Thursday 29 November 2012

अपडेशन से मिलेगी सफलता


आइएएस प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट निकल चुका है। इसमें सफल स्टूडेंट्स को अब मुख्य परीक्षा से गुजरना पडेगा। मुख्य परीक्षा अक्टूबर में संभावित है और इसके लिए आपने विषय पहले ही चुन लिए होंगे। अक्सर देखा जाता है कि समान योग्यता होने के बावजूद स्टूडेंट्स की रुचि और क्षमता काफी अलग होती है। यही कारण है कि आइएएस में सभी स्टूडेंट्स को ध्यान में रखते हुए काफी वैकल्पिक विषय होते हैं, जिनमें से अभ्यर्थी अपनी रुचि और क्षमता के अनुरूप कोई भी विषय चुनने के लिए स्वतंत्र रहते हैं। आइएएस की मुख्य परीक्षा में इकोनॉमिक्स विषय वे स्टूडेंट्स ही चुनते हैं, जो पहले से पढे होते हैं। प्रारंभिक परीक्षा में इन दिनों वैकल्पिक विषय के रूप में इकोनॉमिक्स काफी स्टूडेंट्स ले रहे हैं और वे मुख्य परीक्षा में भी इसे रखते हैं। यदि आपने भी इकोनॉमिक्स विषय लिया है, तो इसकी तैयारी के लिए एक अलग स्ट्रेटेजी बनाएं। अगर इस विषय की पॉपुलरिटी की बात करें, तो अर्थशास्त्र से ग्रेजुएट की डिग्री लेने वाले स्टूडेंट्स के अलावा, मैनेजमेंट बैकग्राउंड के स्टूडेंट्स का भी यह पसंदीदा ऑप्शनल विषय है। मुख्य परीक्षा में यह स्कोरिंग विषय भी माना जाता है। इसके अलावा जीएस में भी काफी प्रश्न इकोनॉमिक्स से आते हैं। यही कारण है कि इकोनॉमिक्स का क्रेज सिविल सेवा की परीक्षा में बढता ही जा रहा है।
जानें सिलेबस
इकोनॉमिक्स के सिलेबस को दो भागों में बांटा जा सकता है। पहले भाग में थ्योरी ऑफ इकोनॉमिक्स है। इसके अंतर्गत माइक्रो इकोनॉमिक्स, मनी, बैंकिंग एंड पब्लिक फाइनेंस, इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स, प्लानिंग एंड डेवलपमेंट और इकोनॉमिक स्टैटिस्टिक्स शामिल हैं। दूसरे सेक्शन में भारतीय अर्थव्यवस्था, जिसके अंतर्गत भारत की आर्थिक नीति, विश्व की अर्थव्यवस्था का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आदि हैं। इसके अलावा लैंड सिस्टम, कॉमर्शियलाइजेशन और एग्रीकल्चर, न्यू इकोनॉमिक रिफॉर्म आदि से काफी संख्या में प्रश्न पूछे जाते हैं।
हाउ टु प्रिपेयर
मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए प्रारंभिक परीक्षा की अपेक्षा एक अलग रणनीति बनाने की जरूरत होती है। विशेषज्ञों के अनुसार मुख्य परीक्षा के लिए आदर्श स्थिति यह है कि आप सिलेबस के अनुरूप संपूर्ण तैयारी करें। मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए समय काफी कम बचा है और पढने के लिए काफी विषय रहते हैं। इस कारण इस समय व्यावहारिक यह है कि आप सेलेक्टिव अप्रोच अपनाएं। आप सबसे पहले उन्हें कंप्लीट करने की कोशिश करें, जिनसे अधिक संख्या में प्रश्न आते हैं। बेहतर होगा कि आप कुछ महत्वपूर्ण चैप्टर के प्रत्येक भाग को अच्छी तरह से पढें। इससे आपका कॉन्फिडेंस लेवल काफी बढ जाएगा और आपकी तैयारी अच्छी हो जाएगी। इस तरह की रणनीति तभी कारगर हो सकती है, जब आप एक बार सिलेबस का गहन अध्ययन कर चुके हों। यह एक ऐसा विषय है, जिसमें रोज कुछ न कुछ बदलाव होते रहते हैं। इसमें बेहतर करने के लिए जरूरी है कि रोजमर्रा के आर्थिक बदलाव से अपडेट रहें और उसी के अनुरूप अपनी तैयारी को अंतिम रूप दें। अर्थशास्त्र के इंडियन इकोनॉमिक्स सेक्शन में लेटेस्ट इकोनॉमिक सर्वे, बजट में प्रोविजन्स, आरबीआई की मॉनिटरी, क्रेडिट पॉलिसी, सरकार की नई आर्थिक नीति, ग्लोबल इकोनॉमिक के बदलते परिदृश्य आदि से प्रश्न पूछे जा सकते हैं। इसमें थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं। आपके लिए बेहतर होगा कि आप सभी तरह के प्रश्नों पर ध्यान दें। आपके लिए बेहतर होगा कि आप बदलते ट्रेंड से अवगत रहें। इसके लिए पिछले वर्षो के प्रश्नों को देखें और और उसी के अनुरूप तैयारी करें, तो बेहतर मा‌र्क्स ला सकते हैं। तैयारी के दौरान फैक्ट्स का रिवाइज करना जरूरी होता है। आजकल विभिन्न देशों के संबंध भी इकोनॉमिक बेस्ड हो गए हैं। इस कारण इस विषय में बेहतर करने के लिए विश्लेषण क्षमता का ज्ञान जरूरी है। क्योंकि कुछ प्रश्न इसी को आधार बनाकर पूछे जाते हैं। इस तरह के प्रश्नों का विश्लेषणात्मक अध्ययन नहीं करने से सही उत्तर देने में परेशानी हो सकती है। इसके साथ ही, विश्व की अर्थव्यवस्था में आए प्रमुख बदलाव का भी विश्लेषण करने की क्षमता विकसित करें। अगर इस तरह की रणनीति बनाकर तैयारी करते हैं, तो आप इस विषय में अच्छे मा‌र्क्स लाने में अवश्य सफल होंगे।

No comments:

Post a Comment