Monday 1 April 2013

आफ्टर 10+2




12वीं की परीक्षाएं खत्म होने के बाद भी चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। यदि आप भी 12वीं के बाद कॅरियर की आगामी दिशा और विभिन्न परीक्षाओं के बारे में पेशोपेश में हैं तो यहां दिए जा रहे विकल्प आपकी मदद कर सकते हैं.. कंपटीशन की खुली आजमाइश
एजूकेशन सिस्टम में 12वीं को एक बडा मील का पत्थर माना जाता है। इसकी रूपरेखा का निर्धारण ही कुछ इस प्रकार किया गया है कि छात्र आने वाले दौर में कॅरियर की कठिन चुनौतियों के लिए तैयार हो सकें। यही कारण है कि इसमें मैथ्स, बायो या फिर आ‌र्ट्स- सभी विषयों का स्तर काफी ऊंचा रखा जाता है और शायद इसी के चलते देश में होने वाली ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने की पात्रता की शर्त 12वीं पास होना होती है। इसमें उत्तीर्ण होने का मतलब है कि छात्र प्रतिस्पर्धा के नेक्स्ट लेवल पर जाने को तैयार है। केवल कंपटीशन ही क्यों, स्नातक स्तर पर जाने का पहला स्टैप भी12वीं हीं है। यदि आप भी इस पहले स्टैप को पार कर चुके हैं या फिर पार करने की तैयारी में हैं तो आपके सामने विकल्पों का पूरा संजाल है। किस तरफ जाना है और कैसे जाना है, यह आपको तय करना है।
अर्ली स्टार्ट, अर्ली रिजल्ट
कहा जाता है कि अर्ली स्टार्ट तभी काम आता है, जब उसको अंजाम तक पहुंचाने की एक ठोस योजना भी आपके पास हो। इन दिनों 10+2 के बाद छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिए कॅरियर में अर्ली स्टार्ट मिल रहा है, जहां वे कम उम्र में ही कॅरियर को मुकाम दे सकते हैं। आज वह दौर नहीं रहा, जिसमें छात्र पहले स्कूल, फिर कॉलेज की लंबी शक्षिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद कॅरियर के बारे में सोचा करते थे। इन दिनों इंजीनियरिंग से लेकर मेडिकल, डिफेंस, जर्नलिज्म व लॉ जैसे क्षेत्र 10+2 पासआउट स्टूडेंट्स के लिए अवसरों की खान साबित हो रहे हैं। आज इन कोर्स के जरिए सही मायने में उच्च गुणवत्ता वाले स्टूडेंट्स तैयार किए जा रहे हैं। कोर्स?पूरा करने के बाद बेहतरीन सैलरी पैकेज, सफल व्यावसायिक जिंदगी उम्मीदवारों का स्वागत करते हैं। लेकिन बडा प्रश्न है इनकी प्रवेश परीक्षाओं में चयन का। जवाब में विशेषज्ञों व आंकडों का निचोड कहता है कि अगर स्टूडेंट्स तैयारी के दौरान अपने जुझारू तेवर कायम रख सकें तो मुश्किल कुछ भी नहीं है।
इंजीनियरिंग- 0+2 (पीसीएम ग्रुप) से पास छात्रों के लिए इंजीनियरिंग आज भी सबसे पसंदीदा च्वाइस है। यहां हर वर्ष राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर इंजीनियरिंग परीक्षाओं का आयोजन होता है। इनमें क्वालीफाइड उम्मीदवारों को उनकी मेरिट के अनुसार इंजीनियरिंग कॉलेज आवंटित किए जाते हैं। यदि आप 12वीं मैथ्स ग्रुप के साथ तकनीकी मेधा से संपन्न हैं तो इंजीनियरिंग एक उम्दा राह हो सकती है।
डिजाइन में डेकोरेटिव क ॅरियर - अगर डिजाइन में रुचि है, तो आप बारहवीं के बाद इससे संबंधित कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। अमूमन डिजाइन संस्थान अंडरग्रेजुएट कोर्स ऑफर करते हैं, जिसके लिए एक प्रवेश परीक्षा होती है। अगर आप डिजाइन में कॅरियर को नई उडान देना चाहते हैं, तो आपके लिए बेहतर कॅरियर विकल्प है।
मेडिकल में कॅरियर का मरहम- 0+2 बायोस्ट्रीम के छात्रों के लिए मेडिकल परीक्षा सबसे बडा लक्ष्य होती है। मेडिकल परीक्षाओं में एआईपीएमटी, एम्स, बीएचयू सबसे अहम हैं। यही नहीं आ‌र्म्स फोर्स मेडिकल एंट्रेस एग्जाम, मनिपाल पीएमटी, डीयू मेडिकल टेस्ट के साथ-साथ ज्यादातर राज्य स्तर पर आयोजित होने वाली मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं भी स्टूडेंट्स के लिए महत्वपूर्ण पडाव साबित होती हैं। ज्यादातर मेडिकल परीक्षाओं का आयोजन अप्रैल व मई महीनों में होता है।
डिफेंस है डिपेंडेबल कॅरियर- 12वीं के बाद डिफेंस की राह चलने वालों के लिए अवसरों की कमी नहीं है। साल में दो बार आयोजित होने वाली एनडीए परीक्षा इन युवाओं का सबसे बडा लक्ष्य होता है, जिसमें सफल होकर आप तीनों ही सेनाओं में बतौर ऑफिसर काम कर सक ते हैं। जाहिर है जो रुतबा और देश के लिए कुछ करने की संतुष्टि यहां है, वह और कहीं नहीं। केवल एनडीए ही नहीं नेवी, एयरफोर्स, कोस्ट गा‌र्ड्स में भी टेक्निकल और नॉन टेक्निकल कैटेगिरी में 12वीं उत्तीर्ण कैंडिडेट्स को मौके मिलते हैं।
और भी हैं राहें- न्यायालयों को देश में व्यवस्था संचालन की रीढ कहा जाता है। यदि आप भी इस रीढ का हिस्सा बन देश को मजबूत करना चाहते हैं तो क्लैट यानि कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट एक सुनहरा अवसर है। इस टेस्ट का उपयोग देश के 14 नेशनल लॉ स्कूल/यूनिवर्सिटीज अपने अंडर ग्रेजुएट व पीजी प्रोग्रामों में प्रवेश के लिए करते हैं। इसके अलावा आप बारहवीं के बाद सीए, सीएस, आईसीडब्ल्यूएआई परीक्षा भी दे सकते हैं।
कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट
परीक्षा : 13 मई 2012
सीए, सीएस, आईसीडब्ल्यूएआई फाउंडेशन
परीक्षा : जून और दिसंबर
आईआईटी-जेईईई
परीक्षा : अप्रैल माह
एआईईईई
परीक्षा : 29 अप्रैल 2012
रेलवे एससीआरए
परीक्षा : जनवरी माह
एआईपीएमटी
परीक्षा : अप्रैल माह
एम्स एमबीबीएस
परीक्षा : जून 2012
आ‌र्म्ड फोर्स मेडिकल एग्जाम
परीक्षा : 6 मई
एनडीए एग्जाम
परीक्षा: 15 अप्रैल 2012
एयरफोर्स टेकिन्कल एग्जाम
आर्मी और नेवी एग्जाम
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ डिजाइन
परीक्षा : जनवरी माह
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी
परीक्षा: जनवरी माह
नेशनल एप्टीटयूड टेस्ट इन आर्किटेक्चर
परीक्षा: 15 मार्च, 2012
चुनो वही, जो हो सही
निर्णय लेना एक प्रक्रिया का हिस्सा है। अगर आप कुछ बातों को ध्यान में रखकर राह चुनेंगे, तो कामयाबी मिथक नहीं सच्चाई बन जाएगी..
12वीं कॅरियर की वह नाजुक डोर होती है, जिसके छूने भर से कॅरियर के पूरे खाके में झनझनाहट तय है। अब यह निर्भर क रता है कि आप इस डोर को छूकर कामयाबी का मधुर संगीत पैदा करते हैं या इसके टूट की वजह बनते हैं। वैसे भी आज का दौर उस जमाने जैसा नहीं रहा, जब कॅरियर निर्माण के कु छ गिने चुने ही रास्ते हुआ करते थे। आज रास्तों का पूरा संजाल फैल चुका है, लेकिन इससे एक नई समस्या छात्रों के समक्ष उठ खडी हुई है-समस्या सही विकल्प चुनने की। इस समस्या के बीच हम कुछ ऐसी चीजें दे रहे हैं, जिन्हें फॉलो करें तो 12वीं के बाद कई समस्याओं का हल निकल सकता है।
एरिया ऑफ इंट्रेस्ट- हम कक्षाएं तो पार करते रहते हैं, लेकिन न तो हमें और न ही हमारे अभिभावकों को पता रहता है कि आखिर हमारी रुचियां किस दिशा में हैं। इस कारण जरूरी है कि हम सबसे पहले अपनी रुचियों को समझें। इससे कॅरियर चयन में काफी आसानी होती है, क्योंकि हर इंसान का अपना ही व्यक्तित्व होता है जिसके अनुरूप वह अपने आस-पास की चीजों के प्रति एक खास रवैया रख पाने के काबिल होता है। आज की तारीख में 10+2 के बाद कॅरियर की कई च्वाइसेस इसी मानव व्यक्तित्व के इर्द गिर्द?घूमती हैं।
खूबी व कमजोरी जानो
मुक्केबाजी के खेल में अपर कट की अपनी ही अहमियत है, जिसमें विपक्षी मुक्केबाज सामने वाले के आंख के ऊपरी हिस्से पर चोट पहुंचाकर उसकी देखने की क्षमता को प्रभावित करता है। यदि मुक्केबाज अनुभवी है तो मुकाबले के दौरान अपने इस कमजोर पक्ष को प्रोटेक्ट करता है। कॅरियर के मुकाबले में भी यह रणनीति कारगर है।
स्किल्स का नहीं कोई अल्टरनेटिव- हर कंपनी चाहती है कि उसका इम्प्लॉई कंपनी के लिए अपना शत प्रतिशत दे। पर शत प्रतिशत दे पाना तभी संभव है, जब कर्मचारी अपने काम के साथ कुछ खास स्किल्स में भी निपुण हो। कम्यूनिकेशन स्किल्स, टेक्नोसेवी, भाषा पर अच्छी पकड, पर्सुएशन पावर, लीडरशिप, राइटिंग आदि ऐसी ही स्किल्स हैं। कॅरियर की लंबी यात्रा में अपनी सीट रिजर्व कराने के लिए इनमें से किसी एक स्किल्स में परफेक्ट होना जरूरी है।
कार्य की प्रकृति समझना अहम
देश की तेज इकोनॉमिक ग्रोथ ने संस्थानों की प्रकृति के साथ वहां के वर्क कल्चर को भी बदला है। इस कारण इनमें कार्य करने वालों के लिए संस्थानों की बदली प्रकृति के साथ खुद में परिवर्तन लाना भी जरूरी हो चला है। आज मीडिया से लेकर इंडस्ट्रियल यूनिट, मार्केटिंग तक सभी का नेचर ऑफ वर्क अलग-अलग है, जिनमें देर रात तक शिफ्ट, फील्ड वर्क जैसी चीजें आम हैं। यदि आप भी 12वीं बाद कॅरियर चुनते समय कार्य का नेचर समझेंगे तो बेहतर होगा।
वित्तीय साम‌र्थ्य- यह ठीक है कि एजूकेशन लोन व स्कॉलरशिप्स ने छात्रों की राहें आसान की हैं। खास कॅरियर विकल्प को चुनने से पहले अपनी व अपने परिवार की आर्थिक साम‌र्थ्य जरूर देखें। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें छात्रों ने एकाएक किसी कॅरियर के बारे में निर्णय लिया हो और बाद में संसाधनों की कमी के चलते उन्हें पीछे हटना पडा हो। पैरेंट्स से सलाह, कॅरियर कांउसलर से बातचीत इस बारे में आपकी राह आसान कर सकती है।
पहली पसंद एकेडमिक कोर्सेस
प्रोफेशनल कोर्स के बावजूद नामी कॉलेजों के एकेडमिक कोर्सेज में एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स कठिन मेहनत करते हैं। कुछ कॉलेजों में एडमिशन के लिए कट ऑफ सौ प्रतिशत तक पहुंच जाते हैं..
आज देश में कॅरियर बनाने के लिए तरह-तरह के कोर्स /शॉर्ट टर्म कोर्स उपलब्ध हैं, जिन्हें पूरा कर कॅरियर की श्योर गारंटी पाई जा सकती है। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि परंपरागत स्नातक/परास्नातक शिक्षा का केंद्र कहे जाने वाले डिग्री कॉलेज अप्रासांगिक हो गए हैं। सच तो यह है कि प्रोफेशनल कोर्सो से मिल रही चुनौती के चलते इन्होंने अपना रंग ढंग तेजी से बदला है, जिसके चलते इन कॉलेजों का आकर्षण बढा है। आज स्थिति यह है कि बेहतरीन माहौल, विश्व स्तरीय फैकल्टी और एक से बढकर एक संसाधनों से लैस इन कॉलेजों में दाखिला बहुतेरे छात्रों का ख्वाब होता है और यहां से ¨सपल डिग्री लेने के बाद ही अच्छी नौकरी मिल जाती है। ऐसे में हम यहां देश के कुछ प्रमुख कॉलेज दे रहे हैं, जिसकेबीए, बीएससी, बीकॉम जैसे कोर्सो की रंगत देश के साथ विदेश में भी देखी व महसूस की जा रही है।
श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स- दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले एसआरसीसी यानि श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स की साख देश में ही नहीं पूरी दुनिया में है। देश के कुछ सबसे बेहतरीन शक्षिक संस्थानों में शुमार होने वाला एसआरसीसी में दाखिले का मतलब ही है भीड से अलग।
स्थापना वर्ष-1926
प्रमुख कोर्स-कॉमर्स व इकोनॉमिक्स, एमबीए सेंट जेवियर कॉलेज, कोलकाता- कलकत्ता यूनिवर्सिटी से संबद्ध इस कॉलेज के अंडरग्रेजुएट प्रोगाम में दाखिला मिलना अपने आप में प्रतिष्ठा का विषय होता है। कई सर्वे में यह कॉलेज टॉप 10 की पोजीशन पर बरकरार है।साल 2006 से इसे स्वायत्त दर्जा हासिल है।
प्रमुख कोर्स-बीकॉम, बीएससी
स्थापना वर्ष-1860
हंसराज कॉलेज, नई दिल्ली- हंसराज कॉलेज की गिनती दिल्ली यूनिवर्सिटी के सबसे बडे कॉलेजों में होती है। यह कॉलेज डीयू के नॉर्थ कैंपस में आता है। यहां की फैकल्टी काफी अच्छी है और यहां से पढने के बाद कॅरियर के अनेक क्षेत्रों में आसानी से इंट्री कर सकते हैं।
स्थापना वर्ष-1948
प्रमुख कोर्स- साइंस, आ‌र्ट्स, कॉमर्स
हिंदू कॉलेज,नई दिल्ली- डीयू के अंतर्गत आने वाला हिंदू कॉलेज देश के सबसे पुराने व सम्मानित शक्षिक संस्थानों में शामिल है। इसमें अंडरग्रेजुएट, पीजी दोनों ही तरह के कोर्स ऑफर किए जाते हैं। पिछले कई सालों से लगातार इस कॉलेज की गिनती देश के शीर्ष एकेडमिक इंस्टीट्यूट्स में हो रही है।
स्थापना-1899
प्रमुख कोर्स-साइंस, कॉमर्स, ह्यूमेनटीज
लोयोला कॉलेज, चेन्नई- मद्रास यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाला लोयोला कॉलेज स्वायत्त संस्थान है। इस कॉलेज में बेहतरीन डिग्री कोर्स हैं। कोर्स की खासियत की बदौलत यहां देश ही नहीं विदेश से भी छात्र इसकी ओर खिंचे चले आते हैं।
स्थापना-1925
प्रमुख कोर्स- कॉमर्स, आ‌र्ट्स, नेचुरल सांइस, सोशल साइंस, लिबरल सांइस
सेंट स्टीफेंस कॉलेज, नई दिल्ली- आज की तारीख में स्टीफेनियन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। यह टर्म सेंट स्टीफेंस कॉलेज के छात्रों व पूर्व छात्र समुदाय के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आपको यहां से पास आउट ऐसे सैकडों स्टूडेंट्स मिल जाएंगे, जो अपने-अपने क्षेत्रों में सेलीब्रेटी का मुकाम रखते हैं। यह कालेज डीयू के नॉर्थ कैंपस में आता है।
स्थापना-1881
प्रमुख कोर्स- साइंस, लिबरल आर्ट (पीजी, यूजी)
प्रेसीडेंसी कॉलेज- राजा राम मोहन द्वारा स्थापित यह कॉलेज देश में नव सुधारों की दिशा में बहुत बडा कदम माना जाता है। आजादी पूर्व देश में स्वतंत्र विचार मंथन का श्चोत रहा यह कॉलेज आज युवा कॅरियर को ऊंची परवाज दे रहा है। अपनी स्थापना के समय इसे हिंदू कॉलेज के नाम से जाना जाता था।
स्थापना वर्ष- 1818
प्रमुख कोर्स- बीएससी(इकोनॉमिक्स), साइंस, नेचुरल सांइस, लैंग्वेज
जेआरसी टीम

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