता चलता है। ऐसे में किसी खास नीति, पक्ष की ओर दिखाया गया झुकाव आपके लिए यहां घातक साबित हो सकता है। इसलिए उत्तर लिखने में संतुलित दृष्टि अपनाएं और अपने लिखे हुए हर शब्द की कीमत पहचानें।
आईएएस ही क्यों?
कॅरियर कई हैं, लेकिन प्रशासनिक सेवा की बात ही कुछ और है। देश सेवा, व्यवस्था परिवर्तन क कुंजी, रुतबा कुछ ऐसी चीजें हैं, जो भारतीय प्रशासनिक सेवाओं को भविष्य के दूसरे विकल्पों से बहुत आगे रखती हैं..
आखिर क्या बात है भारतीय प्रशासनिक सेवा में कि सालों बाद भी उसके लिए युवाओं की ललक जस की तस है। ऐसा नहीं है कि इन युवाओं के पास चमचमाते विकल्पों या फिर बेहतर सेलरी वाले कॅरियर्स की कमी है। बावजूद इसकेवे इन चमचमाती च्वाइसेज को प्रशासनिक सेवाओं के लिए दरकिनार कर रहे हैं। आज देश के कोने-कोने में सालों, दिन रात एक करके परीक्षा की तैयार करते युवा आईएएस की लोकप्रियता की कहानी कहते हैं।
पहचान बनाने का मौका- आज हर आदमी खुद की पहचान बनाने में लगा है। इसके लिए वे अपने स्तर पर प्रयास भी करते हैं और इस जद्दोजहद में दूसरों से कुछ हटकर करने क कोशिश में वे अपनी पहचान बना भी लेते हैं लेकिन कम ही होता है कि उनकी पहचान देश में बदलावों से जोडकर देखी जाती है। आईएएस परीक्षा एक ऐसा ही माध्यम है? जो आपको अलग पहचान बनाने के साथ देश में परिवर्तनों का वाहक बनने का अवसर भी देती है।
प्राइवेट सेक्टर से है अलहदा- तमाम विकल्पों के बीच आज भी इस क्षेत्र का रुतबा कुछ ऐसा है कि हर साल लाखों छात्र यहां खुद को आजमाते हैं। वे विफल हो या सफल हो यह अलग मुद्दा है? लेकिन परीक्षा में उनकी बडे स्तर पर हिस्सेदारी सिविल सर्विस के महत्व को बयां करने के लिए काफी है।
राष्ट्र निर्माण में अगुआ- स्वयं संविधान, आदर्श प्रशासन की संकल्पना में सिविल सर्विस के महत्व को रेखांकित करते हुए देश की पोर-पोर में व्यवस्था बहाली की कुंजी प्रशासनिक अधिकारियों को देता है। विकास की कोई भी परियोजना हो, जनकल्याण का कैसा भी मसौदा हो, प्राकृतिक आपदा के कितने भी कठिन क्षण हों, पहली प्रतिक्रिया प्रशासन की ओर से ही आती है। ऐसे में कहा जाए कि देश के विकास के ककहरे की शुरुआत सक्षम प्रशासन से होती है तो अतिशयोक्ति नहीं है।
मिलेगा आत्मसंतोष- आपने अपने बचपन में अपने आस-पास मुसीबतग्रस्त लोगों को देखा होगा। कई बार आपका दिल भी उनके दर्द को देखकर भर आया होगा। पर सवाल यही बाकी रहा कि उनकी दिक्कतें दूर कैसे की जाएं? भारतीय प्रशासनिक सेवा अब तक आपके मन के कोने में पल रहे इस प्रश्न का वाजिब हल है। यहां काम करते हुए आप अपने समूचे अधिकारों का इस्तेमाल देशवासियों के कष्ट, उनकी रोजाना की परेशानियों को हल करने में कर सकते हैं। यहां अपने काम से मिले संतोष का कोई?मुकाबला नहीं है।

Job Profiles in IB

Intelligence Bureau (IB)
India's Central Intelligence Bureau (IB) is reputed to be the oldest intelligence agency in the world. In the past it was tasked with all intelligence targeting but in recent times it has focused on internal security. The IB is officially under the Ministry of Home Affairs (MHA), but in practice the Director IB (DIB) is a member of the Joint Intelligenc

e Committee (JIC) and Steering Committee and has the authority to brief the Prime Minister should the need arise, but intelligence inputs (at least in theory) go through the regular channels in the MHA to the JIC.

The collection mechanisms of the IB vary depending on the region, but the IB operates both at the state level and the national level. The bulk of the intelligence collection is carried out by `Grade II' employees of the IB, i.e. in increasing order of seniority; the Security Assistants (Constable), the Junior Intelligence Officers (Head Constable), the Asst. (Central) Intelligence Officer (Sub-Inspector), Deputy Central Intelligence Officers (Inspector), and Joint Central Intelligence Officers (Superintendent of Police). The `Class I'(gazette) officers carry out coordination and higher-level management the IB. These officers are (again in increasing order of seniority) Asst. Director, the Deputy Director, Joint Director, Addl. Director, Special Director or Special Secretary and finally the Director IB. Grade II officers are in part direct recruitment and officer deputed from state police forces, but Class I officers are mostly deputed from state services.

At the state level all IB officers are part of the State Special Bureau report to a Central Intelligence Officer (the intelligence advisor to the Governor). The IB maintains a large number of field units and headquarters (which are under the control of Joint or Deputy Directors). It is through these offices and the intricate process of deputation that a very `organic' linkage between the state police agencies and the IB is maintained. In addition to these at the national level the IB has several units (in some cases Subsidiary Intelligence Bureaus) to keep track of issues like terrorism, counter-intelligence, VIP security and threat assessment, and sensitive areas (i.e. J&K, North East Region (NER) etc...).

Wednesday 14 November 2012

PEON'S DAUGHTER MAKES IT TO IAS....


PEON'S DAUGHTER MAKES IT TO IAS....

Sandeep Kaur IAS
Rank 138

Sheer hard work and inspiration from an old TV serial have helped Sandeep Kaur, a peon's daughter, crack the tough civil services exam. And, as she says, she couldn't have done it without the rock solid support of her extended family.


Sandeep, 29, daughter of Ranjit Singh, a peon in the revenue department here, has given Punjab reasons to feel proud by attaining the 138rd rank in the open merit list of the All India Civil Services Examination.


"I am proud to be a peon's daughter and I want my father to complete his service with full dignity. I owe my success to my parents and god. Despite meager resources, my father provided the best facilities to me," Sandeep told


"I was very motivated after seeing the serial 'Udaan', the tale of a lower middle class girl who became an Indian Police Service officer."
Morinda town is around 35 km from state capitalChandigarh.
While recounting her difficult days, Sandeep, a civil engineer, said,


"After completing my engineering, I first wanted to do a job to become economically independent before starting preparations for IAS. But for two continuous years, I did not find any job, as there were very few opportunities for girls in the civil engineering sector.
"There was nobody to guide me and we did not have enough money to pay the hefty fees of coaching classes. Therefore, I made the first two attempts (2005 and 2006) without taking any formal coaching," she pointed out.
Thereafter, her father took a bank loan to fund the cost of coaching institutes.

She took coaching at Chandigarh, Patiala and New Delhi.
Despite her engineering background, she meticulously chose the subjects of sociology and Punjabi literature. In 2007, she missed the main exam by a whisker. She got 933 marks whereas the cut-off was 936.


"My extended family also supported me during the preparations. Every day at 4 am my cousin went to Kharar town to bring a copy of Hindu newspaper as we did not get it here.


"I have given preference to the Punjab cadre. I would certainly work against female foeticide and for the uplift of girls in the state," said Sandeep.
Since the declaration of results last week, Sandeep's house has been abuzz with mediapersons. Her family members are upbeat.
"We are from a small town of Punjab with very few resources but still my daughter has successfully cleared one of the most difficult exams of the country. The whole town is proud of her and I cannot express my feelings in words," a ;proud Amarjit Kaur, Sandeep's mother,told

"I wanted her to become an IAS officer since she was in Class 8 . But her strong determination helped her sail all the way," she said.
Gurpreet Singh, Sandeep's brother who is studying law, told IANS, "This time Sandeep was desperate to clear the exam as last time she had missed it by just three marks. During the prelimsshe studied for 18 hours and for the mains she increased it to over 20 hours. She had actually forgotten to sleep in pursuit of her dream. But my sister is still the same person. Reporters of many channels are coming to our house to interview her but she is very shy and afraid of facing the camera."
Gurpreet now wants to crack the exam himself."I will also start preparing for this exam under my sister's guidance."
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UPSC Examination Timetable for 2012


UPSC Examination Timetable for 2012

S.No.NAME OF EXAMINATIONDATE OF NOTIFICATIONLAST DATE FOR RECEIPT OF APPLICATIONSDATE OF COMMENCEMENT OF EXAMDURATION OF EXAM
1SCRA Exam, 201222.10.201121.11.2011
(MONDAY)
29.01.2012
(SUNDAY)
 
1 DAY
2C.D.S. EXAM.(I), 201229.10.201128.11.2011
(MONDAY)
     12.02.2012        (SUNDAY)
 
1 DAY
3N.D.A. & N.A. EXAM.(I), 201231.12.201130.01.2012
(MONDAY)
15.04.2012
(SUNDAY)
 
1 DAY
4CIVIL SERVICES (PRELIMINARY) EXAM., 201204.02.201205.03.2012
(MONDAY)
20.05.2012
(SUNDAY)

 
1 DAY
5ENGINEERING SERVICES EXAMINATION, 201225.02.201226.03.2012
(MONDAY)
15.06.2012
(FRIDAY)
 
03 DAYS
6COMBINED MEDICAL SERVICES EXAM, 201203.03.201202.04.2012
(MONDAY)
17.06.2012
(SUNDAY)
 
1 DAY
7INDIAN FOREST SERVICE    EXAM, 201231.03.201230.04.2012
(MONDAY)
14.07.2012 (SATURDAY)
 
10 DAYS
8N.D.A. & N.A. EXAM.(II), 201205.05.201204.06.2012
(MONDAY)
19.08.2012  (SUNDAY)
 
1 DAY
9C.D.S. EXAM.(II), 201202.06.201202.07.2012
(MONDAY)
16.09.2012
(SUNDAY)
 
1 DAY
10CIVIL SERVICES (MAIN) EXAM., 2012    05.10.2012
(FRIDAY)
 
21 DAYS
11CENTRAL POLICE FORCES (AC) EXAM., 201228.07.201227.08.2012
(MONDAY)
11.11.2012
(SUNDAY)
 
1 DAY
12I.E.S./I.S.S. EXAM., 201218.08.201217.09.2012
(MONDAY)
01.12.2012 (SATURDAY)
 
3 DAYS
13GEOLOGISTS' EXAM., 201225.08.201224.09.2012
(MONDAY)
01.12.2012 (SATURDAY)
 
3 DAYS
14S.O./STENO (GD-B/GD-I) LTD. DEPTTL. COMPETITIVE EXAM.21.07.201217.09.2012
(MONDAY)
15.12.2012  (SATURDAY)4 DAYS