Monday 1 April 2013

आईएएस: बदला पैटर्न, बदली चुनौती


संघ लोकसेवा आयोग ने इस साल से मुख्य परीक्षा में कई महत्वपूर्ण फेरबदल किए हैं। माना जा रहा है यूपीएससी की यह पहल पाठ्यक्रम को और ज्यादा व्यापक व प्रतिस्पर्धी बनाने में मददगार होगी। लेकिन इसके चलते मुख्य परीक्षा दे रहे तमाम उम्मीदवारों की तैयारियों पर बडा फर्क?पडेगा। उनमें से ज्यादातर को अपनी तैयारी का खाका नए सिरे से खींचना पड सकता है। इसमें सबसे ज्यादा समस्याएं उन छात्रों के समक्ष खडी होंगी जो एक से अधिक बार प्रारंभिक परीक्षा क्वालीफाई कर मुख्य परीक्षा में बैठ चुके हैं।
मुख्य परीक्षा के महत्वपूर्ण बदलाव
सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषयों की जीएस को अधिक महत्व दिया गया है। अब से मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषयों के 250-250 अंकों के कुल 500 अंकों के दो पेपर होंगे। जबकि पहले दो विषयों के 600-600 अंकों के कुल 1200 अंकों के चार प्रश्नपत्र हुआ करते थे। वैकल्पिक विषयों के दबाव को हल्का करने में आयोग की सोच ऐसे कैंडीडेट्स के चयन की है जो हर चीज की थोडी-थोडी जानकारी रखते हों।
जीएस हुआ निर्णायक
यूं तो सामान्य ज्ञान हमेशा से ही आईएएस परीक्षा में महत्वपूर्ण?भूमिका निभाता है। लेकिन पैटर्न?में बदलाव से इसकी भूमिका पहले से और बढ गई है। सिविल सेवा परीक्षा 2013 में सामान्य अध्ययन के चार अनिवार्य पेपर होंगे। इनमें से प्रत्येक 250 अंक का होगा। पहले जीएस में 300-300 अंकों के महज दो प्रश्न पत्र ही हुआ करते थे। बदलती वैश्विक जरूरतों के मुताबिक इसमें नैतिकता, अखंडता, अचारनीति, अभियोग्यता जैसी नई चीजें जोडी गई हैं।
अंग्रेजी बना स्कोरिंग सब्जेक्ट
परीक्षा पैटर्न में बदलावों से अंग्रेजी ज्ञान का महत्व बढा है। इसके जरिए अब मुख्य परीक्षा के प्रथम पेपर के दूसरे सेक्शन में इंग्लिश कॉम्प्रिहेंसन व इंग्लिश प्रेसी के 100 अंकों के प्रश्न अनिवार्य कर दिए गए हैं। पहले जहां इस सेक्शन को केवल क्वालीफांइग माना जाता था लेकिन अब से ये आपकी स्कोरिंग व मेरिट पर सीधा असर डालेगा। विशेषज्ञों की राय में अब तक अंगे्रजी में कामचलाऊ नॉलेज के जरिए क्वालीफाई?हो जाने वाले कैंडीडेट्स के समक्ष इस बदलाव से बडी चुनौती खडी हो गई है।
साक्षात्कार का भी बदला चेहरा
आयोग द्वारा मुख्य परीक्षा में फेरबदल की आयोग की पहल से साक्षात्कार पर भी प्रभाव पडा है। अब से साक्षात्कार पहले के 300 के बजाय केवल 275 अंकों का होगा।
बदला तैयारी का परिदृश्य
आईएएस मुख्य परीक्षा के पेपर में काफी फेरबदल किए गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अगर आप अपनी तैयारी नए सिरे से करते हैं तो आपकी तैयारी औरों से बेहतर हो सकती है। क्या हो नई रणनीति..
हालिया बदलावों के मद्देनजर सामान्य अध्ययन की महत्ता बढी है। लिहाजा आपको इसमें न केवल अपनी पकड बनानी होगी बल्कि अध्ययन की दृष्टि से इसमें व्यापकता भी लानी होगी। जिस तरह से सिलेबस में नई?सामाजिक-आर्थिक जरूरतों के चलते सहज योग्यता, नैतिकता, अखंडता जैसे विषय जोडे गए हैं, परीक्षार्थियों को इसके लिहाज से अपनी रणनीति तय करनी होगी। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि इस परीक्षा में जीएस का कद जिस तरह बढाया गया है अब वे ही कैंडीडेट्स सफलता का स्वाद चख सकेंगे जिन्होंने इसका गहन अध्ययन किया होगा।
इंग्लिश पर मजबूत पकड है अनिवार्य- भारतीय प्रशासनिक सेवा एक अखिल भारतीय परीक्षा है?जिसमें एक बार अंतिम रूप से चयनित हो जाने पर आपको देश के किसी भी हिस्से में पोस्टिंग के लिए तैयार रहना होता है। ऐसे में यदि इंग्लिश पर कमांड नहीं है तो काम के दौरान परेशानियों का सामना करना पड सकता है। शायद यही कारण है कि प्रथम पेपर के द्वितीय सेक्शन में अब इंग्लिश कंम्प्रिहेंशन, पैशेज राइटिंग जैसी चीजों को अनिवार्य बना दिया गया है और अब ये महज क्वालीफाइंग नहीं बल्कि मेरिट पर असर डालेंगी। हिंदी माध्यम से आने वाले उम्मीदवारों को इस क्षेत्र में तगडी मेहनत करनी होगी। स्तर हाईस्कूल का होगा। इस विषय की बल्क स्टडी नहीं बल्कि क्वालिटी स्टडी महत्वपूर्ण है।
वैकल्पिक विषयों के अध्ययन की नई रणनीति- इस बार वैकल्पिक विषयों का वेटेज कम किया गया है। इस कारण वे उम्मीदवार जिनकी परीक्षा की तैयारी अब तक वैकल्पिक विषयों के इर्द गिर्द घूमती थी, उन्हें अपनी तैयारियों का पुनरावलोकन करना होगा। और देखना होगा कि इन विषयों पर किया गया अतिरिक्त फोकस कहीं दूसरे सेक्शन के अध्ययन को तो प्रभावित नहीं कर रहा है।
सीसैट: जीत से कम कुछ नहीं
प्रतियोगी परीक्षाओं की दुनिया के सबसे बडे इम्तिहान आईएएस की प्रारंभिक परीक्षा आगामी 26 मई को है। चूंकि अब वक्त कम है और करने को बहुत कुछ है? इसलिए आवश्यक है कि जल्द से जल्द 2011 से बदले सीसैट पैटर्न?के अनुरूप अपनी तैयारियों को अंतिम रूपरेखा दी जाए।
विशेषज्ञ मानते हैं कि नए पैटर्न के आ जाने से छात्रों की परेशानी कम हो रही है बल्कि अब छात्र कम प्रयास में ही सेलेक्टिव अध्ययन में ही प्रिलिम्स क्वालीफाई कर रहे हैं। जबकि पहले विषय पर पकड बनाने में ही उनकी अधिकांश ऊर्जा खप जाती थी। अन्य लिहाज से देखें तो सीसैट के सेकेंड पेपर में पूछी जाने वाली ज्यादातर चीजें जैसे न्यूमेरिक्स, कॉम्प्रिहेंसन, जनरल सांइस, इंग्लिश, लॉजिकल रीजिनिंग अमूमन सभी परीक्षाओं में आम होती हैं। लिहाजा लगातार प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हो रहे छात्रों के लिए प्रिलिम्स का लाल बुझक्कड समझना कठिन नहीं रहा।
इंडियन हिस्ट्री- इसके अध्ययन हेतु 11वीं, 12वीं, एनसीईआरटी, सुमित सरकार विपिन चंदा, स्पेक्ट्रम ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ इंडिया पुस्तकें उल्लेखनीय हैं।
इंडियन पॉलिटी एंड गवर्नेस- इसकेअंतर्गत राज्य व्यवस्था, पंचायती राज्य, संविधान आदि से प्रश्न पूछे जाते हैं। बेहतर अंक के लिए सुभाष कश्यप (अवर कॉन्स्टीट्यूशन), डीडी बसु (कॉन्स्टीट्यूशन ऑफ इंडिया) लक्ष्मीकांत (इंडियन पॉलिटी) उपयोगी हैं।
जनरल साइंस- इस पेपर में बेहतर करने के लिए हिंदू संाइस सप्लीमेंट, विजार्ड स्पेशल सप्लीमेंट फॉर सांइस का अध्ययन अनुशंसित है।
इकोनॉमिक एंड सोशल डेवलेपमेंट- इसमें अच्छे अंक के लिए बजट, इकोनॉमी सर्वे, सोशल सेक्टर स्पेंडिंग, डब्लूटीओ टर्मनेलॉजी, फॉरेन इंवेस्टमेंट, सरकारी नीतियों का अध्ययन करें। योजना, कुरुक्षेत्र, दत्त व सुंदरम की इकोनॉमी हिंदू इकोनॉमिक सर्वे, बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार आपकी राह सुगम बना सकते हैं। भारत व विश्व का भूगोल- ज्योग्राफी में प्रमुख नदियां, पर्वत, पत्तन, वायुमार्ग, फिजिकल ज्योग्राफी के प्रश्नों की संख्या ज्यादा रहती है। अध्ययन के लिहाज से जीसी लिओंग की सर्टिफिकेट फिजिकल एड ह्यूमन ज्याोग्राफी, इंडिया ईयर बुक को वरीयता दें।
करेंट अफेयर्स- इसके पूर्ण अध्ययन के लिए एक राष्ट्रीय स्तर के अखबार, उसके संपादकीय का गहन व नियमित अध्ययन इस प्रभाग से पार पाने का सबसे पुख्ता जरिया है। इस दौरान जागरण ईयर बुक के साथ आसपास घटने वाली घटनाओं से भी अपडेट रहें।
द्वितीय पेपर की तैयारी
कॉम्प्रिहेंसन
कॉम्प्रिहेंसन हिंदी व इंग्लिश दोनों में ही पूछे जाते हैं। तैयारी के दौरान यदि आप नियमित हिंदी इंग्लिश अखबार का अध्ययन करते आएं हैं तो यहां बेहतर करने की खूब गुंजाइश है। विशेषज्ञों का मानना है कि पैसेज हल करने के पूर्व उसे दो से तीन बार पढें, पैसेज को कथानक के रूप में दिमाग में बैठाने की कोशिश करें। अध्ययन के लिए हाईस्कूल स्तर क ी किताबें सही रहेंगी।
इंटरपर्सनल स्किल्स
कैंडीडेट्स की क म्यू-निकेशन क्षमताओं को परखने के लिए इंटरपर्सनल स्किल्स उपयोगी होती हैं। प्रश्नपत्र प्रारूप में इसमें फिल इन द ब्लैंक्स, सिनोनिम्स, एंटोनिम्स, एनालॉग, जंबल पैराग्राफ, वर्ड सब्सीट्यूशन जैसी चीजें आती हैं। लाजिकल रीजनिंग एंड एनालिटिकल एबिलिटी इसके अंतर्गत भविष्य के प्रशासकों की व्यवहारिक क्षमता का आकलन होता है। यही कारण है कि इसमें पूछे जाने वाले प्रश्नों का दायरा कैट, बैंक पीओ एग्जाम से थोडा अलग है। इस पार्ट में अच्छे अंक लाने के लिए ब्लड रिलेशनशिप, सिटिंग अरेंजमेंट, कोडिंग, डिकोडिंग पर खास ध्यान दें। आरएस अग्रवाल, टाटा मैग्रा एंड हिल की किताबें लाभप्रद साबित हो सकती हैं।
जनरल मेंटल एबिलिटी
इस प्रभाग में उम्मीदवार से सामान्य मानसिक क्षमता प्रदर्शन की अपेक्षा की जाती है। इसमें एज, रिलेशन, सेट्स, डाइस (पासा), डायरेक्शन, वेन आरेख, बेसिक काउंटिंग के सवालों पर ज्यादा ध्यान दें। इस परीक्षा की तैयारी के लिए पुराने सैंपल पेपर्स हल करना उपयोगी होगा।
डिसीजन मेकि ंग, प्रॉब्लम सॉल्विंग
यहां आपक ो एप्लीकेशन बेस्ड क्वेश्चन हल करने होते हैं। अमूमन इन सवालों में आपको एक खास परिस्थिति में सही निर्णय करने की चुनौती दी जाती है।
बेसिक न्यूमेरेसी (साधारण अंकगणित)
इस सेक्शन में कैंडीडेट्स की सामान्य गणितीय क्षमताओं की परख होती है। इस दौरान यदि आप नंबर सिस्टम, एवरेज, टाइम-डिस्टेंस, प्रॉफिट लॉस जैसे सवालों पर ज्यादा फोकस करेंगे तो अच्छा होगा। डेटा इंटरप्रिटेशन के लिए ग्राफ, चार्ट, बार डॉयग्राम के प्रश्नों का अभ्यास अवश्य करें।
जेआरसी टीम

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